रविवार, 11 अक्टूबर 2009

स्लम का मिल्‍यनेयर

--- --- मनोज कुमार
वो हमें
स्लम में रहने वाला
डॉग बता कर
मिलियन में कमा रहें हैं।
और हमें
मिल्‍यनेयर बनने के
सिर्फ़ रंगीन सपने दिखा रहें हैं।।
उनकी इस
गोल्डन ग्लोब
और
ऑस्कर वाली कोशिश पर ,
हमारे मीडिया वाले
कितना मचल रहें हैं
इतरा रहें हैं।
वो हमें स्लम में रहने वाला डॉग बता कर मिलियन में कमा रहें हैं।।
जय हो की तान पर
सब अपनी-अपनी दुकान सजा रहे हैं,
और पास आए
स्लम के डॉग को
अपने से दूर भगा रहे हैं।
वो हमें स्लम में रहने वाला डॉग बता कर मिलियन में कमा रहें हैं।।
*** ***

11 टिप्‍पणियां:

  1. एक कड़वे सच को उज़ागर करती कविता , इस भाव अभिव्यक्ति के लिए बधाई ।

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  2. bahut hee umda ! golden glove aur oscar ke nashe me unmatt bhaarteeyon ko katu-satya ka anubhav karaane me saphal !! shilp me aur kasaawat ho sakta thee !!

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  3. sach baat hai ...kamaata koi aur hi hai ...garibi se bhi munafa dhoondhte hai...

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  4. ये देश की विडम्बना है या हमारी ?.. आज भी एक विदेशी यात्रा चाहे वो सोमालिया की ही क्यों न हो... कई गुना बढा देती है ... दोस्तों में क्रेज और.. दहेज़ !! जय हो ...!
    हिंदी साहित्य में विदेश में बैठे और वहा से लौटे (लेटे नहीं भाई लोग़ ) लेखको कवियो की रचनाओ को सर आँखों पर लेते है!.. जय हो .!.
    विदेशी कपड़ो की होली तो खूब जलाई हमने ... अब उसी राख़ से निकाल निकाल सर की टोपिया सिल रहे है.. जय हो ..
    एक विदेशी इनाम घर के हर मान सम्मान से ऊँचा और अच्छा लग रहा है ..जय हो ...जय हो ..

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  5. wonderful satire..... however jai ho story gives pathetic state of affair of our nation in many diverse areas ..... being exploited through such potrayal !!

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  6. सटीक ...कड़वे सच को कहती अच्छी अभिव्यक्ति

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