बत्तियां बुझाओ शीशमहल की
श्यामनारायण मिश्र
बस्तियां जलीं,
बत्तियां बुझाओ
शीशमहल की।
लोग
तिलमिलाने को
नाच समझ बैठे हैं
कैसा यह जलसा है अगुआ?
चेहरे तो
बर्फ़ हो रहे
भीड़ है कि, खेल रही फगुआ।
किसको?
यह सनक उठी
चहल-पहल की।
क्या होगा?
इतने वर्दी-गणवेशों का
इनसे अंत्योदय का
द्वार नहीं खुलना।
नाग नहीं,
अजगर है
दंड के हिलने से
इसे नहीं डुलना।
दलदल से
उठती है बात
बस कमल की।
इस अरने भैंसे को
देखा ही क्या है
सींग अभी खौर नहीं पाया।
इतना आतंकित है
वन इसके भय से
महुआ तक बौर नहीं पाया।
तुम हो कि,
सोच रहे
सोन फसल की।
देखो!
उस पर्वत से
पुरखे थे आए
कंधों पर लादकर नदी।
चलो!
वहीं लौट चलें
लेकर यह
बची-खुची बीसवीं सदी।
चुक गई
यहां तो
बूंद-बूंद जल की।
*** *** ***
चित्र : आभार गूगल सर्च
बहुत ही प्रभावी बन पडा है गीत मनोज भाई
जवाब देंहटाएंअहा, बेहतरीन रचना..
जवाब देंहटाएंमिश्र जी को पढवाने के लिए आभार आपका !
जवाब देंहटाएंइस गीत में नागार्जुन और गोपाल सिंह नेपाली जी की कविता सा आह्वान है... बहुत बढ़िया गीत.... अभी तो शीशमहल में रौशनी बढ़ ही गई है..और सब रौशनी आम घरो से निकली गईं है...
जवाब देंहटाएंमिश्र जी के रचना-संसार से विशेष नेह जुड़ता जा रहा है..जैसे-जैसे उनसे मिलना हो रहा है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना, सुन्दर भाव , बधाई .
हटाएंअच्छी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर ||
अभिव्यक्ति की ताज़गी और नई उद्भावनाये
जवाब देंहटाएंविसंगतियों क और मुखर कर रही हैं !
बहुत सुन्दर गीत....
जवाब देंहटाएंदेखो!
जवाब देंहटाएंउस पर्वत से
पुरखे थे आए
कंधों पर लादकर नदी।
चलो!
वहीं लौट चलें
लेकर यह
बची-खुची बीसवीं सदी।
चुक गई
यहां तो
बूंद-बूंद जल की।
bahut sundar ....
देखो!
जवाब देंहटाएंउस पर्वत से
पुरखे थे आए
कंधों पर लादकर नदी।
चलो!
वहीं लौट चलें
लेकर यह
बची-खुची बीसवीं सदी।
चुक गई
यहां तो
बूंद-बूंद जल की।
खुबसूरत भावों से सजी सुन्दर रचना श्यामनारायण जी को सादर नमन ..
चलो!
जवाब देंहटाएंवहीं लौट चलें
लेकर यह
बची-खुची बीसवीं सदी।
चुक गई
यहां तो
बूंद-बूंद जल की।..बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति..श्यामनारायण जी को सादर नमन ..आभार
मिश्र जी की एक और लाजबाब रचना पढ़ कर आनंद आ गया,,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST...: दोहे,,,,
इतना आतंकित है
जवाब देंहटाएंवन इसके भय से
महुआ तक बौर नहीं पाया।
बहुत उम्दा. हर बार कुछ नया मंतव्य.
बधाई.
एक यथार्थ,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा.....
जवाब देंहटाएंआपने कह दी बात हम सबके मन की
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर पधारने और उत्साहवर्धन का धन्यवाद.स्नेह इसी तरह मिलता रहेगा , ऐसी अपेक्षा है .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन, सुन्दर भाव, बधाई.
bahut khoobsurat.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन नवगीत।
जवाब देंहटाएं