फ़ुरसत में ...108
चिठियाना-टिपियाना चैट
चिठियाना | नमस्कार! तबियत ठीक है न ? |
टिपियाना | नमस्कार ! क्यूं तबियत के बारे में प्रश्न ..? |
चिठियाना | दरसल आज कल आप अचानक गायब हो जाते हैं, इसलिए पता ही नहीं चलता ..! |
टिपियाना | ओह हां!... तबियत ठीक ही है आजकल!! |
चिठियाना | इन दिनोँ आप गज़ब के साहित्यकार हो गए हैं, हों भी क्यों नहीँ... लोग आपकी साहित्यिक टिप्पणियों की बाट जो जोहते रहते हैं...! |
टिपियाना | हा हा आह, … सही कहा ... थैन्क्स ...! |
चिठियाना | ओह .. यह भी देना होता है? आज आपके विचार पढ़े, बहुत अच्छा लगा ... आज तो मुझे भी कुछ सुना दिया है उसमें |
टिपियाना | अरे नहीं ... वो आपके लिए नही है, कई लोग है जो ... मेरी ज़रूरत की कद्र नहीं करते ... |
चिठियाना | पर मैं भी ढीट हूँ ... इसलिए मेरे लिए भी है .. अब देखिये न, आपकी पिछली चर्चा सच में अच्छी थी फिर भी मैंने उसे अहमियत नहीं दी ... लेकिन एक बात मैँ भी कहुंगा ... आप .. खुद भी तो बिना पढ़े टिप्पणी करते हैं और दूसरों को नसीहत देते हैं कि... |
टिपियाना | आपने धर ही लिया |
चिठियाना | मेरा तो मन था कि आपके गुणों को जनता-जनार्दन के सामने उजागर कर ही दूँ ... |
टिपियाना | गुण? कौन से गुण???? |
चिठियाना | वही कि टिपियाते समय किन बातों का ध्यान आप खास तौर पर रखते हैँ ... जैसे, सभी रचनाओं पर सुन्दर-बढ़िया, अच्छी प्रस्तुति लिख कर सरक लेना आपकी सबसे बडी विशेषता है, बिना पढ़े ही, केवल कॉपी-पेस्ट कर देना आपका सर्वोत्तम गुण है। हम चिठियानों को खुश करने के लिए ऐसा करते हैं, और हमारी समझ में भी नहीं आता!! बस एक शिकायत है, अनुरोध समझिये.. कभी कभार रचना के बारे में भी तो, कुछ ना कुछ लिख दिया करें। आँख मूँद कर, एक तरह की बातें कब तक टिपियाते रहोगे। यह तो बिल्कुल नहीं जरूरी, कि तुम हर जगह टिपियाओ ही। और उस पर से अपमानित करने वाली बातें लिख कर दूसरों को सीख भी दे दिया कर्ते हो आप!! |
टिपियाना | हाहाहा!! यार तुम्हारा भी सेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का है!! |
चिठियाना | फिर वही बात कहोगे कि मैँ जानबूझ कर पंगा कर रहा हूँ :) मगर इधर कई दिनों से आपका औपचारिक टिपियाना देख कर साबित ही हो गया कि बिना पढ़े टिपियाने की कला के आप माहिर खिलाडी हैँ. |
टिपियाना | अब आप जो भी कह लेँ, आपने भी जवाब तो दे ही दिया बिना हमारा नाम लिखे ... |
चिठियाना | हां, थोड़ा खराब तो लग रहा था .. पर नाम आपका नहीं लिया ..आपकी प्रतिष्ठा का प्रश्न था!! |
टिपियाना | बस इसी मुरौव्वत में रहिये आप तो .. क ख ग ने तो ऐसा नहीं किया ना और उसने नाम भी लेकर दिल की भड़ास निकाल ली। |
चिठियाना | अरे आपको किसी के लिखने से क्या फर्क पड़ने वाला है, कौन सा आप दुबारा घटनास्थल पर जाते हैँ... |
टिपियाना | यह भी सही है … जिसे पहली बार ही पढने की फुर्सत नहीं वो दुबारा क्यों आएगा ? |
चिठियाना | खैर जाने दीजिये, आजकल तो आप चर्चा में भी छाए हुए हैं .. |
