उफ़ .... ! रोटी कपडा और मकान का जद्दो-जहद जज़्बात पर भी लगाम लगा देता है। अब देखिये न.... अब देखिये न.... आज सुबह से ही मुझे लग रहा था कि कुछ विशेष अवसर है.... लेकिन इसके लिए भी फुरसत मे बैठना पड़ा. फिर याद आया..... आइला... ! आज तो चाचा नेहरु का बर्थ-डे है... ! अरे वही बच्चों के प्यारे चाचा पंडित जवाहर लाल नेहरु का जन्म-दिवस !! ओये.... ! चाचा नेहरु का जन्म-दिन.... !!! फिर तो आज बाल-दिवस भी है... !! तो चलिए फिर, 'जहां बच्चों का संग, वहाँ बाजे मृदंग !' आज सजाते हैं बालबारी !!!
(1)
मुझे चांद चाहिए
मुझे चांद चाहिए
नन्हीं इठलाती
मां , व्यस्त काम में
समझ न पाती।
भू पर पटक
खिलौना देती तोड़
क्या मां देगी
कान मरोड़ ?
या फेरेगी
हाथ पीठ पर
बोलोगी दो बोल प्यार के
उर में भर कर।
या करेगी
बात आंख से
पढ़ लेगी
बच्ची वह भाषा।
मां दे-देती आंटे का गोला
बच्ची खुश है चांद को पाकर
गुड़िया फिरसे मगन खेल में ... !!!
-- मनोज कुमार
नन्हीं इठलाती
मां , व्यस्त काम में
समझ न पाती।
भू पर पटक
खिलौना देती तोड़
क्या मां देगी
कान मरोड़ ?
या फेरेगी
हाथ पीठ पर
बोलोगी दो बोल प्यार के
उर में भर कर।
या करेगी
बात आंख से
पढ़ लेगी
बच्ची वह भाषा।
मां दे-देती आंटे का गोला
बच्ची खुश है चांद को पाकर
गुड़िया फिरसे मगन खेल में ... !!!
-- मनोज कुमार
(२)
गुड़िया रानी बड़ी सयानी
गुड़िया रानी बड़ी सयानी,
बातें करती नयी-पुरानी !
आओ आज सुनाएँ तुमको,
इस गुड़िया की मधुर कहानी !!
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !!१!!
है तो यह छोटी सी गुड़िया,
पर बातों से लगती बुढ़िया !
खुश हो तो मिसरी की पुरिया,
वरना बन जाए यह छुरिया !!
आ जाए गर जिद पे अपनी,
याद करा दे सबकी नानी !!
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !!२!!
आँगन मे गूंजी किलकारी,
मीठी-मीठी प्यारी-प्यारी !
कलकंठी कोयल के स्वर से,
चाहक उठे जैसे फुलबारी !!
हँसे -हँसाए रोये गाए,
कू-कू कर के मुझे बुलाए !
मैं जाऊं तो वो छुप जाए,
मिले तो हँस के हाथ बजाए !!
करतब अचरज भरे देख कर,
होती है सबको हैरानी !!
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !!३!!
कुछ दिन में यह काम करेगी,
माँ इसकी आराम करेगी !
पढ़-लिख कर के जग में रोशन,
पापाजी का नाम करेगी !!
फिर कुछ दिन में बड़ी बनेगी,
सज-धज कर के परी बनेगी !
और ख़ुशी के पंख लगेंगे,
जाने किनके भाग्य जगेंगे !!
फिर गुड्डे राजा आयेंगे,
गुड़िया को संग ले जायेंगे !
हम सब रोते रह जायेंगे,
हो जायेगी ख़त्म कहानी !!
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !!४!!
-- करण समस्तीपुरी
मित्रों कविता अगर आपको पसंद आयी तो आप इसका आनंद सुन कर भी ले सकते हैं. http://podcast.hindyugm.com/2008/03/gudiya-rani-badi-sayani.html//
पर क्लीक कीजिये !!!
