सोन पर उतरी सुबह मधुमास की।
आपने महका दिया परिवेश
सोन पर उतरी सुबह मधुमास की।
आपका प्रतिबिंब पानी पर पड़ा
दौड़कर लहरें किनारे आ गईं।
खिलखिलाकर हंस दिए जो आप
मंदिरों की घंटियां टकरा गईं।
चपल चितवन ने दिया संदेश
सोन पर उतरी सुबह मधुमास की।
वक्ष तक गहराइयों में डूबकर
आपकी उनमुक्त जल-अठखेलियां।
सोन के आंचल में जैसे खिल उठीं
खूबसूरत मधुर बोगन बेलियां।
ज्वार सा जल में बढ़ा आवेश
सोन पर उतरी सुबह मधुमास की।
किसी जादूगर के हाथों आज की
भोर लगता है कहीं पर छू गई
आपकी मज़ूदगी में सोन की
बहुत भीतर तक उतर ख़ुशबू गई
रेत पर कल ढ़ूंढ़ती अवशेष
सोन पर उतरी सुबह मधुमास की।
ज़बरदस्त लयात्मकता,माधुर्य तथा शिल्पगत खूबियों के साथ सौन्दर्यबोध कराता श्यामनारायण मिश्र जी का नवगीत पढ़ कर मज़ा आ गया.आभार.
जवाब देंहटाएंप्राकृतिक संवेदनाओं का सौन्दर्यपूर्ण निरूपण।
जवाब देंहटाएंPrakriti ke saundarya ka bahut hi sunder varnan... sunder prastuti.
जवाब देंहटाएंप्रकृति का इतना सुंदर निरूपण, सरल शब्दों में रचित मधुर गीत साथमे इतना सुंदर भाव बहुत जबरदस्त प्रभाव छोड़ती है.
जवाब देंहटाएंमिश्र जी और मनोज जी आप दोनों का बहुत आभार.
भोर का बहुत सुन्दर वर्णन ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपका प्रतिबिंब पानी पर पड़ा
जवाब देंहटाएंदौड़कर लहरें किनारे आ गईं।
खिलखिलाकर हंस दिए जो आप
मंदिरों की घंटियां टकरा गईं ...
।प्रेम और प्राकृति का अनूठा बंधन ... लाजवाब बहुत ही मधुर गीत है ...
वाह्………प्रकृति और प्रेम का बेहतरीन सम्मिश्रण्।
जवाब देंहटाएंसोन की सुबह तो यहाँ तक छा गई बन्धुवर! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंसुन्दर श्रृंगार रस की कविता !
जवाब देंहटाएं"आपके आने से सारा आलम महक उठा है"
जवाब देंहटाएंसे कहीं ज़यादा ताज़गी लगी इन शब्दों में:-
"आपने महका दिया परिवेश"
वाह वाह वाह
आपका प्रतिबिंब पानी पर पड़ा
जवाब देंहटाएंदौड़कर लहरें किनारे आ गईं।
खिलखिलाकर हंस दिए जो आप
मंदिरों की घंटियां टकरा गईं।
चपल चितवन ने दिया संदेश
सोन पर उतरी सुबह मधुमास की
जीवंत शब्द चित्र को उकेरतीं जादुई पंक्तियाँ !
भाव और शिल्प दोनों से समृद्ध , प्रेम रस में सना , यति-गति-लय से युक्त , मनमोहक नवगीत......
जवाब देंहटाएंआदरणीय मिश्र जी की इतनी सुन्दर रचना पढ़कर मन आनंदित हो गया |
प्रस्तुति के लिए आभार...
सोन पर उतरती मधुमास की सुबह का चित्रांकन बड़ा ही प्यारा है।
जवाब देंहटाएंमिश्र जी की कलम को सलाम!
जवाब देंहटाएंइनके हाथ चूमने को मन कर रहा है!
किसी रोमन वास्तुशिल्पी की बनाई किसी धवल प्रतिमा सी कविता.. शब्दों का सौंदर्य ढलकर मूर्ति में साकार हो गया!!
जवाब देंहटाएंलग रहा है...सोन नदी के घाट पर आना ही पड़ेगा...सटीक चित्रण किया है...कृपया जगह और समय बताएं...
जवाब देंहटाएंसुन्दर, सुघढ़ और मन को मोहने वाला नवगीत।
जवाब देंहटाएंअपना मन भी सोन नदी सा बह चला।
वाह!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
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