टिपियाना | हां जब फ़ुरसत में होता हूं तो पार्ट-टाइम यह भी कर लेता हूं। |
चिठियाना | पर उसमें तो आप सलेक्टेड लोगों को ही जगह देते हैं। |
टिपियाना | ऐक्चुअली, मैंने एक क्राइटेरिया बना रखा है... जो भी मेरे “फ़ुरसत में” मेँ लिखे गए पोस्ट को पढ़ता है ... बिकॉज़ आई थिंक कि फ़ुरसत में मेरा बेस्ट होता है ... इसलिए कोई मेरा फ़ुरसत में नहीं पढे तो मुझे किस श्वान ने काटा है जो उसके ब्लोग के लिए चार छह घंटे दूँ ..! |
चिठियाना | आज कल तो आपकी कलम का कमाल देखते ही बनता है आपके लेखन मेँ.. |
टिपियाना | थैन्क्स! आज आपने अपने ब्लॉग पर कोई नई पोस्ट नहीं लगाई। |
चिठियाना | हां, आज कोई नाटक रचने का मन था, पर उसके लिए समय नहीं मिला। और फिर इसी बीच आपकी नई चर्चा की पोस्ट तैयार हो गई ..? |
टिपियाना | कर रहा हूं चछज को पढ़ा, और सशष ने अपनी पोस्ट को मेल किया वहां, जाकर पढा और उस पोस्ट में तथद का लिंक था.. उसे पढ़ा तो देखा वहां १०० कमेंट है और सारे विद्वान अपने विचार दे आए हैं, फिर उसे चर्चा में हमारा क्या लेना-देना था? |
चिठियाना | हा हा ..यानि आज मेल मुलाक़ात की काफी पोस्ट चर्चा के लिए ले रखी है आपने.. वैसे आजकल ये ट्रेंड भी काफ़ी ज़ोर से उभरा है कि मूल पोस्ट से ज़्यादा बड़ी-बड़ी पोस्ट लोग टिप्पणी में झोँक देते हैं |
टिपियाना | हां, आज हम भी बहती गंगा में हाथ धो आए। पफब से बदला लेना था तो हमने भी उसके ख़िलाफ़ खूब लिख मारा। आज तो मेरे विचार उसके विरुद्ध थे इसलिए तिलमिला गया होगा। ... मेरी समझ मेँ नहीं आता कि अपने विचार दूसरों पर थोपते क्यों हैं लोंग ... उसकी यह आदत मुझे अच्छी नहीं लगती ... अरे जो मिल कर खुश हैं उनको होने दो ... लेकिन नहीँ! उसे लगता है कि वो ही सबसे ज़्यादा जानकार है ... भाई तुम्हारे पेट में दर्द क्यों होने लगता है! |
चिठियाना | हम्म ठीक ही कहा आपने, .. वैसे सब कहेंगे टिप्पणी नहीं चाहिए |
टिपियाना | अरे भाई, दस्तूर कहो या व्यापार, सबको टिप्पणी चाहिए! कोई लिंक दे कर करता है तो कोई ... आप न जाइए तो आपके यहां टिपियाकर आपको याद दिलाएंगे ... अब हमने भी सोच लिया है कि ऐसे लोगों को जवाब ज़रूर देना चाहिए, बहुत दिन चुप रह लिए .. आज की चर्चा में इस बात को ज़रूर उठाऊंगा। हाँ, और क्या! अब यही करेंगे... आज से चर्चा में भड़ास निकाला करेंगे.. तो फिर यरल जी को खींचते हैं आज की पोस्ट मे |
चिठियाना | हाहा टिपियाने वाली बात लेकर यह काम आप ही कर सकते हैं |
टिपियाना | आपके साथ आज के इस चैट में बड़े काम की बातेँ पता चली हैँ... आज तो इसी से एक रोचक पोस्ट बन जाएगी ... |
चिठियाना | क्या काम की बात है ? अब तो आपसे बात करते भी डर लगेगा कि न जाने कौन सी बात का फसाना यानि पोस्ट बना दें आप!! |
टिपियाना | हाहाहा, अरे आप तो ख्वाम्ख्वाह डर रहे हैँ... आप मत डरें, ... मेरे पोस्ट में न किसी का नाम होता है न किसी की शिकायत, नाम होगा तो तारीफ़ के लिए ही ... आपका कोई भी स्टेटमेंट हम बड़े सलीके से यूज़ करेंगे आप बेफ़िक्र रहें. इस मामले मेँ हमारा क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम बिल्कुल दुरुस्त है!! |