--- --- --- ---
Apne baccho par bhi kavita likhkar yeh pradarshit kar diya hai ki Aap har vidha me nipun hai.Saral bhasha me sundar kavita ke liye Dhanyawad.( MOHSIN )
जवाब देंहटाएंबाल मन का सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लगी आप की यह बाल कविता.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत प्यारी रचनाएँ..
जवाब देंहटाएंबाल दिवस की बधाई.
awesome... ! happy children's day !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंइसको चर्चा में लगा दिया है।
http://anand.pankajit.com/2009/11/blog-post_15.html
वेरी सॉरी मनोज जी!
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर ताला लगा है!
कुछ भी अंश चोरी नही कर सका!
Dono rachnai sundar.Manoj sir dwara baal man ka chitran ati sundar laga.Aisi kavita ki punah pratiksha rahegi.
जवाब देंहटाएंपढ़ने वाले को उसकी अपनी नन्हीं की कविता लगती है। बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंमैं एक नन्हीं को गोद लेने जा रही हूं। इन कविताओं को पढ़कर मेरे मन में बहुत सारे सपने तैरने लगे ...
जवाब देंहटाएंBaal diwas par aapki yeh kavitayein mann ko aanadit kar deti hai.Guriya raani ki yeh kahani sach mein bahut hi pyari hai.
जवाब देंहटाएंMain ek student hun aur har student chaand ko pana chahta hai aapki yeh kavita mann mein chaand paane ki ichha jaga deti hai.Bahut achii lagi aapki kavitayein.
आज सुबह से ही मुझे लग रहा था कि कुछ विशेष अवसर है.... लेकिन इसके लिए भी फुरसत मे बैठना पड़ा. फिर याद आया..... आइला... ! आज तो चाचा नेहरु का बर्थ-डे है... ...
जवाब देंहटाएंबाल दिवस और चाचा नेहरु के जन्मदिन की शुभकामनाएं .......!!
बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंbahut hi pyari si kavita hai dono bhi,sunder
जवाब देंहटाएंbahut hee sundar
जवाब देंहटाएंBAAL DIVAS PAR BACHHON KI RACHNA KA ACHHA UPHAAR DIYA HAI AAPNE BCHON KO ...... DONO RACHNAAYE BAHOOT SUNDAR HAIN ...
जवाब देंहटाएंदोनों रचनाएं लाजवाब हैं। बाल दिवस पर बहुत ही सटीक कविताएं पेश की है आप लोगों ने।
जवाब देंहटाएंdil ko chho gayee aaj kee rachnaayen.
जवाब देंहटाएंbal-diwas ki shubhkamanayen !
very touchy poems ! Hats of.........
जवाब देंहटाएंwaah.... mataji ko to aaram hain par pita ji ko..... dahej bhi dena padega kya ??
जवाब देंहटाएंसभी पाठकों का कोटिशः धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंहर्षिता जी, आपने तो हमें ऋणी बना दिया !! ऐसी आशातीत प्रतिक्रिया देख कर दिल बाग़-बाग़ हो उठा. सच पूछिये तो आपकी प्रतिक्रिया ने व्यक्तिगत रूप से मुझे रचनात्मक जीवन की सबसे बड़ी सफलता प्रदान की है. आज मुझे विश्वास हो गया कि यदि साहित्य में शक्ति हो तो "अपि द्राव रोदित्यापी गलति वज्रस्य हृदयम् !" आप में तो खैर एक माँ का ही हृदय है. यह बात और सुखद है कि आप एक 'नन्ही' को गोद लेने जा रही हैं. आपका निर्णय समाज के लिए एक आदर्श होगा. मैं अपने तमाम सहयोगी और पाठकों की ओर से आपका आभार व्यक्त करता हूँ और नन्ही गुड़िया के साथ आपके आगामी जीवन में सुख,समृद्धि और सफलता की कामना करता हूँ !!!
धन्यवाद !!!
bahut hi achhi mohak rachnayen
जवाब देंहटाएंaise kavitha bahut achchhe lagthe hain. koi bhi aram se padh kar samajh bhi saktha hai.
जवाब देंहटाएं- thyagarajan.
Bahut he achi kavita hai..bachpan yad aa gaya.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाएँ है।
जवाब देंहटाएं