यह पोस्ट हमारे ब्लॉग की 200वीं पोस्ट है। छह महीने से कुछ अधिक की इस यात्रा में हमें आपका उचित मार्गदर्शन और भरपूर सहयोग मिला। हमने अपनी तरफ़ से यह प्रयास किया कि हिन्दी ब्लॉग जगत को कुछ सार्थक रचनाएं दे सकें।
आज का दिन कुछ खास है। आज के दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक मोड़ आया था जब गांधी जी के नेतृत्व में नमक क़ानून के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई गई थी। इस विषय पर थोड़ी देर बाद आता हूँ, ... पहले एक विचार आपके सामने रख रहा हूँ ...
आज इस बात पर बहस हो रही है कि गांधी जी के विचार आज सार्थक हैं या नहीं। कितनी भूल कर रहे हैं हम। बहस का विषय तो यह होना चाहिए कि गांधी जी के विचारों की अनदेखी करके हम कितने असफल हुए हैं और हो रहे हैं।
एक विद्वान ने कहा है कि गांधीवाद को छोड़ने का यह अच्छा नतीज़ा रहा कि आज देश में 72 खरबपति हैं। कारपोरेट जगत इस पर गर्व कर रहा है। लेकिन राष्ट्र शर्म मह्सूस कर रहा है कि 36 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा के नीचे हैं। गांधी जी ने हमें विभिन्न समस्याओं से जूझने के लिये कई रास्ते दिखलाए। उन्हीं में से एक था नमक क़ानून के प्रति ख़िलाफ़त।
जब गांधी जी ने 6 अप्रील 1930 को डांडी में नमक क़ानून तोड़ा तो देश के सभी इलाक़ों में नमक मार्च की बाढ आ गई। जहां नमक बनाने की सुविधा नहीं थी, वहां “ग़ैर क़ानूनी” नमक बेचकर क़ानून तोड़ा गया।
नमक अपने आप में कोई बहुत महत्वपूर्ण चीज नहीं था, लेकिन यह राष्ट्रीयता का प्रतीक बन गया। लोग नमक बनाने के लिए संघर्ष नहीं कर रहे थे बल्कि उसके जरिए वे यह साबित कर रहे थे कि सरकारी दमन बहुत दिनों तक नहीं चल सकता।
गांधी जी का नमक आंदोलन और दांडी पदयात्रा आधुनिक काल के शांतिपूर्ण संघर्ष का सबसे अनूठा उदाहरण है। यह गांधी जी के ही नेतृत्व और प्रशिक्षण का चमत्कार था कि लोग अंग्रेजी हुकूमत की लाठियों के प्रहार को अहिंसात्मक सत्याग्रह से नाकाम बना गए। यह एक ऐसा सफल आंदोलन था जिसने न सिर्फ ब्रिटेन को बल्कि सरे विश्व को स्तब्ध कर दिया था।
टाइम पत्रिका ने गांधी जो को 1930 का सर्वश्रेष्ठ मानव घोषित किया गया था।
बहस का विषय तो यह होना चाहिए कि गांधी जी के विचारों की अनदेखी करके हम कितने असफल हुए हैं...
जवाब देंहटाएं...लोग अक्सर बुनियाद को भूल जाते हैं इसलिये ही आज गांधी जी के विचार व सिद्धांत अमल में नहीं लिये जा रहे हैं!!!
bahut bahut shubhkamnae................
जवाब देंहटाएंGandhijee ka diya ek moolmantr SWAWLAMBAN
ye apana le to hee swarg jamee par utar aae..........
nice
जवाब देंहटाएंगांधी जी के विचार आज भी सार्थक हैं कल भी रहेंगे। सत्य कभी नहीं मरता।
जवाब देंहटाएं200वीं पोस्ट के लिए बधाई .. हमें ऐसे ऐतिहासिक दिनों की याद दिलाने के लिए धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंजिन प्रयोजनों के लिए गांधीजी ने यह पहल की थी,वे भिन्न रूप में सही,मगर आज भी हमारे बीच बने हुए हैं। कमी है तो बस किसी गांधी की।
जवाब देंहटाएं200वीं पोस्ट के लिए बधाई छ्: माह मी 200 पोस्ट बहुत बडिया उपलब्धी है । इसी तरह आगे बढें शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंDouble century ke liye aplogo ko badhai..
जवाब देंहटाएंAalekh sarahniye hai :)
गांधी कोई व्यक्ति नहीं.......... एक विचार है ! दर्शन है !! संस्थान है !!! संस्कृति है !!!! भारत के कण-कण में गांधी की आत्मा रहती है......... किन्तु आज गोडसे की भी कमी नहीं ! भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम के एक महत्वपूर्ण अध्याय को स्मरण कराने के लिए, धन्यवाद !!!
जवाब देंहटाएंGandhi ji ke sidhaanton mein se agar ek ansh bhi aaj ke raajneta maan sahen to ye desh khush-haal ho sakta hai ...
जवाब देंहटाएंAap ko 200 post par bahut bahut badhaai ..
Jai ho !!!!
जवाब देंहटाएं200 वीं पोस्ट की बधाई
जवाब देंहटाएं२०० वीं पोस्ट की बधई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट !!! 200 वीं पोस्ट की शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंदो सौ वीं पोस्ट की बधाई और शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ये सच है की आज बहुत से लोग गाँधी जी के सिद्धांतों को व्यर्थ बताते हैं....लेकिन उनकी सोच के मूल तक नहीं जा पते ....आपकी ये पोस्ट बहुत प्रेरणा देने वाली है और नमक क़ानून तोडने के सही मकसद को बताने वाली है.....
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