चिठियाना | अरे महाराज! कई बार तो यूँ ही बातोँ-बातोँ मेँ कोई नया प्लौट मिल जाता है. |
टिपियाना | हाँ यह तो है! |
चिठियाना | ओह्हो!! बहुत समय ले लिया आपका, आपकी चर्चा लग गयी क्या? आज उसका भी दिन है ? |
टिपियाना | टाइम मैनेज्मेँट बॉस!! आपसे चैट के साथ साथ वो भी चल ही रहा है!! |
चिठियाना | और चार पाँच जगह चैट भी चल रही होगी ;) ;) |
टिपियाना | नहीं अब शान्त हो गया है … शाम छह बजे से थे अब आकर चले गए. |
चिठियाना | यानि की सब चल ही रहा था अभी तक न!! |
टिपियाना | हाहाहा यह तो चलता रहता है ... चर्चा के लिए चौदह पोस्ट सलेक्ट हो गए हैं छह पोस्ट और लेने हैं |
चिठियाना | अच्छा तो एक मदद हम कर देते हैं .. http://चिठियाना.blog-post.html यह लीजिए! |
टिपियाना | अच्छा है आपने एक और कम कर दिया ... मेरा बोझ एक बटा बीस हल्का हो गया। |
चिठियाना | चलिए अब... मुझे अनुमति दीजिये!! आप लगाइए चर्चा शुभरात्रि! |
टिपियाना | जी शुभरात्रि!! |
हा हा , हमहू सोच रहे थे आप इतने दिनों के लिए गायब हो जाते है तो कुछ तबियत का हाल पुछा जाय . आपकी साहित्यिक टिपण्णी हमरे लिए संजीवनी बूटिये है , आप आजकल कहाँ चर्चा कर रहे है . हम भी आपका १/२० कम हल्का करने की सोच रहे है . एकदम मस्त टाइप का वार्तालाप . .
जवाब देंहटाएंहाहाहा, अरे आप तो ख्वाम्ख्वाह डर रहे हैँ... आप मत डरें, ... मेरे पोस्ट में न किसी का नाम होता है न किसी की शिकायत, नाम होगा तो तारीफ़ के लिए ही ... आपका कोई भी स्टेटमेंट हम बड़े सलीके से यूज़ करेंगे आप बेफ़िक्र रहें. इस मामले मेँ हमारा क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम बिल्कुल दुरुस्त है!!
जवाब देंहटाएंhan aap ko janNe wale aapke is hunar ko jante honge ki n kisi ka naam hota hai n shikayat, balki tareef hogi aur uske statement ko bade saleeke se use karte hain. aur apka time management/quality control se bhi sabhi vakif hain.
bahut sare points uthaye hain aapne BADE SALEEKE se aur apni baat bhi kah di. apke is hunar ko hame bhi seekhna chaahiye.
चिठियाना टिपियाना करके अपने मन की भड़ास निकाल लिए ,चलिए ये भी कहना जरूरी था,,,और बात भी सच है..,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
:):) अब तो आपसे चैट करते डर ही लगेगा किसी को भी ....कब धर लिए जाएँ .....रोचक प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंचिठियाना टिपियाना को चैट करवा कर सब कुछ उगल दिया और दूसरों को डराने का पूरा पूरा इंतजाम कर दिया. वैसे रोचक व्यंग्य के जरिये सब कुछ कह दिया.
जवाब देंहटाएंसेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का है!!
जवाब देंहटाएंसमझने वाले समझ गये ...जो ना समझे वो अलाजी (निर्लज्ज) है ...
