सोमवार, 4 जून 2012

इस ब्लॉग की 950वीं पोस्ट : अतल गहराइयों में


इस ब्लॉग की 950वीं पोस्ट

अतल गहराइयों में

श्यामनारायण मिश्र

नमस्कार मित्रों !
इस ब्लॉग की 950वीं पोस्ट आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए बहुत ही हर्ष हो रहा है। श्यामनारायण मिश्र जी के इस नवगीत में जिन पंक्तियों को हमने हरे रंग में दिखाया है वह हमारी और हमारे इस ब्लॉग की सोच है, उद्देश्य है, लक्ष्य है ! आपका प्रोत्साहन यूं ही मिलता रहे! बस!
सादर,
मनोज
***

सोचता हूं,
इस अंधेरे में किरन की
     नई रेखा खोजता हूं।

इन अतल गहराइयों में
खोजता हूं पोत डूबे
ये नये मस्तूल लेकर
          क्या करूंगा।
तैरने से ग़ैरवाकिफ़
लोग हैं उस छोर पर
यह किनारा कूल लेकर
          क्या करूंगा।
सोचता हूं,
दो किनारों के मिलन की
     नई रेखा खोजता हूं।

एक ज़हरीली ख़बर की
हड़बड़ी में भागते
सभ्यता ने जो भरा था
          वह कलश फूटा।
पीढ़ियों के पीठ के
मेहराब वाला पुल पुराना
लोह-लंगड़ की  निगोड़ी
          दौड़ में टूटा।
सोचता हूं
खंडहर में फिर सृजन की
     नई रेखा खोजता हूं।
***  ***  ***
चित्र : आभार गूगल सर्च

33 टिप्‍पणियां:

  1. सोचता हूं,
    दो किनारों के मिलन की
    नई रेखा खोजता हूं।

    बेहतर भावाभिव्यक्ति ...आप यूं ही हिंदी ब्लॉग जगत को अपने उत्कृष्ट लेखन से आलोकित करते रहें ....!

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  2. 950 वीं पोस्ट की बधाई।
    आभार इस प्रेरक नवगीत के लिए।

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  3. बधाई ,950वीं पोस्ट के लिये और रेशम में, उसी का सा सम हो जानेवाला,जोड़ लगाने के लिये भी !

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  4. बहुत सुंदर कविता मिश्र जी की.. आपको 950वीं पोस्ट की बधाई..

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  5. ९५० वीं पोस्ट की बधाई .....ब्लॉग और आपकी सोच सराहनीय है ,,,, सुन्दर नवगीत

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  6. इस सोपान पर पहुँचने के सिये बधाई, राहें नयी खोजनी होंगी, पुरानी राहें धूल का गुबार उड़ा रही हैं।

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  7. sarthak prayas ...!!bahut sundar navgeet.950th post ke liye badhaii evam shubhkamnayen ...

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  8. सोचता हूं
    खंडहर में फिर सृजन की
    नई रेखा खोजता हूं।
    बहुत सुंदर रचना ......

    सराहनीय योगदान है आपका बधाई !

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  9. दो किनारों के मिलन की
    नई रेखा खोजता हूं। वाह ,,,, बहुत खूब
    ९५० वीं पोस्ट की बधाई,,,,शुभकामनाए,,,,,
    मिश्र जी की कविता की बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,,

    RESENT POST ,,,, फुहार....: प्यार हो गया है ,,,,,,

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  10. सुन्दर उद्देश्य... प्रेरक उपस्थिति!
    बधाई:)

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  11. आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 29/5/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |

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  12. तैरने से ग़ैरवाकिफ़
    लोग हैं उस छोर पर
    यह किनारा कूल लेकर
    क्या करूंगा।
    सोचता हूं,
    दो किनारों के मिलन की
    नई रेखा खोजता हूं।


    बेहतरीन व सुंदर रचना ....
    ऐसे ही ब्लॉगजगत में अपना सार्थक योगदान देते रहिये ....
    शुभकामनाएँ एवं ९५० वीं पोस्ट की बधाई स्वीकार करें !!

