श्यामनारायण मिश्र का नवगीत
गीत मेरे अर्पित हैं
ख़ून की उबालों को,
क्रांति की मशालों को
गीत मेरे अर्पित हैं
तोतली जुबानों पर
दूनिया-पहाड़ों के
अंक जो चढाते हैं
तंग हुए हाथों से
आलोकित माथों से
ज्ञान जो लुटाते हैं,
विद्याधन वालों को,
फटे हुए हालों को
गीत मेरे अर्पित हैं।
खेत में, खदानों में
मिलों कारखानों में,
जोखिम जान के लिए,
पांजर भर गात नहीं
आतों भर भात नहीं,
सदियों से ओठ सिए
खाट के पुआलों को,
लेटे कंकालों को,
गीत मेरे अर्पित हैं।
खेतों की मेड़ों पर,
शीशम के पेड़ों पर,
बांधते मचानों को
माटी को पूज रहे,
माटी से जूझ रहे,
परिश्रमी किसानों को
स्वेद भरे भालों को
फावड़े-कुदालों को
गीत मेरे अर्पित हैं।
बहुत बढ़िया नवगीत पढवाया आपने. आभार
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब नवगीत है ... शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया नवगीत.
जवाब देंहटाएंमिटटी को स्वर देती सुन्दर नवगीत....
जवाब देंहटाएंमिटटी को स्वर देती सुन्दर नवगीत....
जवाब देंहटाएंतंग हुए हाथों से
जवाब देंहटाएंआलोकित माथों से
ज्ञान जो लुटाते हैं,
विद्याधन वालों को,
फटे हुए हालों को
गीत मेरे अर्पित हैं। ...
Great presentation Manoj ji !
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गीत में गाँव को गुनगुना के अच्छा लगा... बेहद प्रभावशाली नवगीत....
जवाब देंहटाएं"गीत मेरे अर्पित हैं" बहुत दिनों पढ़ने को मिला। आदरणीय मिश्र जी मुखारविन्द से इसे कई बार सुना गया, पर मन नहीं भरता था। बहुत अच्छा गीत। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंbar bar padhne ko man hua...mano koi sondhi khushbu uth rahi ho...lekin sath hi garibi ke halaat bayan karti prabhavshalli rachna.
जवाब देंहटाएंमिश्र जी के नवगीत तो एक मशाल हैं.. जब भी पढ़ा है (आपके सौजन्य से मनोज जी) आनंदित हुआ हूँ, लाभान्वित हुआ हूँ!! यह गीत उसी की एक कड़ी है!!
जवाब देंहटाएंगीतों का सुन्दर अर्ध्य
जवाब देंहटाएंमाटी को पूज रहे,
जवाब देंहटाएंमाटी से जूझ रहे,
परिश्रमी किसानों को
स्वेद भरे भालों को
फावड़े-कुदालों को
गीत मेरे अर्पित हैं।
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लाजवाब नवगीत!
लाजबाब नवगीत. आभार.
जवाब देंहटाएंबढ़िया नवगीत....प्रभावशाली
जवाब देंहटाएंपरिश्रमी किसानों को
जवाब देंहटाएंस्वेद भरे भालों को
फावड़े-कुदालों को
गीत मेरे अर्पित हैं।
bahut sunder shabdon ka chayan.bemisaal rachanaa.badhaai aapko.
please visit my blog.thanks.
pasand aayee ye baat !
जवाब देंहटाएंNavgeet gaane ka waqt ho chala hai ..
तंग हुए हाथों से
जवाब देंहटाएंआलोकित माथों से
ज्ञान जो लुटाते हैं,
विद्याधन वालों को,
फटे हुए हालों को
गीत मेरे अर्पित हैं। ..
.बेहद प्रभावशाली नवगीत....धन्यवाद
यह गीत बहुत अच्छा लगा ... बहुत सुन्दर भाव हैं इस गीत के ..
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachana, bahut sundar bhav,badhai
जवाब देंहटाएंऔर हमारी शुभकामनायें समर्पित है आपकी लेखनी को
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर नव गीत सुन्दर शैली सभी क्षेत्र दिखाया आपने
जवाब देंहटाएंनिम्न बहुत अच्छा -
मिलों कारखानों में,
जोखिम जान के लिए,
पांजर भर गात नहीं
आतों भर भात नहीं,
शुक्ल भ्रमर ५