सोमवार, 11 अप्रैल 2011

नवगीत : पापी मन जाल हो गया

पापी मन जाल हो गया

श्यामनारायण मिश्र

 

Indian-motifs-48अभी अभी आपने क्या मांग भरी है?

बिखरा सिन्दूर

        व्योम लाल हो गया

                उषा काल हो गया।

 

केशों में गुंथी नहीं अभी वेणियां

देह के ढ़लान ढ़के, ढ़की श्रेणियां

यहीं, कहीं आपकी मुस्कान छुपी है,

कमल-कमल खिले

धन्य ताल हो गया

        व्योम लाल हो गया।

 

आय-हाय कोरों तक काजल का आंजना

थोड़ा सा फहराना फिर आंचल का बांधना

नौका सी डोलती जो आप चलीं तो

फहर-फहर

आंचल भी पाल हो गया

        उषा काल हो गया।

 

दांतों से कुतर-कुतर नख तराशना

देख भंग हुई जन्म-जन्म की उपासना

मैना सी चहक चहक आप उठीं तो

सुबह-सुबह

पापी मन जाल हो गया

        उषा काल हो गया।

21 टिप्‍पणियां:

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  2. मिश्रा जी, बहुत ही सुन्दर और प्यारा सा गीत, व्योम लाल हो गया वाह वाह।

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  3. अहा,
    व्योम लाल हो गया,
    बस कमाल हो गया।

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  4. वाह्…………श्रृंगार रस मे पगी बहुत ही भावभीनी रचना…………आनन्द आ गया।

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  5. बहुत सुन्दर गीत ..उतनी ही सुन्दर प्रस्तुति

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  6. बहुत सुन्दर गीत

    आय-हाय कोरों तक काजल का आंजना
    थोड़ा सा फहराना फिर आंचल का बांढना
    नौका सी डोलती जो आप चलीं तो
    फहर-फहर
    आंचल भी पाल हो गया
    उषा काल हो गया।

    क्या बात है

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  7. आय-हाय कोरों तक काजल का आंजना

    थोड़ा सा फहराना फिर आंचल का बांढना

    नौका सी डोलती जो आप चलीं तो

    फहर-फहर

    आंचल भी पाल हो गया

    उषा काल हो गया।

    श्रृंगार रस की अनुपम अभिव्यक्ति !

    सुन्दर गीत !

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  8. व्योम लाल हो गया
    दिल बाग बाग हो गया...

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  9. रात गई और बात गई है,
    मौसम फिर खुशहाल हो गया!
    चहल-पहल हो गई धरा पर,
    जीवन उषाकाल हो गया!
    --
    बहुत सुन्दर रचना!
    बहुत सारी परिभाषाएँ मिल गईं जीवन की!

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  10. श्यामनारायण मिश्र जी के सुन्दर गीत के लिए बधाई।

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  11. मिश्र जी की जितनी रचनाएं पढ़ीं..आनंदित हुए!!

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  12. ह्रदय प्रेम व्यक्त करता हुआ -श्रृंगारित सुमधुर गीत .
    बहुत सुंदर .

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  13. हृदयस्पर्शी रचना है |
    उम्दा शब्दों का इस्तेमाल किये हैं
    बहुत बहुत धन्यवाद|

    ----------------------
    एक मजेदार कविता के लिए यहाँ आयें |
    www.akashsingh307.blogspot.com

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  14. श्रृंगार रस का प्यारा सा गीत.....

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  15. एकदम अभिभूत करने वाली रचना

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