-- मनोज कुमार
१
पति पत्नी डायनिंग टेबुल पर खाना खा रहे हैं। रेडियो पर मुकेश का एक गाना, “मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें, कैसे भी गुज़ारी हों तुमने अपनी रातें” आ रहा है। पत्नी, “खाना कैसा बना है?” पति, “बहुत अच्छा!” पत्नी, ”तुम कितने अच्छे हो, तुम्हें हमारी हर चीज़ ख़ुशी-खुशी स्वीकार्य है।“ रेडियो पर गाने का अंतरा आ रहा है, “मैं राम नहीं हूं फिर क्यों उम्मीद करूं सीता की, कोई इंसानों में ढ़ूंढ़े क्यों पावनता गंगा की”।
२
पति पत्नी टीवी पर सच पर आधारित एक रियलिटी शो देख रहे हैं। टीवी पर आ रहे शो के ख़त्म होने के उपरान्त पति, “तुम्हें इस शो में भाग लेना चाहिए।” पत्नी, “नहीं, नहीं, मैं सच का सामना नहीं कर सकती”। पति, “क्यों? क्या है तुम्हारे अतीत में जो तुम इसका सामना नहीं कर सकती?” पत्नी, “नहीं, कुछ नहीं, बस ऐसे ही। डर लगता है।” टीवी बंद कर दोनों सो जाते हैं।
३
सुबह पत्नी की आंख खुलती है। पति उसके बगल में नहीं है। वह बिस्तर से उठने का उपक्रम करती है। तभी उसकी नज़र ऊपर जाती है, सामने सीलिंग के फैन से गले में फंदा डाले उसका पति लटका है। वह सोचती है कि अगर वह पति की बात मान कर उस रियलिटी शो में भाग लेना स्वीकार कर भी लेती तो क्या परिणाम इसके अलग होता? उसके मन में रात वाले गाने की पंक्तियां गूंजती हैं, “मैं नहीं हूं कोई फरिश्ता, इंसान ही बन कर रहना।”
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जवाब देंहटाएं.....KOLKATA SE RAJ....
लघु कथा की श्रेणी में एक नया प्रयोग लगा एवं अच्छा लगा । आगे के लिए शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंअरे वाह बहुत जल्द खेल खत्म, है राम
जवाब देंहटाएंअवाक हूँ इसके इफेक्ट से !
जवाब देंहटाएंमृत पति, शरीर फन्दे से लटकता - अचानक पाया गया। पत्नी क्रन्दन क्या एक सिसकी तक नहीं लेती और सोचने लगती है ....
एब्सर्डिटी भरी अजीब जिन्दगी।
जज़्बात की रौ में बह जाता है कई बार सब कुछ। प्रयोग अच्छा है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिख़ा है ...... लघु कहानी ... एक नया प्रयोग है आपका .......... स्टाइल अच्छी लगी ...........
जवाब देंहटाएंएक अलग तरह का असर छोड़ गई आपकी यह लघु कथा...एक नया अंदाज!
जवाब देंहटाएंबढिया प्रयोग है जनाब । मतलब पतियों को अभी भी काफी डेवलप करने की जरूरत है ।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा जनाब ।
जवाब देंहटाएंएक नई शैली में लिखी लघुकथा प्रस्तुत करने के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंYah naya prayog nisandeh sarahaniya hai... kuch aisa hi dekh raha hai aajkal.......
जवाब देंहटाएंBadhai
do insaanonke bichmen jo antar badh raha hai aur jindagi kitni banavati chijonmen manne lagi hai iska udaharan ....
जवाब देंहटाएंek kamre rahne valon ke bich milon ki dooriyan hoti hai ....
शक ने सब खत्म कर डाला
जवाब देंहटाएंझकझोर दी, आपकी कहानी ने। सच यह है कि समाज "ईमानदारी' की आज तक वैज्ञानिक व्याख्या नहीं कर सका है। मेरे विचार से ईमानदारी मूर्त के साथ हो सकती है, अमूर्त के प्रति इंसान की ईमानदारी क्या हो सकती है? जो था हीनहीं, उसके प्रति कैसे वफादारी निभायी जा सकती। यह रिएलिटी शो वकवास है और समाज कीदुखती रग के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
जवाब देंहटाएंमनोज जी, आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा। कृपया इसे प्रतिटिप्पणी नहीं समझें, मैं इसे लेन-देन से ऊपर की चीज मानता हूं।
Dil ko sahma dene waali aapki yeh rachna sach mein humein sochne pe majbur kar deti hai ki sach ka saamna karna, sach ko kehne se bhi zyada mushkil hain...Bahut achi lagi aapki yeh rachna
जवाब देंहटाएंExcellent story...
जवाब देंहटाएंओह मई गोड!!! सचमुच ये आप सच का सामना का रीएक्शन कह सकते हैं !!!
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंमहाकथा की गरिमा समेटे लघुकथा. मनुष्य की तिब्र-परिवर्तनशील मानसिकता... दाम्पत्य जीवन मे विश्वास का आभाव.... रुढ़िवाद समाचार माध्यमो की अनुशासनहीनता और समाज पर उसका प्रभाव.... और न जाने कितने ही दृष्टिकोण को समेटे हुए आपकी यह अभिनव शैली की लघुकथा मीलस्तंभ होने का माद्दा रखती है. रेडियो पर बज रहे गीतों के माध्यम से कथा का परिवेश निर्माण और विषय की सजीवता को मैं आपकी विशेषता कहना चाहूँगा. धन्यवाद ! अगली कृति की प्रतीक्षा !!
जवाब देंहटाएंसच का सामना प्रोग्राम पर बिलकुल सशक्त लघु कथा लिखी है । शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइसका अप्रत्याशित और अनजाना मोड़ या अंत हमें विचलित कर देता है।
जवाब देंहटाएंA truthful story ! A kind of out of box thinking !!
जवाब देंहटाएंअसाधारण कथा
जवाब देंहटाएंachchi rachna !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंक्रांतिकारी कथा. अभी हमारे सामजिक मूल्यों मे बहुत बदलाव की जरूरत है !!
जवाब देंहटाएंयही तो मनुष्य की है विडंबना ,
जवाब देंहटाएंनहीं चाहता वह अपनी चीज खोना ।
बहुत सुन्दर महोदय, इस लघु कथा ने सोचने पर विवश किया की आज भी हमारी मनोवृतियाँ बदली नहीं है.
जवाब देंहटाएंशक का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं ... अद्भुत लघु कथा
जवाब देंहटाएंइंसानी शक का कोई इलाज नही
जवाब देंहटाएंबस एक शब्द... अद्भुत.
जवाब देंहटाएंसादर.