शनिवार, 23 जून 2012

फ़ुरसत में ... 106 : झूठ बोले कौआ काटे


फ़ुरसत में ... 106
झूठ बोले कौआ काटे
-- मनोज कुमार




पिछले सप्ताह जो पोस्ट लगाई तो सबसे पहले वाणी जी का मेल आया। http://manojiofs.blogspot.in/2012/06/105.html

something wrong while displaying this webpage ...इस ब्लॉग पर यह वार्निंग आ रही है !

मुझे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है? मेरे कंप्यूटर पर तो ब्लॉग खुल रहा था। फिर एक-दो और मित्रों ने यह शिकायत की। इस बीच कुछेक टिप्पणियां आ चुकी थीं। इसलिए उन मित्रों की शिकायत पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। लगा उनके कंप्यूटर में ही कोई समस्या होगी। जब बुधवार को एक मित्र ने जानकारी दी कि ब्लॉग खुल नहीं रहा और चेतावनी दे रहा है, तो मेरा माथा ठनका। मैंने अपने कंप्यूटर पर जब इस ब्लॉग को खोलने की कोशिश की तो मेरे कम्प्यूटर पर भी यही दशा थी। अपने अल्प तकनीकी ज्ञान से ब्लॉग को खोलने की कोशिश की पर असफल रहा। तब मुझे संकट मोचक की याद आई।  आप सभी जानते हैं बीएस. पाबला जी संकट की घड़ी में “ही” याद आते हैं। इस “ही” को इनवर्टेड कॉमा में रखने का कारण मैं आगे बताऊंगा, इसमें पाबला जी का दर्द भी छुपा है।

उन्हें (पाबला जी को) मेल किया और उन्होंने मेरे मेल का पांच मिनट के अंदर जवाब दिया।

मनोज जी नमस्कार
ब्लॉग के टेम्पलेट से पराया देश संबंधित कोई विजेटनुमा सामग्री है. उसे हटा दें  
ठीक हो जाएगा
गनीमत है अभी आपका ब्लॉग गूगल की ब्लैक लिस्ट में नहीं आ पाया है. वरना आपके ब्लॉग की सामग्री वाले ब्लॉग खुलने बंद हो जायेंगे  

विस्तृत उपाय, विधि तथा अन्य जुगाड़ तो http://www.blogmanch.com/ पर ही दे पाऊँगा. सॉरी

उनके बताए उपाए से पांच मिनट के अंदर मेरा ब्लॉग चालू हो गया। लेकिन मेरा दिमाग उनके द्वारा लिखे गए अंतिम वाक्य पर अटक गया। इसमें एक छुपा हुआ तथ्य था --- कि ब्लॉगमंच पर तो आते नहीं और जब मुसीबत में फंसते हो तो मेरी याद आती है। ख़ैर वहां गया तो देखा कि बग़ैर इसका सदस्य बने ज़्यादा लाभ नहीं उठाया जा सकता मैं फ़ौरन उसका सदस्य बन गया।

इसके बाद काफ़ी देर उनसे (पाबला जी से) मेल का आदान-प्रदान और बातें होती रही। उन्होंने एक और बात कही
ब्लॉग मंच को ब्लॉगरों के लिए बनाया है, लेकिन कोई तवज्जो ही नहीं देता दिखा तो अनचाहे मन से कठोरता का प्रदर्शन कर उस ओर इशारा करना पड़ रहा :-(”

यही वह “ही” लिखने का सार है। संकट की घड़ी में तो हम उन्हें याद करते हैं लेकिन उनके द्वारा किए जा रहे सामाजिक (ब्लॉग जगत के संदर्भ में) कार्य को हम कोई खास तवज्जो नहीं देते। यह मंच उन्होंने 2011 में हमारे लिए खोला था। यहां जाकर आप इसके बारे में विशेष जानकारी हासिल कर सकते हैं।

