गंगा, कमला, बागमती, कोशी और गंडक के प्रसस्त अंचल तिरहुत में एक कहावत है, "जिसका काम उसी को साजे ! कोई और करे तो डंडा बाजे !!" अब भी कहावत है तो यूँ ही नहीं है ! कैसे बनी कहावत... क्या है इसका मतलब... यह सब जानने के लिए आपको चलना पड़ेगा मेरे साथ रेवाखंड !-- करण समस्तीपुरी
तिरहुत के गण्डकी पुर में एक मनोरम गाँव है, रेवाखंड ! उसी गाँव में एक किसान रहता है! उसने एक
कुत्ता और एक गधा पाल रक्खा था ! वो अपने जानवरों को बहुत प्यार करता था . जानवर भी अपने मालिक को बहुत चाहते थे. एक दिन किसान की घरवाली कुत्ते को खाना देना भूल गयी ! कुत्ता नाराज़ हो गया !
संयोग से उसी रात किसान के घर में कुछ चोर घुस आये ! पर नाराज़ कुत्ता बोला ही नहीं! गधे ने उसे भौंकने को कहा तो उसने जवाब दिया कि उसे खाना नहीं मिला है इसीलिए वह काम नहीं करेगा. लेकिन गधे ने सोचा, "अगर शोर नहीं किया तो मालिक के घर चोरी हो जायेगी. सो वह खुद जोर-जोर से ढेंचू ढेंचू करने लगा. दिन भर का थका मांदा किसान सो रहा था. बेचारा चिढ कर उठा और गधे को दे दना दन... दे दना दन... पीट दिया. गधा चुप हो गया.
सुबह किसान सो कर उठा तो घर का सारा सामान गायब पा कर उसे समझते देर न लगी कि रात गधा क्यूँ ढेंचू ढेंचू कर रहा था. लेकिन अब उसे गुस्सा कुत्ते पे आया ! अगर कुत्ते ने भौंका होता तो चोरी भी नहीं होती और बेचारे गधे को मार भी नहीं पड़ती ! गुस्से में बौखलाया किसान वही रात बाला डंडा उठाया और कुत्ते पर भी दोहरा बजा दिया. गधा समझ नहीं पाया लेकिन आप तो समझदार हो ! तो समझे कि नहि ??? अजी ! भौंकना कुत्ते का काम था लेकिन गधे ने वो किया इसीलिये उस पर डंडे बजे और कुत्ते ने गधे वाला काम किया इसीलिये उसे भी डंडे पड़े ! इसीलिए कहते हैं, “जिसका काम उसी को साजे ! कोई और करे तो डंडा बाजे” !! हा... हा... हा... … !!!
आंचलिक कहावतों का अपना एक अलग ही आनंद होता है। आप इनसे हमारा परिचय कराने का बहुत अच्छा प्रयास कर रहे हैं। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजिसका काम उसी को साजे ...बढ़िया है ...!!
जवाब देंहटाएंजेकर काज, ओकरे साजे। बढ़िया फकरा है। गामक मन भ गेल।
जवाब देंहटाएंgood work ! keep it up !!!
जवाब देंहटाएंKaran Ji
जवाब देंहटाएंBat to bilkul sai hai ..jiska kam ho usi ko karna chaiye..lakn kabi kabi dusro ki bhalai b karni chaiye...ab gadhe ne to bhalai ki..ab uski pitai ho gai to bechare gadhe ka kya dosh...isliye gadhe ne jo kiya sai kiya...aur jaruri ni hai ki jiska kam wahi kare...koi aur b usse kar de to achi bat hoti hai..
Waise prayas achi hai..aise likha karen...hamari subhkamnayen apke sath hai..
Rachna
धन्यवाद रचना जी,
जवाब देंहटाएंकिन्तु शायद आपने अभी तक ये जाना नहीं कि "आज कल भलाई का ज़माना नहीं है !" वैसे तो परमारथ के कारने 'आप जैसे' साधुन धरा शरीर !! कथा का सार तो बस इतना था कि भलाई करें लेकिन अपने तरीके से... इसी प्रकार ब्लॉग-भ्रमण कर उत्साह वर्धन करते रहें !!
bahut achcha laga padh kar....
जवाब देंहटाएंbadhai...
Ati utam sir.......... thik kaha aapne kee jiska kaam usi ko saaze...
जवाब देंहटाएंकहानी भी अच्छी है, कहावत भी। Comments करना मेरा काम नहीं है,
जवाब देंहटाएंजिसका काम उसी को साजे ! कोई और करे तो डंडा बाजे”
मै तो बस ....
jiska kaam usee ko saaje padh kar maja aa gaya ! Ab hum bhi sirf apna hee kaam karenge
जवाब देंहटाएंसच लिखा है, कुत्ते को गधे वाला काम नहीं करना चाहिए ! जिसका जो काम है, वो उसी को करना चाहिए, तभी अच्छा है ! अगले देसी बयाना का इन्तजार रहेगा !
जवाब देंहटाएंSahi hai bhai ! Aapka kaam hai likhna aur hamara kaam hai padhna. Toh dono jane apna apna kaam karte rahen !
जवाब देंहटाएंbilkul thik kaha...
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