शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

शिवस्वरोदय – 65


शिवस्वरोदय – 65

आचार्य परशुराम राय
पिछले अंक में छायोपासना के परिणाम स्वरूप आकाश में दिखाई पड़नेवाली भगवान शिव की आकृति तथा छाया के वर्ण, भग्न अंग आदि के द्वारा भावी नुकसान और उपलब्धियों के विषय में पता चलता है। इसी का विवरण इन श्लोकों में बताया गया है।

तद्रूपं कृष्णवर्णं यः पश्यति व्योम्नि निर्मले।
षण्मासान्मृत्युमाप्नोति स योगी नात्र संशयः।।356।।

भावार्थ – यदि वह रूप (भगवान शिव की आकृति) कृष्ण वर्ण का दिखाई पड़े, तो साधक को समझना चाहिए कि आने वाले छः माह में उसकी मृत्यु सुनिश्चित है।
English Translation – If the shape of Lord Shiva appearing in the sky is black, the practitioner should understand that his death will take place within six months.

पीते व्याधिर्मयं रक्ते नीले हानिं च विनिर्दिशेत्।
नानावर्णोSथ चेत्तस्मन् सिद्धिश्च गीयते महान्।।357।।

भावार्थ – यदि वह आकृति पीले रंग की दिखाई पड़े, तो साधक को समझ लेना चाहिए कि वह निकट भविष्य में बीमार होनेवाला है। लाल रंग की आकृति दिखने पर भयग्रस्तता, नीले रंग की दिखने पर उसे हानि, दुख तथा अभावग्रस्त होने का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि आकृति बहुरंगी दिखाई पड़े, तो साधक पूर्णरूपेण सिद्ध हो जाता है।
English Translation – Yellow appearance of the shape indicates that the practitioner will get sickness in near future. Red colour indicates fear; blue colour indicates loss, miseries and lacking in all respect. But if it appears in various colours, the practitioner gets all yogic powers.

पदे गुल्फे च जठरे विनाशो क्रमशो भवेत्।
विनश्यतो यदा बाहू स्वयं तु म्रियते ध्रुवम्।।358।।

भावार्थ – यदि चरण, टाँग, पेट और बाहें न दिखाई दें, तो साधक को समझना चाहिए कि निकट भविष्य में उसकी मृत्यु निश्चित है।
English Translation – In case feet, legs, stomach and arms are not visible in his own shadow, practitioner should understand that he is going to die in near future.

वामबाहौ तथा भार्या विनश्यति न संशयः।
दक्षिणे बन्धुनाशो हि मृत्युमात्मनि निर्दिशेत्।।359।।

भावार्थ – यदि छाया में बायीं भुजा न दिखे, तो पत्नी और दाहिनी भुजा न दिखे, तो भाई या किसी घनिष्ट मित्र अथवा समबन्धी एवं स्वयं की मृत्यु निकट भविष्य में निश्चित है।
English Translation – If left arm of the shadow is not visible, death of his wife and if right arm is not visible, death of his close friend or relative and practitioner is certain in near future.

अशिरो मासमरणं बिनाजंघे दिनाष्टकम्।
अष्टभि स्कंधनाशेन छायालोपेन तत्क्षणात्।।360।।

भावार्थ – यदि छाया का सिर न दिखाई पड़े, तो एक माह में, जंघे और कंधा न दिखाई पड़ें तो आठ दिन में और छाया न दिखाई पड़े, तो तुरन्त मृत्यु निश्चित है।
English Translation – If head of the shadow is not visible, the practitioner dies within one month; if thighs and shoulders are invisible, he dies within eight days and if shadow itself is invisible, he dies immediately then and there.

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8 टिप्‍पणियां:

  1. पूर्ण रूप से शोध का विषय है...

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  2. Kya shiv-swaroday men is bare men bhi kuchh kaha gaya hai ki kya-kya dikhne se umra badh sakti hai?

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  3. प्राचीन साहित्य को सहज बना रही है यह श्रंखला.. आपको हार्दिक बधाई...

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  4. है तो यह रोचक शास्त्र! आपकी प्रस्तुति इसे सहज बना दे रही है।

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  5. अद्भूत विज्ञान का परिचय कराया आपने ...शिव!!!शिव!!!शिव!!!

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