जवाब देंहटाएंकई बार लगता है कि ब्लॉग पर भी वैचारिक व्यापार चालू हो गया है। मैं इस व्यापार को वैचारिक मूढ़ता कहता हूँ, इस मूढ़ता से भय भी लगता है क्योंकि समाज की यह गति किसी दिन शून्यता उत्पन्न करने वाली है।
देखने में गम्भीर लगने वाले मनोज भैया को भी कुछ चीज़ें चुभती हैं । अच्छा है यह चुभन चुभन व्यंग्य में क्या ख़ूब प्रेसीपिटॆट हुई है।
अब इसके बाद कुछ तो लाज आनी ही चाहिये ...लोगों को।
baaton hee baateon me ishara ho gaya..vyangya ka perahaar ye karara ho gaya..shandaar
जवाब देंहटाएंचल कर चिठिया भी लिया जाये...
जवाब देंहटाएंसुन्दर-बढ़िया, अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचलिए आज आपने भी भड़ास निकाल ही ली। :)
जवाब देंहटाएंकमाल का कुनैन वाला गोली दाग दिए हैं आप भाई जी!! हम त सोच रहे थे कि लिखना आई मीन चिठियाना सुरू करें.. बाक़ी अ तनी सोचना पडेगा!! जबरजस्त छापे हैं!!
जवाब देंहटाएंअदभुद...
जवाब देंहटाएंक ख ग से कर गजब, पूरा पाठ पढाय |
जवाब देंहटाएंचिठियाना-टिपिया दिए, नहीं अलाय-बलाय |
नहीं अलाय-बलाय, बड़े लेखक चालू हैं |
चार जगह पर चुस्त, शेष पर बस टालू हैं|
रविकर का अंदाज, यहाँ आधे से ज्यादा |
करते हैं व्यापार, टिप्पणी की मर या दा ||
चिट्ठाकार चर्चा करना पसंद करते हैं बदले में कभी किसी दूसरों के ब्लॉग में टिपियाना पसंद नहीं करते हैं और तो गुटबाजी भी खूब जमकर उमड़ रही है इसके कारण अन्यों को मौका नहीं दिया जाता है ....
जवाब देंहटाएंकई ब्लागर टिप्पणि खाना पसंद करते हैं और बदले में टिप्पणी देना पसंद नहीं करते हैं ...
जवाब देंहटाएंसात साल का अनुभव है नाम नहीं गिनाना चाहूँगा ...
कभी कभार रचना के बारे में भी तो, कुछ ना कुछ लिख दिया करें।
जवाब देंहटाएंyae maere baarae mae thaa kyaa ???:):):)
उफ़्फ़!
हटाएंप्रश्न के बाद स्माइली लगाने से (शायद) तोहमत का वेट कम होता प्रतीत नहीं होता।
उफ़्फ़!
हटाएंisae black humor kehtae haen aap is sae parichit hi haen :):):)
हटाएंबढिया संवाद है। :)
जवाब देंहटाएंडर लग रहा है क्या टिप्पणी करूँ ? अच्छी पोल खोली ......
जवाब देंहटाएंयकीन मानिये अच्छी तरह से पढ़कर ही कह रही हूँ
बहुत सुंदर ...सार्थक रचना !
अब तो चिठियाना जी गायब हैं,बतियाना और टिपियाना जी ही मोर्चा संभाले हैं.
जवाब देंहटाएंनाम अपने किसी का भी नहीं लिया पर पढ़ कर बहुत मजा आया ...-:)
जवाब देंहटाएंक्या बात है. बहुत मजेदार.
जवाब देंहटाएंमज़ा आया पढ के बहुत ...
जवाब देंहटाएंऐसा भी होता है ...
चिठियाने वाले और टिपियाने वालों के डीएनए में ही फर्क है...एक टिपिया के वाह-वाह लूट लेता है...चिठिया बांचने में तो वक्त लगता है...जो किसी के पास है नहीं...
जवाब देंहटाएंजोरदार रहा ये संवाद । टिपियाना के बारे में आपके विचार बडे सही हैं । चिठियाने बेचारे सही कद्रदाँ का इन्तजृार ही करते रह जाते हैं । नाम नही बताया तो अनुमानों का काफी स्कोप है ।
जवाब देंहटाएंरोचक अफसाना टिपियाना और चैटियाना !
जवाब देंहटाएंहमने आपका यह चिचियाना भी पढ़ डाला।
जवाब देंहटाएंअब तो आप से चैट भी बड़ी संभाल कर करनी होगी ... ;-)
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