22 मार्च - विश्व जल दिवस के अवसर पर
जल का संचय !
जान लें
सूखती जा रही है धरा की कुक्षि
दिन ब दिन गिर रहा है स्तर जल का
करें कल्पना उस पल का
आने वाले भयानक कल का!
जब समस्या होगी विकट
पृथ्वि पर होगा जल का संकट
लोग हैरान होंगे
हालात से परेशान होंगे
भयावह है आने वाला कल
जल जब न होगा
सारा जग जाएगा जल।
इसी लिये आज से ही बूंद-बूंद बचाओ जल!
वरना हो जाएगा बिन पानी जग सून!
बापू ने कहा था
‘प्रकृति हमारी ज़रूरतों को तो
कर सकती है पूरा
लेकिन हमारे लालच को नहीं।’
सिंचाई पंप का इस्तेमाल
तालाब पाट कर बनते बस्तियों का जाल
औद्योगीकरण विशाल
शहरीकरण का कमाल
कि दुनिया में
एक अरब से अधिक लोगों के जीने को
मिलता नहीं साफ़ पानी पीने को
सच है यह कि
संसार में तीन चौथाई भाग पानी है
सागर है, ग्लेशियर है, खाड़ियां हैं
पर इनका जल हमारे किस काम का?
ये तो नमकीन है
इंसान को जीने के लिए
जो साफ़ जल है पीने के लिए
तीन प्रतिशत से भी कम
पानी
यानी
आबरू, इज़्ज़त, गौरव, प्रतिष्ठा, मान-सम्मान
सब धरा रह जाएगा ...!
पानी
यानी
आभा, कांति, चमक
सब फींकी पड़ जाएगी …!
पानी
यानी
जौहर और धार
हम किसे दिखाएंगे .....!
पानी
यानी
अंबु, अंभ, अप, क्षीर
आप, आब, उदक, नीर
तोय, पय, पानीय, वन
वारि, सलिल, पाथ, जीवन
हां, जल ही है जीवन !
जल जीवन, जीवन जल
जल बिन जीवन ... जल-जल
चाहिए तुझे यदि हरपल पय
कर मानव तू जल का संचय,
जल का संचय!!
जल-संचय पर एक आवश्यक-आह्वान !
जवाब देंहटाएंविश्व जल संचय दिवस के अवसर पर प्रस्तुत आपकी कविता "जल का संचय" आद्योपात जल के महत्व को हर शब्दों के साथ सफर को आगे बढाने में अपनी पूर्ण समग्रता में सार्थक सिद्ध हुई है । दिल्ली, मुंबई और राजस्थान जैसे जगहों पर पानी के लिए जिंदगी दाव पर लग जाती है । आज के दिन हम सबको संकल्प लेना चाहिए कि जरूरत से ज्यादा जल का उपयोग न करें एवं यह याद रखें कि जल ही जीवन है । सामयिक पोस्ट अच्छी लगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित ।
जवाब देंहटाएंसब कुछ अच्छे से समझाया ।
बांग्लाभाषी है भला, पिए नहीं बस खाय ।
हटाएंभूलो सब जलपान को, जल तो रहा विलाय ।
जल तो रहा विलाय, कलेवा बदल कलेवर ।
ठूस-ठास कर खाय, ठोस दाना अब पेवर ।
जल-प्रदान का पुण्य, काम पित्तर आयेंगे।
देंगे वे जल-ढार, पिपासु बुझा पायेंगे ।।
बापू ने कहा था
जवाब देंहटाएं‘प्रकृति हमारी ज़रूरतों को तो
कर सकती है पूरा
लेकिन हमारे लालचों को नहीं।’
वाह,बहुत सामयिक और सटीक लेखन.
जल की कमी वाक़ई चिंताजनक है.
बहुत सुन्दर लिखा है आपने.
रंगों का उचित प्रयोग |समसामयिक ....सार्थक ...बहुत अच्छे से जल का महत्व बताया है ....!!
जवाब देंहटाएंbahut prerna daai post jal sanchay ki aur sabko jaagruk hona chahiye.
जवाब देंहटाएंबिन पानी सब सून..
जवाब देंहटाएंसंदेश के लिए धन्यवाद। सिर्फ जल व्यर्थ न करने की यदि ठान लें, तो कितना जल संचित हो जाएगा।
जवाब देंहटाएंयह कविता कवि के शब्द-सामर्थ्य,विभिन्न संदर्भों में प्रयोग-कौशल, सम-सामयिकता के अद्भूत संयोग के लिए स्मरण किया जाएगा। धन्यवाद...!
