चौखटों को फूल क्या भेजें
श्यामनारायण मिश्र
दर्द के क़िस्से सुनाता मृग
पवन कहता, वन बहुत रमणीक है !
चोंच छैनी-सी लिए बगुले,
नापने को तुले पूरी सतह।
वंश के अस्तित्व की चिंता,
सोन मछली, ढूंढ़ती फिरती जगह।
स्रोत बर्फीले, मुहाने ज्वार,
नदी कहती, हाल एकदम ठीक है।
चौखटों को फूल क्या भेजें,
चिंगारियां झरतीं झरोखे से।
वक्ष पर उगा कटीला पेड़,
खा गए थे, बीज धोखे से।
मूर्च्छा तो टूट जाए, पर
सांप की बाबी बहुत नज़दीक है।
दांत पीसें, ओंठ भींचें,
अपने मुंह, पेट को पापी कहें।
मुट्ठियां ताने, भौंह खींचें,
जुल्म अपने ही भला कब तक सहें।
बहुत दुर्बल बैल, जर्जर बैलगाड़ी,
बीहड़ों से गुज़रती लीक है।
*** *** ***
चित्र : आभार गूगल सर्च
सुंदर एवं सार्थक कविता।
जवाब देंहटाएंईद की दिली मुबारकबाद।
............
हर अदा पर निसार हो जाएँ...
चित्र अंकित कर विडंबना के भाव भाषा से कहाँ उन्नीस हैं !
जवाब देंहटाएंमूर्च्छा तो टूट जाए, पर
जवाब देंहटाएंसांप की बाबी बहुत नज़दीक है।
वाह ...
नदी कहती है या उससे कहलाया जाता है --- हाल एकदम ठीक है..
जवाब देंहटाएंशायद कहलाया ही जाता हो!!
हटाएंसुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर एवं सार्थक रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी रचना..
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २१/८/१२ को http://charchamanch.blogspot.in/ पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंKya kahun,kuchh samajh nahee aata! Itna sundar kaise likh lete hain aap?
जवाब देंहटाएंवक्ष पर उगा कटीला पेड़,
जवाब देंहटाएंखा गए थे, बीज धोखे से।
मूर्च्छा तो टूट जाए, पर
सांप की बाबी बहुत नज़दीक है,,,,
वाह!!!!!!मनोज जी इस बेहतरीन रचना पढवाने के लिए आभार,,,,
RECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,
बहुत सुंदर एवं सार्थक रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसार्थक करते भाव .....
जवाब देंहटाएंचौखटों को फूल क्या भेजें,
जवाब देंहटाएंचिंगारियां झरतीं झरोखे से।
वक्ष पर उगा कटीला पेड़,
खा गए थे, बीज धोखे से।
मूर्च्छा तो टूट जाए, पर
सांप की बाबी बहुत नज़दीक है।
गहरा दर्द और गहराता दरिया दर्द का
वाह.....
जवाब देंहटाएंवक्ष पर उगा कटीला पेड़,
खा गए थे, बीज धोखे से।
मूर्च्छा तो टूट जाए, पर
सांप की बाबी बहुत नज़दीक है।....
बेहतरीन रचना...
सादर
अनु
अवाक करती है हर बार इनकी कवितायें.. !!
जवाब देंहटाएंहाँ नदी ही कहती है हाल एक दम ठीक हैं ,नगर में कर्फ्यू है ,स्थिति नियंत्रण में है ,कहीं से किसी दुर्घटना का कोई समाचार नहीं है ,सेना ने अभी अभी फ्लेग मार्च किया है ...यही विडंबना है यहाँ भी वहां भी ....असम से बेंगलुरु तक .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
सोमवार, 20 अगस्त 2012
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
बहुत सुंदर गीत.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत |आभार
जवाब देंहटाएंश्यामनारायण मिश्र जी का हर मोती सहेजने लायक है !
जवाब देंहटाएंआभार !
चौखटों को फूल क्या भेजें,
जवाब देंहटाएंचिंगारियां झरतीं झरोखे से।
वक्ष पर उगा कटीला पेड़,
खा गए थे, बीज धोखे से।
मूर्च्छा तो टूट जाए, पर
सांप की बाबी बहुत नज़दीक है।
बहुत ही सुंदर...बीहड़ों में परम्परा की दिखाई लीक ही काम आती है।
बहुत सुंदर गीत
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