मंहगाई
-- सत्येन्द्र झा
दो पुराने मित्र वर्षों बाद मिले थे। कुशलक्षेम के बाद एक मित्र के आग्रह पर दूसरे मित्र उनके घर आये। फिर शुरू हुआ पहले मित्र की सम्पन्नता का वर्णन। आगंतुक के पूछे बिना ही उन्होंने कहना शुरू किया, "यह एलसीडी टीवी है, पचास हज़ार का... ! सोफा छत्तीस हज़ार का... ! नया एसी लिया है, पैंतीस हज़ार में.... ! यह कालीन जो देख रहे हो... यह भी पंद्रह हज़ार का है। बच्चों का नाम भी शहर के सबसे बड़े पब्लिक स्कूल में लिखबा दिया है। इस शहर में सबसे ज्यादा फीस है, उस स्कूल का.... ! तुम्हारी भाभी अभी पार्लर से आती ही होगी।"
"और... आंटी... ? मतलब माँ कहाँ है तुम्हारी?", दूसरे मित्र ने पहली बार अपनी जुबाँ खोली थी।
"वो... तो गाँव में ही है।" सधा हुआ जवाब था।
"अरे... क्या बात करते हो ? गाँव में अकेले... अब तो उनकी उम्र भी काफी हो गयी होगी... ! उन्हें यहीं अपने पास बुला कर क्यूँ नहीं रख लेते ?, मित्र ने पूछा था।
"अब तुम से क्या छुपाना दोस्त ! तुम तो जानते ही हो शहर की जिन्दगी। एक तो अल्प आय और उस पर से ये मंहगाई.... !!"
मूल कृति मैथिली में "अहींकें कहै छी" में संकलित 'महगी' से केशव कर्ण द्वारा हिंदी में अनुदित।
khush hoo ki aise rich logo se mera pala jeevan me nahee pada........
जवाब देंहटाएंyanha prakashit karane ke liye dhanyvad .
bahut umda post
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
दूसरे दोस्त की सच्चाई में सार है।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
nice
जवाब देंहटाएंकटु यथार्थ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक व्यंग्य है!
जवाब देंहटाएंkitni badi baat kah di ,apne shauk ke liye nahi ek boodi maa ke liye mahangaai hai ,kitni afsos ki baat hai .
जवाब देंहटाएंभावना प्रधान सन्देश वाली कथा है. सम्प्रेषण प्रभावकारी है.
जवाब देंहटाएंउफ़... ये मंहगाई.... ! बेटे को माँ से दूर कर दिया... !! मर्मभेदी व्यंग्य !!!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट.
जवाब देंहटाएंमंहगाई पहले पैसे खर्च करवाती थी. अब माँ से बेटे को अलग कर के धर दे रही है. इस मंहगाई का...
बढ़िया पोस्ट.
जवाब देंहटाएंमंहगाई पहले पैसे खर्च करवाती थी. अब माँ से बेटे को अलग कर के धर दे रही है. इस मंहगाई का...
ऐसी मानसिकता का क्या कहें ? मंहगाई केवल माँ को रखने में ही दिखाई देती है...
जवाब देंहटाएंकरारा व्यंग ... आज के समाज की सही तस्वीर पेश की है आपने ...
जवाब देंहटाएंmaan ke liye mahngai???????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????
जवाब देंहटाएंYah laghukatha tathakathit adhunik logon par karara vyanya hai.
जवाब देंहटाएंwritten very well
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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