टुकड़ों के लिए चुना
श्यामनारायण मिश्र
हीरामन !
बहुत हुआ राम-राम रटना।
पंख लिखे नभ के
इतिहास का उलटना।
बंसवट की चहचह
कोटर की कुटकुट,
भूल गए
धूप-छांव छतनारे झुरमुट।
टुकड़ों के लिए
चुना पिंजड़े में खटना।
हीरामन !
मुश्किल है समय से निपटना।
तुमने भी मान लिया
राजा औ’ रानी।
क्या हुआ ?
कटीले झरने का पानी।
व्यर्थ है नई इस
सुबह को डपटना।
हीरामन !
घटने को आज नई घटना।
छोड़ो भी
अब यह ठकुर-सुहाती।
सपनों के चम्पागढ़
पहुंचाना पाती।
भोर भये दिल्ली
सांझ भये पटना।
हीरामन !
बहुत हुआ नयौते सा बंटना।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्य हुआ ।।
टुकड़ों की खातिर खटे, हीरामन मनमार ।
बेफिक्री में कब उड़े, नहीं कभी इतवार ।|
बहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंभूल गए
धूप-छांव छतनारे झुरमुट।
टुकड़ों के लिए
चुना पिंजड़े में खटना।
हीरामन !
मुश्किल है समय से निपटना।
शुक्रिया.
"मुश्किल है समय से निपटना।"
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
आभार!
बड़ा मुश्किल है समय से निपटना।
जवाब देंहटाएंबंसवट की चहचह
जवाब देंहटाएंकोटर की कुटकुट,
भूल गए
धूप-छांव छतनारे झुरमुट।
टुकड़ों के लिए
चुना पिंजड़े में खटना।
हीरामन !
मुश्किल है समय से निपटना।
....सच में मुश्किल है समय से निपटना...बहुत सटीक और सुंदर अभिव्यक्ति...
शानदार..
जवाब देंहटाएं..सच में मुश्किल है समय से निपटना...बहुत सटीक और सुंदर अभिव्यक्ति..बहुत सुंदर रचना,......
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंसोंधी बयार...
जवाब देंहटाएंमोहित करने वाला एक और नवगीत!!
जवाब देंहटाएंभूल गए
जवाब देंहटाएंधूप-छांव छतनारे झुरमुट।
टुकड़ों के लिए
चुना पिंजड़े में खटना।
हीरामन !
मुश्किल है समय से निपटना।
बहुत सुंदर नवगीत ....
हीरामन !
जवाब देंहटाएंमुश्किल है समय से निपटना।
- व्यक्त हुआ अनायास (हीरा) मन का उचटना !
रची उत्कृष्ट |
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की दृष्ट --
पलटो पृष्ट ||
बुधवारीय चर्चामंच
charchamanch.blogspot.com
टुकड़ों के लिए
जवाब देंहटाएंचुना पिंजड़े में खटना।
हीरामन !
मुश्किल है समय से निपटना
SUNDAR.
श्याम नारायण मिश्र जी तो नवगीत के पुरोधा हैं.
जवाब देंहटाएंउनके नवगीतों का जवाब नहीं.
कितना खुबसूरत गीत....
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
mishr ji ki rachana padhane ka avsar prapt hua ....sadar abhar sir
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता है, नौकरीपेशा लोग भी हीरामन जैसे नज़र आ रहे हैं। अपनी हालत पर कहा।
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