कब आयेगी बेला मिलन की ….?परम प्रिय परमात्मा से विलग जीव, जग-जंजाल में उलझा तो रहता है, किन्तु प्रियतम से मिलन के लिए आत्मा की आकुलता कभी कम नहीं होती! इसी भाव को संजोये प्रस्तुत है, एक सूफी गीत! आपकी प्रतिक्रया ही हमारी रचनात्मक ऊर्जा का इंधन है, इतना ध्यान अवश्य रखेंगे!-- करण समस्तीपुरी
बीती जाए उमरिया !
साज सजा के बैठूं महल बिच,
पर नही चैन बावरिया !
पग बरबस खींचे पनघट पर,
पथ पर लागी नजरिया !
बीती जाए उमरिया !!1!!
आए-गए बहार-बसंती,
पर नही लीन्ही खबरिया !
अब तो आन मिलो मेरे प्रियतम,
घिर आयी है बदरिया !!
बीती जाए उमरिया !!2!!
पर उर में है ज्वाला !
विरह की आग लगी तन-मन में,
आओ बुझाओ सांवरिया !
बीती जाए उमरिया !!3!!
आए-गए बहार-बसंती,
जवाब देंहटाएंपर नही लीन्ही खबरिया !
अब तो आन मिलो मेरे प्रियतम,
घिर आयी है बदरिया !!
बीती जाए उमरिया !!2!!
वाह, मनोज जी बहुत खूब !
bahut achche Manoj babu...
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
man ki baichaini ko acchhe shabdo se sajaya hai. badhayi.
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंjabardast he
kab aayegi bela
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
मनोज जी आप मेरे ब्लाग पर घूम आये है
जवाब देंहटाएंइस हेतु धन्यबाद..मैं आपके ब्लाग पर
आया तो आपकी पोस्ट सिर्फ़ और सिर्फ़
उसी एक विचार पर मिली जो मेरे हिसाब
से सर्वश्रेष्ठ विचार है ..लेकिन आप गलती
पर है ये बेला आती नहीं बल्कि लायी जाती
है.लेकिन सच ये भी है कि माया के रंग में
रंगकर आदमी सिर्फ़ परमात्मा की बात दिखावे
के लिये करता है . यदि सच में वह परमात्मा को
चाहता है तो ये दूर भी नहीं है .
सुरत फ़ंसी संसार में तासे हुय गयो दूर .
सुरत मान थिर करो आठो पहर हजूर
कस्तूरी कुन्डल बसे...
अगर आपको तरीका न पता हो तो मुझसे
सम्पर्क करें
बहुत सुन्दर लिखा आपने अंकल जी !
जवाब देंहटाएं________________
'पाखी की दुनिया' में इस बार माउन्ट हैरियट की सैर करना न भूलें !!
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है. आशा है हमारे चर्चा स्तम्भ से आपका हौसला बढेगा.
जवाब देंहटाएंवाह मनोज जी,बहुत सुंदर रचना पेश की,
जवाब देंहटाएंआप का धन्यवाद
प्रभु के प्रति तल्लीनता जब इस मुकाम पर पहुंच जाए कि स्वयं प्रभु की स्मृति भी न रह जाए,प्रभु को पा लिया समझिए। और जब भग्वद्कृपा बरसेगी,आप आप नहीं रह जाएंगे।
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंAchi prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ये सूफी गीत...मनभावन...
जवाब देंहटाएंbahot achha likha hai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा आपने जी !
जवाब देंहटाएं"कब आयेगी बेला मिलन की ….?"
जवाब देंहटाएंBahot he sundar Geet..Ye geet puri feelings ke sath likha pratit ho raha hai....yaha tak ki jo photos hai usse dekh aisa lag raha hai ki wo b kuch kah raha ho...
Karan ji Antarman se likhi apki ye kavita dil ko chhu gai...Dhanyawad :)
बहुत सुन्दर ये सूफी गीत.
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