जवाब देंहटाएंखडा होकर ताली बजा रहा हूँ... एक कविता में सामाजिक सरोकार और वैज्ञानिक आधार को इस प्रकार पिरोया गया है कि धरा की व्यथा और कविता में निहित सन्देश पाठक के साथ सीधा संपर्क स्थापित करता है.. सरकार के जल सरक्षण कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार के लिए यह कविता उचित और सटीक है!! साधुवाद, मनोज जी!
जवाब देंहटाएंवाह , अद्भुत इतने विशाल केनवास पर सटीक अभिव्यक्ति .. जल का संचय और दुरुपयोग रोकना , दोनों ही आज की जरुरत है . बहुत सुँदर .
जवाब देंहटाएंपर्यावरण सचेत दृष्टि है आपकी .एक ज्वलंत मुद्दे की तरफ ध्यान खींचा है आपने इनका भी कुछ करो -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
बुधवार, 21 मार्च 2012
गेस्ट आइटम : छंदोबद्ध रचना :दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी है .
गेस्ट आइटम : छंदोबद्ध रचना :दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी है .
-डॉ .नन्द लाल मेहता 'वागीश 'डी.लिट ',पूर्व वरिष्ठ अध्येता ,संस्कृति मंत्रालय ,भारत सरकार .,शब्दालोक ,१२१८,सेकटर ४,अर्बन इस्टेट ,गुडगाँव (हरियाणा )१२२-००१
आओ सारे मिलकर देखें ,किस्मत किसकी सोहनी है ,
दिल्ली के दंगल में अब तो ,कुश्ती अंतिम होनी है .
. राजनीति की इस चौसर पर ,जैसे गोटी ,वोट ज़रूरी
ऐसे काले धन की खातिर ,भ्रष्ट व्यवस्था ,बहुत ज़रूरी .
साथ- साथ दोनों चलतें हैं ,नहीं कहीं कोई तकरार ,
गठ -बंधन की आड़ में यारो ,कैसी अज़ब गज़ब सरकार ,
मंत्री मुख में पड़ीं लगामें ,शक्लें सब मनमोहनी हैं ,
दिल्ली के दंगल में अब तो ,कुश्ती अंतिम होनी है .
मंद बुद्धि के पाले में ,फिर तर्क जुटाते कई उकील ,
चम्पू कई हैं जुगत भिड़ाते ,गढ़ते चमकदार तस्वीर
कहतें हैं अब उम्र यही है ,इंडिया की बदले ,तकदीर
निकल गई गर हाथ से बाज़ी ,पड़ेगी दिल्ली खोनी है
उन्नीस की गिनती है ,उन्नीस ,इक्कीस कभी न होनी है ,
दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती ,अंतिम होनी है .
लाख भोपाली जादू टोने ,अफवाहें छल ,छदम घिनौने
काम नहीं कर पायेंगे ये ,अश्रु जल से चरण भिगोने
अपनी रोनी सूरत से तुम बदसूरत ,चैनल को करते
दोहराते हो झूठ बराबर ,शर्मसार भारत को करते ,
अब तो आईना सच का देखो ,सर पर बैठी होनी है ,
दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी है .
प्रस्तुति एवं सहभावी :वीरेन्द्र शर्मा .(वीरुभई )
लेबल :मध्यावधि चुनाव ,चुनाव ,काग भगोड़ा और मंद मति राजकुमार .
दुनिया भर में डेढ़ अरब लोगों को पीने शुद्ध पानी ,पेय जल नहीं मिलता है .शहरों से पौशालायें बिला गईं हैं .५४ रब डॉलर खर्च होता है साफ़ सफाई के अभाव में शौचालय और पेय जल के अभाव में पैदा रोगों के समाधान पर .
जवाब देंहटाएंरहीम दास ने ऐसे ही नहीं कहा था -
रहिमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून ,
पानी गए न उबरे ,मोती मानुस ,चून .
कालजयी रचनाओं में प्रमुख स्थान पर रहने वाली अप्रतिम रचना के लिए बधाई . फिलहाल इसे पानी बचाओ अभियान में उपयोग किया जाए तो इसकी सार्थकता होगी..
जवाब देंहटाएंजल के महत्व को बताती सुन्दर कविता... हम तो बाल्टी लोटा से नहाते हैं.. लोटा से मुंह धोते हैं...कपडा खंघालने के बाद बचे हुए गंदे पानी को गमले में डालते हैं.... बहुत पानी बचाते हैं.... इतना ही हम सब कर ले तो बहुत पानी बच जायेगा.. जल दिवस मानना सार्थक हो जायेगा..... गाँव में अपने घर के कुएं और चापानल के पास इस कंक्रीट युग में भी कच्चा चबूतरा रखे हैं.. इस से गन्दा पानी मिटटी की परतो से शुद्ध होकर जल का स्तर बनाये रखता है....