पाबला जी ने “कठोरता का प्रदर्शन” शब्दों का प्रयोग किया है। सच ही कहा है उन्होंने। यदि कठोरता का प्रदर्शन न किया जाए तो कई बार मनवांछित हल नहीं मिलता। कई लोग कठोरता प्रदर्शन को स्ट्रेटजी की तरह इस्तेमाल करते हैं। सरकारी महकमें तो यह बड़ा आम है। आइए आपको एक अनुभव सुनाता हूं। गोपनियता की दृष्टि से पात्रों के नाम और स्थान बदल दिए गए हैं।

एक दिन सुबह सुबह दफ्तर पहुंचा तो माहौल विचित्र था। सीपी काफी तमतमाया हुआ इधर से उधर घूम रहा था और कुछ बड़बड़ाए जा रहा था। पी.ए. से पूछा तो मालूम हुआ कि सीट पर बैठते ही सीपी के हाथों अर्दली ने ट्रांसफर आर्डर थमा दिया। कोलकाता से कटनी ट्रांसफर का आदेश देख कर उसका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और तब से वह अपने शब्‍दकोश के सारे सभ्‍य सुशील शब्‍दों का बड़े असंयत भाव से प्रयोग कर रहा है।

खैर मैं अपने दैनिक कार्यों का निपटारे करने में लग गया और एक महत्‍वपूर्ण फाइल जिस पर बड़े साहब से चर्चा करनी थी, को लेकर उनेक दफ्तर में गया और विचार-विमर्श करने लगा।

थोड़ी ही देर बीते थे कि अपना सीपी अनुमति लेकर भीतर प्रवेश किया और बड़े साहब के बैठने का इशारा किए जाने के बावजूद खड़े-खड़े अपनी अत्‍माभिव्‍यक्ति करने लगा।

सर दिस इज नौट फेयर ! मिड ऑफ़ द सेशन में मेरा तबादला....? दिस इज़ अन जस्‍ट !”

बैठो........ बैठो........

व्‍हाट सर? दिस इज द रिवार्ड व्हिच आय एम गोइंग टू गेट आफ्टर गिविंग माई बेस्‍ट ट्वेंटी थ्री इयर्स ऑफ सर्विस एट दिस स्‍टेशन।

इतने सालों से तुम यहां थे, इसलिए तो तुम्‍हारा तबादला हुआ है। जो बीस सालों से अधिक एक ही कार्यालयों में थे उनका ही तबादला किया गया है|”

नही सर यह हमारे ऊपर अन्‍याय है। हमने पूरी कोशिश की आपको खुश रखने की। पर ....... लगता है कुछ लोग (मेरी तरफ इशारा था) मुझसे ज्‍यादा स्‍मार्ट निकला ठीक है सर आप न्‍याय नहीं दे सकते तो भगवान देगा। आप के पास कुछ कहने से होगा नहीं

सीपी ने एक लंबा (pause) पौज मारा और ऊपर की जेब से एक पेपर साहब की तरफ बढ़ाते हुए बोला –“ये रहा मेरा पेपर....... इसे कंसीडर कर दीजिएगा। आई एम नो मोर इंटरेस्‍टेड इन सर्विंग द ऑर्गनाइजेशन। बिफोर रिलिजिंग मी, मेरा वी.आर एक्‍सेप्‍ट कर लीजिएगा।" और वह दन्‍न से मुड़ा। वहां से निकल गया।

बड़े साहब के चेहरे पर कुछ ऐसे भाव थे जो मैं पढ़कर भी अनजान बना रहा।

उन्‍होंने मुझसे कहा- तुम अभी जाओ बाद में चर्चा करेंगे।

मैं जब बड़े साहब के दफ्तर से बाहर निकल रहा था तो मेरे होठों से एक गाना निकल रहा था -अरे! झूठ बोले कौआ काटे , काले कौवे से डरियो। मैं माइके चली जाऊंगी तुम देखते रहियो।

ये "मैं माइके चली जाऊंगी" वाली धमकी, पहले तो मुस्‍कान ला देता है चेहरे पर, फिर बाद में देखा जाता है कि यह इफेक्‍टिव/प्रभावशाली/कारगर भी काफ़ी होता है। मन चाही मुराद पूरी हो जाती है!

