शनिवार, 2 अक्टूबर 2010

बापू तेरे जन्म दिवस पर...

बापू तेरे जन्म दिवस पर...

करण समस्तीपुरी

दस साल पहले पिताजी ने पूछा था, "गांधीजी का जन्म कब हुआ था ?" मैं ने सगर्व कहा था, "2 अक्टूबर को।" "साल भी बोलो !", पिताजी किसी साक्षात्कार लेने वाले बॉस की तरह बोल रहे थे। मैं भी उसी तरह खुश हुआ जैसे कोई अभ्यार्थी आसान सवाल सुन कर होता है। सर उठा कर बोला, "2 अक्टूबर 1969। पिता जी का अगला सवाल चौंकाने वाला था, "गांधीजी तुमसे महज दस साल बड़े थे ?"

फिर मैं ने वर्षों की मनोगत गणना आरम्भ किया.... ! ओह  भारत में जन्मे, पले-बढे, स्नातक के छात्र को राष्ट्रपिता की जन्मतिथि याद नहीं है... ? ध्यान आया स्मरण शक्ति का पद्य-मोह। छंद, मात्रा, शिल्प, व्याकरण कुछ का पता नहीं मगर मैं ने बापू के बारे में कुछ प्रचलित बातों को पद्यबंध करने का प्रयास किया और मुझे ख़ुशी होती है कि अब मैं बापू से सम्बंधित महत्वपूर्ण तिथियों को नहीं भूलता हूँ। आप भी देखिये....

अठारह सौ उनहत्तर का शुभ अक्टूबर मास !

मंगलमय तिथि दूसरी, जन्मे मोहनदास !!

था यह दिवस सलोना पाया पोरबंदर गुजरात !

माँ पुतली ने जन्म दिया बालक जग-विख्यात !!

पिता रियासत राजकोट के ऊंचे दीवान !

नाम करमचंद गांधी, सरल-सहज पहचान !!

धर्मपारायण माताजी की पड़ी पुत्र पर छाया !

दया-क्षमा-परमार्थ-लोकहित बचपन से ही पाया !!

हरिश्चंद्र नाटक गांधी जी के मानस पर अटका !

सत्य से नाता जोड़ा ऐसा, फिर असत्य नहीं फटका !!

अल्प-वयस में हो गया कस्तूरबा संग व्याह !

पत्नी मिली सुलक्षणा, हुई प्रकाशित राह !!

ऊंची शिक्षा के लिए, गाँधी गए विदेश !

दिया जननी ने आशीष, आयुष और सख्त निर्देश !!

मद्य-मांस-महिलादि से रखना स्वयं को दूर !

याद सदा ईश्वर को रखना, होगे सफल जरूर !!

शिक्षा जब संपन्न हुई, गांधी स्वदेश को लौटे !

अहमदाबाद न्यायालय में फ़ौरन वकील बन बैठे !!

गए अफ्रीका दक्षिणी जहां श्वेत-अश्वेत में भेद !

देख दशा अश्वेत की हुआ हृदय में खेद !!

गोरों का अत्याचार कहाँ गांधी था सहने वाला !

उसी देश की धरती पर वह सत्याग्रह कर डाला !!

लौटे जब घर अपने तो सच्चाई समझ में आई !

अंग्रेजों ने माँ भारत की है दुर्दशा बनाई !!

जननी हो जंजीर में जकरी ऐसे जीवन को धिक्कार !
प्रेरित होकर इसी मन्त्र से किया ब्रिटिश का वहिष्कार !!

ईश्वर का उद्देश्य देश-हित सफल हुआ तब जा कर !

छोड़ दिया पेशा वकील का, शपथ सत्य का खाकर !!

बैठे व्रत ले देशभक्ति का सावारमती किनारे !

दिन-दलित लाचार मनुज के बन बैठे रखवारे !!

नील किसानो की हालत पर करुना उपजी मन में !

इन्कलाब का बिगुल बजाय आकर चंपारण में !!

गांधी की आवाज़ गयी जब आज़ादी के दीवानों को !

छोड़ चले सब काम-कचहरी, दफ्तर और मकानों को !!

सन अठारह में अंग्रेजों ने रौलेट एक्ट को लाया !

गांधी ने उसके विरोध में असहयोग चलाया !!

चौरी-चौरा की निर्मम घटना से होकर आहत !

गांधी जी ने छुब्ध हृदय से वापस लिया खिलाफत !!

