राष्ट्रीय आन्दोलन
मोंटफोर्ड
सुधार
1918
भारत-सचिव
मांटेग्यू की घोषणा
जुलाई, 1917 में एडविन मोंटेग्यू को भारतीय
मामलों का मंत्री बनाया गया। 20 अगस्त 1917 को हाउस ऑफ कॉमंस में भारत-सचिव
मांटेग्यू ने घोषणा की कि अब से भारत में ब्रिटिश नीति का संपूर्ण लक्ष्य स्वशासी
संस्थाओं का क्रमशः विकास होगा ताकि ब्रिटिश साम्राज्य के अभिन्न अंग के रूप में
भारत में क्रमशः उत्तरदायी सरकार की स्थापना हो सके। भारतीय नेताओं की उम्मीदें बढी।
सेना में हिन्दुस्तानियों के कमीशन पद प्राप्त करने के लिए लगी रंगभेदी रोक वापस
ले ली गयी। एनी बेसंट को रिहा कर दिया गया।
जून में मोंटफोर्ड सुधार घोषित हुआ। भारतीय मामलों के
मंत्री एडविन मोंटेग्यू और तत्कालीन वायसराय चेम्सफोर्ड द्वारा प्रस्तावित होने के
कारण इसे यह नाम दिया गया था। इसके तहत यह व्यवस्था की गयी थी कि प्रान्तों में
आंशिक शासन होगा, जो
चुनी गयी विधानसभा और भारतीय मंत्रियों के माध्यम से चलेगा, लेकिन महत्त्वपूर्ण विषय गवर्नर के लिए
सुरक्षित रहेंगे जो मनोनीत एक्ज़ीक्यूटिव काउन्सिल की मदद से शासन करेंगे। केंद्र
में सत्ता में कोई हिस्सेदारी नहीं रहेगी। मोंटेग्यू ने इसे बड़ी छलांग बताया था।
लेकिन बाद में भारतीय मामलों के नए मंत्री एवं पूर्व वायसराय लॉर्ड कर्ज़न ने इसे
अविवेकपूर्ण और प्रतिक्रियावादी कहा था। भारतीय नेता इसके प्रति कोई मन नहीं बना
पाए।
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जिन्ना
का राजनीतिक क्षितिज पर ऊपर आना
1918 में देश के वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड थे
और मुंबई के गवर्नर थे लॉर्ड विलिंगडन। जिन्ना होमरूल लीग नामक राजनैतिक संगठन का
सदस्य था। इस लीग के अध्यक्ष एनी बेसेंट और तिलक थे। जून 1918 में एक सार्वजनिक
सभा, जिसमें जिन्ना भी मौजूद था, में लॉर्ड विलिंगडन ने कहा था, कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा जो होमरूल लीग के सदस्य हैं,
युद्ध के प्रयासों पर खुले आम शक जाहिर किया जा रहा है। जिन्ना ने यह सुनकर खुद को
अपमानित महसूस किया। उसने इसका उचित जवाब देने की सोची। साल के अंत में जब
विलिंगडन अपना पद छोड़ रहा था, उसकी सेवाओं की सराहना के लिए मुंबई के नागरिकों की एक
सार्वजनिक सभा हुई। जिन्ना अपने समर्थकों की फौज लेकर इसका विरोध करने के लिए टाउन
हॉल पहुंचा। जमकर हंगामा हुआ। पुलिस द्वारा बल-प्रयोग से हॉल खाली कराया गया। हॉल
के बाहर अपने समर्थकों के सामने जिन्ना ने भाषण देते हुए कहा, “आप
मुंबई के नागरिक हैं। आज लोकतंत्र के लिए एक बड़ी जीत का दिन है। आज 11 दिसंबर का
दिन मुंबई के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज हो गया है। घर जाइए
और आनंद मनाइए।” जिन्ना हीरो बन गया था। टाउन हॉल की दीवार पर एक तख्ती
टंगी है जिस पर लिखा है, “मुहम्मद अली जिन्ना के दिलेर और शानदार नेतृत्व में मुंबई
के नागरिकों की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में!”
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मनोज कुमार
पिछली कड़ियां- राष्ट्रीय आन्दोलन
संदर्भ : यहाँ पर
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स्वतंत्रता
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