जवाब देंहटाएंसार्थक संदेश देती उत्तम रचना ... जल ही जीवन है
जवाब देंहटाएंmaine aap ka soofi prem dekha ydi vastv me yhi hai to inhe kho jmmo kashmir me jo ek lakh hindoo mra aur beghr huaa vhan ye kyon nhi jate ya gye aur afganistan jate jhan buddh kii moortiyan todi kya vh per nhi sikha rhi thin un ke pas hthiyar the kya jo top lga kr unhe uda diya kisi bhi in prem vale ne unhe roka pr hindoon ka dimag khrab rhta hi hai kya mira ki premopaasna nhi hai jo aap ko nhi dikhi hogi
जवाब देंहटाएंआप की सोच और जो सूचनाएं आपने दी है ... मैं तो दंग हूं।
जवाब देंहटाएंयही बात आपने सूफ़ी वाले पोस्ट पर लिखी होती तो जवाब देता। यहां तो जल की चर्चा हो रही है। और मेरा मन जल के समान शीतल है।
@ hindoon ka dimag khrab rhta hi hai kya mira ki premopaasna nhi hai jo aap ko nhi dikhi hogi
आपने मेरे ब्लॉग लेखन को कितना पढ़ा है। सूफ़ी के पहले उसी ब्लॉग पर हमने धर्म-सुधार आंदोलन पर कई अंक लिखे थे और लगभग सभी संत-सुधारकों की चर्चा की थी।
--बस--
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ईश्वर अल्ल तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान!
भूल सुधार
हटाएंअल्ल = अल्ला
सार्थकता लिए सशक्त लेखन ...
जवाब देंहटाएंकाश कि अब समझ जाएँ हम.सार्थक सन्देश देती कविता.
जवाब देंहटाएंसार्थक/सचेतक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
अंबु, अंभ, अप, क्षीर
जवाब देंहटाएंआप, आब, उदक, नीर
तोय, पय, पानीय, वन
वारि, सलिल, पाथ, जीवन
हां, जल ही है जीवन !
पानी के विषय में हमें सोचना ही पड़ेगा..... बहुत दिन पहले ही तय हो गया था की बिन पानी सब सून अब तो यह भी कहा जाने लगा है की तीसरा विश्व युद्ध भी पानी के लिए ही होगा.
बूँद बूँद से घट भरता है...
जवाब देंहटाएंसो हर एक को प्रयास करना चाहिए जल संरक्षण के लिए...
बहुत सार्थक रचना सर
आभार..
बढ़िया एवं आवश्यक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशायद अभी हम इसकी गंभीरता नहीं समझ पाए हैं !
आभार आपका !
संदेश तो कविता में बहुत प्रासंगिक और सार्थक है, भले ही काव्यत्व की दृष्टि से उतनी अच्छी रचना न कहा जाय। जलसंचय दिवस पर इस रचना के लिए तालियाँ।
जवाब देंहटाएंपानी
जवाब देंहटाएंयानी
आबरू, इज़्ज़त, गौरव, प्रतिष्ठा, मान-सम्मान
सब धरा रह जाएगा ...!
पानी
डॉ. साहब ! सादर टिपण्णी का प्रयास .. आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी जी का कथन .. अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जायेगा ....विल्कुल सही है / ३% पानी क्या दुनिया के जीवन के लिए प्रयाप्त है?...... पानी के लिए चिंतातुर होना ही होगा /विचारनीय , सामयिक आलेख ...... साधुवाद जी
जल ही जीवन है..विन पानी सब सून..
जवाब देंहटाएंपानी के लिए किसी दिन पानी-पानी न होना पड़े!
जवाब देंहटाएंजल की महत्ता को दर्शाती एक सशक्त रचना ..इसी क्रम में मैं भी एक लिंक दल रही हूँ ...चाहूंगी आप सब देखें
जवाब देंहटाएंhttp://www.slideshare.net/guest7e7534/year-2070-a-presentation-by-abdul-kalam
विचारनीय पोस्ट...काश जल की इस महत्ता को समझा गया होता . एक सुंदर सन्देश देती हुई बहुत ही अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंbahut sateek rachaana, jisko sirf padanaa kaafi nahi, gahan chintan k bhi aawashayakaa hai...........
जवाब देंहटाएंपानी बचाओ अभियान के लिए लिखा गाना सबको पानी दे मौला प्यासे पंछी है मौला शामिल करे plz watch you tube ALOKTIWARIKATNI
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