वृक्ष हमारे जीवन संगी |
-आचार्य परशुराम राय
वृक्षों के बिन प्रकृति अधूरी,
बिन वृक्षों के धरती नंगी।
वृक्ष हमारी जीवन साँसें,
वृक्ष हमारे जीवन संगी।।
वरद हस्त हैं शाखें इनकी,
धारें मिट्टी पाँव तले।
ज्ञान ने खोलीं अपनी पलकें,
इनकी शीतल छाँव तले।।
जीव जगत के आश्रय दाता।
ये उपास्य हैं देव हमारे
और हमारे मंगल दाता।।
जीवन ने पहली अँगड़ाई,
ली थी इनकी ही साँसों में।
पहली मुस्कान चेतना की
खेली थी इनकी बाँहों में।।
बड़ा कुटिल अरमान तुम्हारा।
वृक्ष विहीन कल्पना का,
कैसा होगा संसार हमारा।।
करते-रहते ये अभयंकर,
प्रतिदिन ऊर्जा के स्त्रोत सृजन।
रोका न गया इनका विनाश,
तो प्रकृति करेगी प्रलय सृजन।।
दिवस विशेष पर सार्थक रचना. बधाई.
जवाब देंहटाएंवृक्ष अमूल्य धरोहर हैं,
जवाब देंहटाएंइनकी रक्षा करना होगा।
जीवन जीने की खातिर,
वन को जीवित रखना होगा।
तनिक-क्षणिक लालच को,
अपने मन से दूर भगाना है।
धरती का सौन्दर्य धरा पर,
हमको वापिस लाना है।।
sarthak rachana ek sandeshdetee v prakrutik uplabdhiyo par roshanee daltee rachana achee lagee.
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक
जवाब देंहटाएंविश्व पर्यावरण दिवस पर समर्पित यह पोस्ट अत्यंत उपयोगी, सार्थक और संदेश देती है।
जवाब देंहटाएंवृक्ष हमारी जीवन साँसें, वृक्ष हमारे जीवन संगी|
जवाब देंहटाएंवृक्ष अमूल्य धरोहर हैं, हमे हर हाल में इनकी रक्षा करनी चाहिए।
...बहुत सुन्दर .... लाजवाब !!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक!
जवाब देंहटाएंवृक्षों के बिन प्रकृति अधूरी,
जवाब देंहटाएंबिन वृक्षों के धरती नंगी।
वृक्ष हमारी जीवन साँसें,
वृक्ष हमारे जीवन संगी।।
विश्व पर्यावरण दिवस पर समर्पित उपयोगी संदेश !
hindu granthon me ek ped ko das putron ke barabar mana gaya hai.
जवाब देंहटाएंsundar rachna hai.
आईये जानें .... मैं कौन हूं!
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
आज के दिन बहुत सार्थक रचना ...
जवाब देंहटाएंGhar-ghar me plastic ke paudhe dikhenge...! Chhaya na den to kya hua ! Aadmi apne swarth ke liye kuchh bhi kar sakta hai!
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंउपयोगी संदेश।
उतम अभिव्यक्ति।
लाजवाब शब्द चयन।
काश, हम इस संदेश को अपने दिलों में उतार पाते।
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रूपसियों सजना संवरना छोड़ दो?
मंत्रो के द्वारा क्या-क्या चीज़ नहीं पैदा की जा सकती?
अति सुंदर जी
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