बुधवार, 13 जून 2012

नीम


नीम

श्यामनारायण मिश्र

नीम के,
हम पेड़ कड़ुए नीम के।

कौन सी तासीर
बहती है धमनियों में,
साफ गोई
दूध की धोई टहनियों में,
समझ पायेंगे
    भला क्या
   दांत गिरवी क्रीम के।
***  ***  ***
चित्र : आभार गूगल सर्च

19 टिप्‍पणियां:

  1. मिश्र जी का छोटा सा किंतु बहुत असरदार नवगीत ....!!
    आभार मनोज जी ..!!

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  2. बहुत ही सुंदर और नीम के महत्व को बताने वाली छोटी सी कविता..

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  3. नीम की महिमा और उस जैसे लोगों की महिमा बताती रचना |बहुत अच्छी लगी |
    आशा

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  4. सुंदर प्रस्तुति के लिए साधुवाद.

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,मिश्र जी की एक बेहतरीन रचना,,,,,

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,

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  6. वाह...
    बहुत खूब!
    अच्छी भावाभिव्यक्ति है।
    --
    हमें भी लिखने के लिए नया विषय मिल गया!

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  7. वाह! क्या सुंदर....
    सादर आभार।

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  8. कम शब्दों में गज़ब की जादूगरी.

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  9. नीम क्डुवा जरूर है पर है गुणकारी....बहुत सुंदर प्रस्तुति,

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  10. किससे तुलना करूँ लेखनी से या लिखने वाले से ..नीम की..?

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  11. सचमुच अद्भुत नीम का गुण कडुवा लेकिन स्वस्थ्य ........

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