नमक-नियम से नाखुश हो की कठिन मार्च दांडी की !

हुई विवश सरकार ब्रातानी ज़िद देख गांधी की !!

मुखर-प्रखर अगुआई की स्वातंत्र्य आन्दोलन की !

दृढ निश्कायी गाँधीजी को अंग्रेजों ने दी धमकी !!

क्रान्ति-काल में लाठी खाई, केस हुआ, गए कारागार !

लेकिन सत्य-अहिंसा से वे करते रहे शत्रु पर वार !!

नौ अगस्त बयालिस को भी इसी कड़ी में जोड़ो !

गांधीजी ने ललकार दिया, अंग्रेजों भारत छोड़ो !!

गांधी की आंधी को न कभी रोक सकी बालू की भीत !

सौ वर्षों तक चली लड़ाई, आखिर हुई सत्य की जीत !!

सैंतालिस पंद्रह अगस्त को सुलझा यह लम्बा षड्यंत्र !

हुआ इसी दिवस पावन पर अपना प्यारा देश स्वतंत्र !!

चक्र-सुदर्शन चरखा लेकर पहन वदन पर खादी !

सत्य-अहिंसा की शक्ति से दे दी हमें आज़ादी !!

हो गए हम आज़ाद मगर था नहीं विशेष कुछ सुधरा !

छुआ-छूत जैसी कुरीति से यह समाज था जकड़ा !!

दीन-दलित शोषित था, पिछरा हुआ वतन का !

गांधी उनको गले लगा कर नाम दिया हरिजन का !!

धूप-छाँव आते-जाते हैं, सब दिन होते नहीं समान !

भारत के इतिहास में आया एक काला-दिवस विषाण !!

तीस जनवरी अड़तालीस को थी प्रातः की बेला !

नाथूराम गोडसे ने एक खेल घिनौना खेला !!

राष्ट्रपिता के वक्ष-मध्य गोली लगी गंभीर !

हे राम कहते हुए, बापू तजे शरीर !!

था यह परम दुखद क्षण, अस्त हुआ जीवन दिनकर !

डूब गया आकंठ शोक में, भारतवर्ष का एक-एक घर !!

जीवन-पुष्प रहा नहीं तेरा पर खुशबू उसकी बनी हुई !

बापू तेरे वचन कर्म से भारत माता धनी हुई !!

तेरा जीवन एक दर्शन है, तेरी हर वाणी आदर्श !

कैसे करुण आभार व्यक्त, ऋणी है तेरा भारतवर्ष !!

तेरे जन्मदिवस पर हम सब याद तुझे करते हैं !

तेरा ही पथ दे ईश्वर, फरियाद यही करते हैं !!

12 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी प्रस्तुति ,बापू को शत शत नमन

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  2. पाठ्यपुस्तक में शामिल की जा सकने योग्य रचना है।

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  3. बापू की जयंती पर छपता तो बहुत कुछ है,मगर उसे पढते कम ही लोग हैं। ऐसी कविताएं इस प्रवृत्ति का विकल्प हैं।

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  4. सुनो सुनो ऐ दुनिया वालो बापू की ये अमर कहानी..
    आज आपने बापू की कहानी अपने गीत में सुना दी..बेहतरीन श्रद्धांजलि!!

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  5. महात्मा गाँधीजी के जीवन को रेखांकित करती हुई अच्छी रचना है!

    गाँधीजी को शत शत नमन!

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  6. वाह पूरी जीवनी सुन्दर गीत में सुना दी ..सरल सुन्दर प्रस्तुति.

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  7. दो अक्टूबर को जन्मे,
    दो भारत भाग्य विधाता।
    लालबहादुर-गांधी जी से,
    था जन-गण का नाता।।
    इनके चरणों में श्रद्धा से,
    मेरा मस्तक झुक जाता।।

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  8. एक कविता के अन्दर ही बापू के सम्पूर्ण जीवन को समेटने का बहुत सुन्दर प्रयास...आभार..

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  9. कविता के माध्यम से बापू की पूरी जीवनी बता दी ..बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  10. बहुत सुन्दर गीत में ढाला है गाँधी जी के जीवन वृत्त को। विशेष रूप से बच्चों के लिए उपयोगी है यह रचना। छोटी सी रचना में लगभग समस्त प्रेरणास्पद घटनाओं को समेट लिया है आपने।
    आभार।

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