सीपी ने अपने तेइस साल के सर्विस कैरियर में पहले भी तीन बार इस तरह का पांसा फेंका है। और हर बार दांव उसके पक्ष में गया है। इस बार देखें क्या होता है?

खैर मैं अपने ऑफिस में आ गया। शाम होते-होते मेरे टेबुल पर एक आंतरिक आदेश पहुंचा। सीपी का वी आर एप्‍लीकेशन अण्‍डर कंसीडरेशन है और ट्रांसफर आर्डर केप्‍ट इन अबेयांस टिल फर्दर ऑर्डर!!
***

32 टिप्‍पणियां:

  1. दोनों संस्मरण मजेदार हैं ! पाबला जी को बॉस की पोजीशन में रखके देखा है वर्ना कल को हमारे काम आने से मना कर दिये तो :)

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  2. हम आए दिन ब्लॉगिंग और कम्प्यूटर के आपसी तालमेल से उलझे रहते हैं.पाबलाजी को इस बारे में कभी कष्ट नहीं दिया.उनकी घोर व्यस्तता के चलते भी संकोच होता है.हम फ़िलहाल 'प्राइमरी का मास्टर' वाले प्रवीण त्रिवेदी जी से ही अपने रोज़मर्रा की अड़चनें दूर करवा लेते हैं !

    ...सीपी का वी आर एस अब अपरिहार्य हो गया है !

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  3. पाँसा तो ठीक है, चल गया। पर एक जगह २० साल, बहुत नाइन्साफी है..

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  4. ब्लोगिंग के असरदार, सरदार के कारनामें वन्दनीय हैं ...
    - किसी तरह की ब्लॉग रिपेयर, टूटफूट हो, काम की गारंटी ..
    -आपकी तारीफ दुनिया के किसी अखबार में छपी हो, सरदार को पता होती है ..
    -आप सरदार को मुबारकबाद देते हों या ना देते हों सरदार अवश्य देता है ...
    कुछ लोग बिना आप तक गए, अपनी तारीफ़ करवाने लायक काम करते हैं,
    सरदार उन्ही में से एक है और असरदार है !
    !!सत् श्री अकाल !!

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  5. सच कहा पावला जी संकट मोचन ही है एक बार मुझे भी उन्ही के शरण में जाना पड़ा था..संस्मरण दोनो ही रोचक रहे...

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  6. to ant me bibi maayeke chali hi gayi......:-)

    blog manch par me apna panjikaran kar rahi hun....lekin lagta hai pabla ji naaraz hain mera panjikaran sweekar nahi kar rahe.

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  7. दृष्टांत रोचक है और सबक की तरह है। जिज्ञासा इतनी अधिक थी कि मैंने सोचा स्क्रोल करूँगा तो कुछ और पहलू सामने आएँगे।

    पाबला जी के सन्दर्भ में, वे बिना किसी अपेक्षा के महती कार्य कर रहे हैं और लोग केवल मुसीबत के समय ही उन्हें याद करें तो उनका कठोर होना स्वाभाविक है। फिर भी वे अपने कार्य में लगे हुए हैं और लोगों की मदद कर रहे हैं। उनके प्रति आभार,

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  8. वैसे एम्‍बुलेंस की याद तो आपातकाल में ही आती है। पाबला जी ब्‍लाग जगत के एम्‍बुलेंस धारी ही है। उन्‍हें सलाम।

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  9. स्पैम से टिप्पणी मुक्त कर दें ...

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-062012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  11. पाबला जी तो ब्लॉग संकट मोचक है , ऐसी ब्लॉग सेवा के लिए साधुवाद के पात्र भी . सीपी की बन्दर भभकी इस बार भी शायद काम आये., होंना तो चाहिए की सीपी इस बार मोती बन जाए किसी और स्थान का.

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  12. पाबला जी की तो बात ही निराली है :). और वाकई कभी कभी कठोरता आवश्यक होती है क्या है कि आजकल के दौर में ज्यादा मीठा और सरलता किसी को हजम नहीं होती.लोग फॉरग्रांटेड लेने लगते हैं.