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  13. खंडहर में फिर सृजन की
    नई रेखा खोजता हूं ..

    बीते में गहराई से जाने ही नया कुछ मिल पाता है ... सजीव कविता ...
    बधाई ९५० पोस्ट की ...

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  14. 950 वीं पोस्ट की बधाई.......... बहुत सुंदर कविता.

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  15. ९५०वी पोस्ट की हार्दिक शुभकामना... यह आपके सतत लगन का द्योतक है... जहाँ तक श्याम नारायण मिश्र जी के गीत का सम्बन्ध है.. उनके गीत जीवन से जुड़े होते हैं.. रौशनी की तलाश करते हैं... सुन्दर गीत...

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  16. .खंडहर में फिर सृजन की
    नई रेखा खोजता हूं .. बहुत सुंदर कविता.....950 वीं पोस्ट कीआप को बहुत-बहुत बधाई.......

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  17. 950 no kee is post ke liye hardik badhayee..bahut hee acchi rachnayein padhne ko milti hain aapke blog pe..aapke is sarhneeya prayas ke liye hardik badhayee..

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  18. आपका ब्लॉग के प्रति समर्पण किसी दिन आपको बहुत आगे की ओर ले जाएगा । किसी को हो या नहो,मैं उस दिन का बेसब्री से इंतजार करूंगा । धन्यवाद ।

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  19. 950वीं कड़ी इस ब्लॉग पर गुरु को समर्पित है। यह प्रयास सराहनीय है। मनोज ब्लॉग हिंदी का उत्कृष्ट ब्लॉग कहा जा सकता है जिसमें साहित्य के लिए प्रेरणा और जीवन के अनुभवों से रची-पगी रचनाएं निरंतर प्रकाशित हो रहीं है। इस शुभ आकड़ें पर पहुंचने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं!!!

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  20. हार्दिक बधाई..... सतत लेखन जारी रहे , शुभकामनायें

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    उत्तर
    1. आप यूं ही लिखते रहें हम भी ऐसे ही आते रहेंगें ,चुनिन्दा रचनाओं का लुत्फ़ लूटने नाम चीन लोगों की .

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  21. खंडहर में फिर सृजन की
    नई रेखा खोजता हूं।


    आप यूं ही लिखते रहें हम भी ऐसे ही आते रहेंगें ,चुनिन्दा रचनाओं का लुत्फ़ लूटने नाम चीन लोगों की .

    जवाब देंहटाएं
  22. आप यूं ही लिखते रहें हम भी ऐसे ही आते रहेंगें ,चुनिन्दा रचनाओं का लुत्फ़ लूटने नाम चीन लोगों की .

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  23. आप यूं ही लिखते रहें हम भी ऐसे ही आते रहेंगें ,चुनिन्दा रचनाओं का लुत्फ़ लूटने नाम चीन लोगों की .

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  24. सोचता हूं
    खंडहर में फिर सृजन की
    नई रेखा खोजता हूं। behad sunder......

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  25. बहुत बधाई । खंडहर में सृजन सृष्टि का नियम है फिर हमारा क्यूं न हो ।

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  26. बहुत भावप्रणव प्रस्तुति।।
    --
    वाह क्या संयोग है?
    उच्चारण हमारी पर 1350वीं रचना और आपकी 950वीं...
    बहुत-बहुत बधाई!

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  27. बहुत ही बेहतरीन रचना...
    ९५० वी पोस्ट के लिए बहुत -बहुत बधाई :-)

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  28. दो किनारों के मिलन की
    नई रेखा खोजता हूं।
    सुंदर प्रेरक नवगीत....
    950 वीं पोस्ट की सादर बधाईयां....
    होता रहे नित नव जवां
    चलता रहे ये कारवां....

    सादर

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