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लौट आए फिर सुए
श्यामनारायण मिश्र
छोड़कर
पर्वत, पवन, पानी टपकते रस भरे महुए।
पर्वत, पवन, पानी
टपकते रस भरे महुए।
पींजरों में लौट आए
लौट आए फिर सुए।
समय
साथी सोच सुख की नित नई अनुभूतियां।
साथी
सोच
सुख की
नित नई अनुभूतियां।
नदी
निर्झर नीड़ मौसम की नई आठखेलियां
निर्झर
नीड़
मौसम की
नई आठखेलियां
तोड़कर
नवजात किरणों के महकते अंखुए!
नवजात किरणों के
महकते अंखुए!
कविता की चित्रात्मक प्रस्तुति अच्छी लगी । धन्यवाद ।
अत्यन्त सुन्दर पंक्तियाँ...
बहुत ही बढ़िया
सुंदर प्रस्तुति.
बहुत सुंदर पंक्तियाँ सुए का मतलब नहीं समझ में आया है !
सुन्दर प्रस्तुतिसुए,तोते को भी बोलते है. vikram7: जिन्दगी एक .......
aabhar ....
ओह... अद्भुत स्फ़ूर्ति दे रहा है यह गीत !
सशक्त और प्रभावशाली रचना|
सुन्दर पंक्तियाँ ...
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.
चमत्कृत हूँ शब्द विन्यास से, अभिभूत हूँ अभिव्यक्ति से, और आभारी हूँ आपका कि आपने मिश्र जी के नवगीतों की यह श्रृंखला प्रस्तुत की है.. मिश्र जी के नवगीत कविता की पाठशाला हैं..
Waah...!!Shaandaar prastuti.Aabhaar...!!
टपकते रस भरे महुए।aur rasbhari rachna ...bahut sunder .
इस प्रस्तुति के लिए आभार...
शब्द-चयन और उनका समन्वय ज़बरदस्त है इस नवगीत में.श्याम मिश्र जी की नवगीत पर ज़बरदस्त पकड़ थी, ये मैं कह सकता हूँ.
वाह! बहुत बढ़िया...
बहुत सुन्दर भाव से लिखी है रचना !
सुन्दर ऋतु गीत !
बहुत सुन्दर गीत...सादर आभार...
आपका मूल्यांकन – हमारा पथ-प्रदर्शक होंगा।
कविता की चित्रात्मक प्रस्तुति अच्छी लगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंअत्यन्त सुन्दर पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंसुए का मतलब नहीं समझ में आया है !
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुए,तोते को भी बोलते है.
vikram7: जिन्दगी एक .......
aabhar ....
हटाएंओह... अद्भुत स्फ़ूर्ति दे रहा है यह गीत !
जवाब देंहटाएंसशक्त और प्रभावशाली रचना|
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियाँ ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएंचमत्कृत हूँ शब्द विन्यास से, अभिभूत हूँ अभिव्यक्ति से, और आभारी हूँ आपका कि आपने मिश्र जी के नवगीतों की यह श्रृंखला प्रस्तुत की है.. मिश्र जी के नवगीत कविता की पाठशाला हैं..
जवाब देंहटाएंWaah...!!
जवाब देंहटाएंShaandaar prastuti.
Aabhaar...!!
टपकते रस भरे महुए।
जवाब देंहटाएंaur rasbhari rachna ...
bahut sunder .
इस प्रस्तुति के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंशब्द-चयन और उनका समन्वय ज़बरदस्त है इस नवगीत में.
जवाब देंहटाएंश्याम मिश्र जी की नवगीत पर ज़बरदस्त पकड़ थी, ये मैं कह सकता हूँ.
वाह! बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव से लिखी है रचना !
जवाब देंहटाएंसुन्दर ऋतु गीत !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंसादर आभार...