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  13. पाबला जी तो पाबला जी ही हैं।

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  14. सच मे पाबला जी को सभी जानते हैं ....हम भी मदद ले चुके हैं ...पाबला जी से ...
    रोचक पोस्ट मनोज जी ....!

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  15. रोचक संस्मरण...
    ब्लाग जगन के विघ्नहर्ता श्री पाबला जी को सलाम।
    सादर।

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  16. पाबला जी का गरम रुख मैं समझ सकता हूँ -और आपकी कहानी शठे शाठ्यम समाचरेत का पाठ पढ़ाती है !

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  17. बहुत खूब ...वैसे आपके ब्लॉग पर यह समस्या बहुत बार झेल चुका हूं।॥।

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  18. रोचक प्रस्तुति कारण .... पाबला जी सच ही सबकी मदद हमेशा करते हैं ... आज उनके ब्लॉग पर काफी कुछ पढ़ कर आई हूँ ...

    शाम होते-होते मेरे टेबुल पर एक आंतरिक आदेश पहुंचा। सीपी का वी आर एप्‍लीकेशन अण्‍डर कंसीडरेशन है और ट्रांसफर आर्डर केप्‍ट इन अबेयांस टिल फर्दर ऑर्डर!!

    यानि धमकी काम कर ही गयी

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  19. पाबला जी सबकी सहायता करते हैं , इसलिए थोड़ी कठोरता सहनीय होती है !
    संस्मरण रोचक है !

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  20. जीवन से जुडी घटना को आपने इतने सहज सरल तरीके से उकेरा है कि सुबह का आनंद दुगुना हो गया .
    भैया कभी कभी मई भी नेट कि परेशानी में फंसता हूँ ,पाबला जी से संपर्क निरंतर रखूँगा .हालंकि उन्हें पढ़ता हूँ .

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  21. यह परेशानी और भी कई ब्लोग्स में भी कभी कभी आ रही है जैसे पहले कुछ दिनों काजल कुमार जी के ब्लॉग पर थी, अब नहीं है. कुछ ब्लोग्स अभी भी पोप विंडो खोल दे रहे हैं जो किसी न किसी विज्ञापन से सम्बंधित हैं और नयी विंडो में ओपन होते है पोप अप ब्लोकर लगे होने के बाद भी. ऐसी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिये पाबला जी की मदद आवश्यक है. तो फिर उनके ब्लॉग पर जाने में संकोच क्यों? हो सकता है शायद इसलिए डॉक्टरों और पुलिस वालों से दूर रहना ही भला.

    मैं मायके चली जाउंगी का फोर्मुला बहुत उपयोगी है.

    रोचक संस्मरण.

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  22. बढ़िया पोस्ट।
    पाबला जी बड़े भले हैं। मुसीबत आयेगी तो मदद मांगेगे ही, वे नहीं देंगे तो कौन देगा?

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  23. वाह!
    यहाँ तो दोस्तों ने रौनक बढ़ाई हुई है

    शुक्रिया दोस्तों
    स्नेह बनाए रखिएगा

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  24. पाबला जी जैसे दरिया दिल इंसान बहुत कम मिलते हैं और उनका तकनीकी ज्ञान तो सोने पर सुहागा है। हम भी कई बार मुसीबत में उनकी शरण में जा चुके हैं।

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  25. शुक्रिया मनोज जी ब्लॉग मंच से वाकिफ करवाया .पाबला जी सही कहतें हैं .को नहीं जानत है जग कपि संकट मोचन नाम तिहारो ...

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  26. मेरी समस्‍या को भी पाबलाजी ने ठीक करने का प्रयास किया था लेकिन सफलता रवि रतलामी जी से प्राप्‍त हुई।

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    1. फेसबुक पर प्रदत्त पहली लिंक में ही रवि जी की युक्ति बताई गई है, शायद आपने ध्यान नहीं दिया :-)

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  27. Railway Recruitment Board completed the Group D 2018-19 Examination procedure and those who were in search of their live available RRB Group D Result 2019 performance they should need to wait for few days because RRB all set to complete the checking process of Railway Group CEN 02/2018 Online Test.

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