गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

22 अप्रैल - विश्‍व पृथ्‍वी दिवस

आज है विश्‍व पृथ्‍वी दिवस। क्षिति,जल पावक, गगन, समीरा इन पांच तत्‍वों से मिलकर सृष्टि की रचना हुई है। और हम इस पृथ्‍वी पर रहने वाले प्राणी हैं। अगर पृथ्‍वी के अस्तित्‍व पर ही प्रश्‍न चिन्‍ह लग जाए तो इन तत्‍वों का कोई महत्‍व रह जाएगा क्‍या। पृथ्‍वी है तो सारे तत्‍व हैं। अतः पृथ्‍वी अनमोल तत्‍व है। इसी पर आकाश है, जल, अग्नि, और हवा है। इन सबके मेल से सुंदर प्रकृति है।

अथर्ववेद में कहा गया है –

माताभूमिः पुत्रोsहं पृथिव्‍या”

अर्थात् धरती हमारी माता है और हम इसकी संतान है। आज वहीं संतान अपनी माता को क्षति पहुंचा रही है। फलस्‍वरूप स्‍वयं का नुकसान कर रही है। परिणाम हम देख ही रहे हैं। मौसम में कितना परिवर्तन आया है। अनावृष्टि, अतिवृष्टि भयंकर जाड़ा, असह्य गर्मी, मौसम चक्र, का लय टूटना आदि। हमें पृथ्‍वी के विभिन्‍न घटकों के साथ साहचर्य एवं सामंजस्‍य रखना चाहिए। इन दिनों भूकंप, ज्‍वालामुखी, चक्रवात, बाढ़, तुफान, आदि घटनाएं काफी हो रही है। चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ है। हमने स्‍वयं आमंत्रित किया है इन घटनाओं को। हम अपने स्‍वार्थ और अंहकार की पूर्ति के लिए पृथ्‍वी और प्रकृति का अत्‍यधिक शोषण कर रहे हैं। इससे संतुलन गड़बड़ा गया है। प्रदूषण चरम पर है। इसने प्रकृति के पंच तत्‍वों को बुरी तरह प्रभावित किया है।

PH01046J

पृथ्‍वी की पारिस्थितिकी की अपने आप में एक सुव्‍यवस्‍था है। पर हमारे ही प्रयासों के कारण आज वह अव्‍यवस्थित और उजड़ सी गई प्रतीत होती है। हम पर्यावरण को नष्‍ट कर रहे हैं।आज इस पृथ्‍वी के ऊपर तरह-तरह का खतरा मंडरा रहा है। पृथ्‍वी पर की हरियाली नष्‍ट होती जा रही है। जल के स्रोत प्रदुषित हो रहे हैं। हवा सांस लेने लायक नहीं रह गई है। हमें पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के प्रति चिंता और चिन्‍तन करना चाहिए।

यह सही है कि विश्‍व में चतुर्दिक आर्थिक विकास हो रहा है। पर यह भी सच है कि इसके कारयण परिस्थितिकी में भी ह्रास हो रहा है। हमें इस बात पर ध्‍यान देना चाहिए कि हम आर्थिक विकास के साथ-साथ अपने प्राकृतिक वातावरण को भी सुरक्षित और संरक्षित रखें।

पर्यावरण के लिए जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्‍य से 1970 में उस समय के सीनेटर गेलार्ड नेल्‍सन ने अमेरिका में हर साल 22 अप्रैल को “अर्थ डे” मनाने की शुरूआत की थी। इसके बाद में हर साल यह दिन विश्‍व के प्रायः सभी देशों में मनाया जाता है।

आज हमारी पृथ्‍वी पर जो इतना बड़ा संकट आ खड़ा है यदि समय रहते इसका निदान-निराकरण नहीं हुआ तो हमें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अपने-अपने स्‍वार्थ के लिए पृथ्‍वी पर अत्‍याचार किया जाता है और उनके परिणामों के बारे में कोई नहीं सोचता। अगर हमें पृथ्‍वी को बचाना है तो हमें कार्बन उत्‍सर्जन में कटौती पर ध्‍यान केंद्रित करना होगा। इसके लिए उद्योग जगत के साथ लेकर चलना होगा। उन्हीं के कारण कार्बन उत्‍सर्जन और दूसरी तरह के प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है। जलवायु संकट के प्रभावों से निपटने के लिए तेयार की गई कार्य योजना को सही मायनों में लागू करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

