-- --- मनोज कुमार
भोलू प्रतिदिन की भांति उस दिन भी अपने ईष्ट देव पर चढ़ाने के लिए फूल लेने घर से निकला था। आहाता पार कर सड़क के पास पहुंचा ही था कि उसे सड़क के इस पार काफी भीड़ दिखाई दी। उस पार फुटपाथ पर मालन बैठती है, जिससे वह फूल लेता है। उसका यह प्रतिदिन का नियम है। पर आज वह जाए तो कैसे जाए ? सड़क के किनारे की भीड़ तो रास्ता रोके खड़ी है ही ऊपर से पुलिस भी डंडा लिए लोगों को सड़क पार जाने नहीं दे रही है। भोलू ने वहां खड़े एक व्यक्ति से पूछा, “माज़रा क्या है...।” वह व्यक्ति भी थोड़ी ठिठोली करने के मूड में था, .... बोला “हमारे माई-बाप, मतलब...मेरे कहने का मंतरी जी आ रहें हैं। उहे से रास्ता रोक दिया गया है।” भोलू को लगा अब तो जब रास्ता साफ होगा तभी वह सड़क पार कर सकेगा। वह पास के चबूतरे पर बैठ गया। इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर बाद उसे सायरन की आवाज़ सुनाई देने लगी, फिर गाड़ियों का काफिला दिखा। सबसे आगे पुलिस की गाड़ी, बंदुकों से लैस जवान। फिर सफेद लाल बत्ती वाली गाड़ी। उसके पीछे फिर से पुलिस और बंदूक वाले जवानों की गाड़ियां। तेज़ी से चिल्ल-पों करते हुए काफिला गुज़र गया।
भोलू सड़क की ओर बढ़ा। पर भीड़ अभी-भी टस-से-मस नहीं हुई थी। पुलिस वाले अब भी लोगों को जाने नहीं दे रहे थे। भोलू ने फिर उसी, भीड़ और सारे माज़रे का मज़ा ले रहे व्यक्ति से पूछा, “अब क्या है...जाने क्यों नही दे रहे?” इस बार बग़ैर किसी ठिठोली के वह बोला, “एक दुर्दांत अपराधी पकड़ा गया है। उसने पूरे राज्य में तबाही मचा रखी थी। उसे ही अपराध शाखा के मुख्यालय ले जाया जा रहा है...।” भोलू चबूतरे पर आकर खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद फिर सायरन, फिर पुलिस और बंदुकों से लैस जवान की गाड़ियां, फिर बरबख़्तबंद गाड़ी, उसके पीछे फिर से पुलिस और बंदूक वाले जवानों की गाड़ियां। भोलू को लगा फ़र्क सिर्फ लाल बत्ती के होने-न-होने का था। बांक़ी सब तो समान ही था।
.... काफिला गुज़र गया था। भीड़ छंट चुकी थी। रोड पर सन्नाटा पसरा था। सड़क के उस पार फुटपाथ पर मालन फूल की दुकान सजा चुकी थी। पर पता नहीं क्यों भोलू के मन पर एक अवसाद सा छाया था। वह अपने घर की तरफ लौट चला। सोच रहा था आज ईष्ट देव को बिना फूल-माला के ही पुजूंगा। ... ...
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भोलू प्रतिदिन की भांति उस दिन भी अपने ईष्ट देव पर चढ़ाने के लिए फूल लेने घर से निकला था। आहाता पार कर सड़क के पास पहुंचा ही था कि उसे सड़क के इस पार काफी भीड़ दिखाई दी। उस पार फुटपाथ पर मालन बैठती है, जिससे वह फूल लेता है। उसका यह प्रतिदिन का नियम है। पर आज वह जाए तो कैसे जाए ? सड़क के किनारे की भीड़ तो रास्ता रोके खड़ी है ही ऊपर से पुलिस भी डंडा लिए लोगों को सड़क पार जाने नहीं दे रही है। भोलू ने वहां खड़े एक व्यक्ति से पूछा, “माज़रा क्या है...।” वह व्यक्ति भी थोड़ी ठिठोली करने के मूड में था, .... बोला “हमारे माई-बाप, मतलब...मेरे कहने का मंतरी जी आ रहें हैं। उहे से रास्ता रोक दिया गया है।” भोलू को लगा अब तो जब रास्ता साफ होगा तभी वह सड़क पार कर सकेगा। वह पास के चबूतरे पर बैठ गया। इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर बाद उसे सायरन की आवाज़ सुनाई देने लगी, फिर गाड़ियों का काफिला दिखा। सबसे आगे पुलिस की गाड़ी, बंदुकों से लैस जवान। फिर सफेद लाल बत्ती वाली गाड़ी। उसके पीछे फिर से पुलिस और बंदूक वाले जवानों की गाड़ियां। तेज़ी से चिल्ल-पों करते हुए काफिला गुज़र गया।
भोलू सड़क की ओर बढ़ा। पर भीड़ अभी-भी टस-से-मस नहीं हुई थी। पुलिस वाले अब भी लोगों को जाने नहीं दे रहे थे। भोलू ने फिर उसी, भीड़ और सारे माज़रे का मज़ा ले रहे व्यक्ति से पूछा, “अब क्या है...जाने क्यों नही दे रहे?” इस बार बग़ैर किसी ठिठोली के वह बोला, “एक दुर्दांत अपराधी पकड़ा गया है। उसने पूरे राज्य में तबाही मचा रखी थी। उसे ही अपराध शाखा के मुख्यालय ले जाया जा रहा है...।” भोलू चबूतरे पर आकर खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद फिर सायरन, फिर पुलिस और बंदुकों से लैस जवान की गाड़ियां, फिर बरबख़्तबंद गाड़ी, उसके पीछे फिर से पुलिस और बंदूक वाले जवानों की गाड़ियां। भोलू को लगा फ़र्क सिर्फ लाल बत्ती के होने-न-होने का था। बांक़ी सब तो समान ही था।
.... काफिला गुज़र गया था। भीड़ छंट चुकी थी। रोड पर सन्नाटा पसरा था। सड़क के उस पार फुटपाथ पर मालन फूल की दुकान सजा चुकी थी। पर पता नहीं क्यों भोलू के मन पर एक अवसाद सा छाया था। वह अपने घर की तरफ लौट चला। सोच रहा था आज ईष्ट देव को बिना फूल-माला के ही पुजूंगा। ... ...
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kathor kintu satya vyangya.........
जवाब देंहटाएंATI UTAM LEKHNI......... PAR AAP KA MATLAB KUCHH JYADA CLEAR NAHI HOOA. PLEASE CLEAR KAREN AAPNI BAAT.
जवाब देंहटाएंkatha achi hai.ant par mai apne niskarsh dhund raha hu.
जवाब देंहटाएंहम्म!! बेहतरीन...काफी कुछ सोचने को मजबूर कर गया.
जवाब देंहटाएंvery good. this is the picture of our society. thanks for the pol-khol short story
जवाब देंहटाएंInteresting story..
जवाब देंहटाएंलधु किंतु गंभीर कथा। संवेदनशील।
जवाब देंहटाएंअच्छी है। काफी गूढ़ अर्थों के साथ।
जवाब देंहटाएंsach nein sochane pe majboor karti hai yeh laghu katha.
जवाब देंहटाएंgood one. but needs a lot of exercise to reach out the message.
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