आचार्य परशुराम राय
मंगलमय नववर्ष सभी का,
मंगलमय नववर्ष।
छल-छंद मिटे,
सब भ्रष्ट नपें,
भ्रष्टमुक्त हों देश सभी।
नदियाँ जग की
जलपूरित हों,
धरा वनस्पति के धन से
रहे सदा सम्पन्न।
जीवनदायी और सुखद बन
चलता रहे निरंतर
पवन वर्ष पर्यंत।
मंगलमय छन्दों में हो
आप सभी के लिए
गगन का सदा स्वस्ति वाचन।
प्राण चेतना का हो सबमें
निर्भय सदा सुखद संचार।
विश्वास सभी के
बनें सचेतन
आस्था का लेकर आभार।
यथा अर्थ-हित जीवन पथ पर
छाया हो आदर्श।
मंगलमय नववर्ष सभी का,
मंगलमय नववर्ष।
आपको भी नव वर्ष की शुभ मंगलकामनाएं ....!!
जवाब देंहटाएंनव वर्ष
जवाब देंहटाएंलाये जीवन में उत्कर्ष,हर्ष : -)
वाह,इससे अच्छी क्या कामना हो सकती है.
जवाब देंहटाएंबधाई हो नए साल की .
happy new year . fine composition
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
जवाब देंहटाएंतेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
नववर्ष में हमारी भी यही शुभकामनायें हैं।
जवाब देंहटाएंआचार्य जी!
जवाब देंहटाएंहमें तो आपका आशीष आपके श्रीमुख से प्राप्त हो चुकी है.. यहाँ पुनः हमारी भी शुभकामनाएं!!
नववर्ष कि शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंयही शुभ-कामनाएँ सब की, सब के लिये ,
जवाब देंहटाएंआपके लिये भी ,और अपने भी लिये.
*
'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया.....'
इसी में विश्व-मंगल की कामना निहित है
आपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं..
जवाब देंहटाएंनव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएं-समीर लाल
आपको नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर अभिलाषा है,कितना सुन्दर सपना है।
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर अभिव्यक्ति है,कितनी सुन्दर रचना है।।
नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
नूतन वर्ष, धवल आशाएँ
जवाब देंहटाएंद्युतिमय जीवन का आकाश,
अमित स्वास्थ्य, सुख, धन, वैभव की
पूरित हों अभिलाष।
आप सबको परिवार सहित नववर्ष 2012 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
नव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनायें ..बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमंगलमय नववर्ष हो।
जवाब देंहटाएंनूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं और सादर बधाई
जवाब देंहटाएंनए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये....
जवाब देंहटाएं"काव्यान्जलि":
नही सुरक्षित है अस्मत, घरके अंदर हो या बाहर
अब फ़रियाद करे किससे,अपनों को भक्षक पाकर,