हम दिवस मना लेते हैं। कहते हैं इससे जागरूकता बढ़ती है। पर सिर्फ जागरूकता से काम नहीं चलेगा। हमें इस विश्‍व पृथ्‍वी दिवस पर संकल्‍प लेना चाहिए कि हम पृथ्‍वी और उसके वातावरण को बचाने का प्रयास करेंगे। हम पर्यावरण के प्रति न सिर्फ जागरूक हों, बल्कि उसके लिए कुछ करें भी। पृथ्‍वी को संकट से बचाने के लिए स्‍वयं अपनी ओर से हमें शुरूआत करनी चाहिए। पानी को नष्‍ट होने से बचाना चाहिए। वृक्षारोपयण को बढ़ावा देना चाहिए। अपने परिवेश को साफ-स्‍वच्छ रखना चाहिए। पृथ्‍वी के सभी तत्‍वों को संरक्षण देने का संकल्‍प लेना चाहिए। पृथ्‍वी हमारी मां है, हमें उसकी सेवा करनी चाहिए – दोहन नहीं।

18 टिप्‍पणियां:

  1. आज पृथ्वी दिवस है.........,

    "समुद्रवसने देवी पर्वतस्तनमण्डले !
    विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यं पादस्पर्शम् क्षमस्व मे !!

    माँ मेदनी को नमन........ !!

    जवाब देंहटाएं
  2. वृक्ष कहीं न कटने पाएं

    संकल्पों के हाथ उठाएं

    ढेर सारे पौधे लगाकर

    धरती से मरूभूमि भगाएं।
    ....विश्व पृथ्वी दिवस पर हार्दिक बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  3. पुरखों सी पेड़ों की छाया,
    शीतल कर दे जलती काया.

    ***विश्व पृथ्वी दिवस पर खूब पौधे लगायें और धरती को सुन्दर व स्वच्छ बनायें***

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर लिखा..विश्व पृथ्वी दिवस पर हार्दिक बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  5. ...प्रभावशाली अभिव्यक्ति ....पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लेने का समय है !!!

    जवाब देंहटाएं
  6. हम भी इस संकल्प में आपके साथ हैं ... पृथ्वी बचेगी तभी हम बचेंगे ...

    जवाब देंहटाएं
  7. हम भी इस संकल्प में आपके साथ हैं ... पृथ्वी बचेगी तभी हम बचेंगे ...

    जवाब देंहटाएं
  8. 'mahaa kaal ke haath par ,gul hoten hain, ped ,sushmaa teenon lok ki ,kul hoten hain,
    ped -tree
    gul -vilupt honaa /pushp yaani flower .
    'bilkul sahi hai 'panch tatvon ki taatviktaa ko banaaye rakhnaa ,prithvi par jivan ki salaamati ,nirantartaa ke liye ,zaroori hai .aaj jal ,jal nahin hai ,hvaa gandhaane lagi hai ,mitti baanjh ho chali hai ....
    veerubhaai 1947.blogspot.com
    09350986685(M)

    जवाब देंहटाएं
  9. धरती हमारी माँ है. वह हमारा पोषण करती है, बिलकुल संतुलित रूप से. हम ही हैं जो उससे जरूरत भर लेने के बजाय अनियंत्रित दोहन करते हैं, अपने स्वार्थ के लिए. पृथ्वी दिवस के अवसर पर पारिस्थितिकी संतुलन के प्रति हमारे दायित्वों का बोध कराता है यह आलेख. मनोज जी इसके लिए आपको बहुत-बहुत आभार.

    जवाब देंहटाएं
  10. Beautiful and quite motivating post !

    I love to plant 'Tulsi' and 'Neem' whereever i find the space available.

    I prefer to give saplings as birthday gifts.

    Thanks.

    जवाब देंहटाएं
  11. @zeal
    आपके विचार बहुत अच्छे और प्रेरक लगे खास कर जन्मदिन पर दिये जाने वाले तोहफ़े (सैपलिंग) के बारे में। आगे से मैं यह ज़रूर फ़ॉलो करूँगा।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत अच्छी जानकारी के साथ जागरूक करती आपकी ये पोस्ट बेहद पसंद आई....प्रयावरण के संतुलन में और धरती माँ की सेवा में जो भी हो सकेगा सहयोग करने का संकल्प लेती हूँ....आभार

    जवाब देंहटाएं

आपका मूल्यांकन – हमारा पथ-प्रदर्शक होंगा।