शिवस्वरोदय – 71
आचार्य परशुराम राय
तस्यायुर्वर्द्धते नित्यं घटिकात्रयमानतः।
शिवेनोक्तं पुरा तन्त्रे सिद्धस्य गुणगह्वरे।।386।।
भावार्थ – इसके पूर्व प्राणायाम आदि के बताए साधनों का अभ्यास करनेवाले साधक की
आयु तीन घटी रोज बढ़ती है। इस परम गुह्य (गोपनीय) ज्ञान का उपदेश भगवान शिव
ने माँ पार्वती को सिद्ध के गुणों के
उद्गम स्थल (गुण-गह्वर) में दिया।
English
Translation – A person who practices regularly breathing exercise
and other practices described earlier, his life span increases daily about more
than one hour daily. This secret knowledge of Swar science was preached by Lord
Shiva to Goddess Parvati at the inner most spritual level.
योगीपद्मासनस्थो गुदगतपवनं
सन्निरुद्धोर्ध्वमुच्चैस्तं
तस्यापानरन्ध्रे क्रमजितमनिलं
प्राणशक्त्या निरुद्धय।
एकीभूतं सुषुम्नाविवरमुपगतं ब्रह्मरन्ध्रे च नीत्वा
निक्षिप्याकाशमार्गे शिवचरणरता यान्ति ते केSपि धन्याः।।387।।
भावार्थ – योगी पद्मासन में बैठकर मूलबंध लगाकर अपान वायु को रोकता है और प्राणवायु को
रोककर उसे सुषुम्ना नाड़ी के माध्यम से ब्रह्मरंध्र तक और फिर वहाँ से उसे आकाश
(सहस्रार चक्र) में ले जाता है। जो योगी ऐसा करने में सफल होते हैं, वे ही धन्य
हैं।
English
Translation - A yogi should
sit in lotus posture along with Mulbandh (a kind Hatha-yogic practice, in which
breath is held inside and anus is contracted and chin touches chest) and
directs Pranic energy to Sahasrar Chakra through Sushumna channel and Brahma
Randhra. Yogis who succeed in it, they are blessed.
एतज्जानाति यो योगी एतत्पठति नित्यशः।
सर्वदुःखविनिर्मुक्तो लभते वाञ्छितं
फलम्।।388।।
भावार्थ – जो योगी इस ज्ञान को जानता है और प्रतिदिन इस ग्रंथ का पाठ करता है, वह सभी
दुखों से मुक्त होता है तथा अन्त में उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी होती है।
English
Translation – A yogi, who is well versed in this science and recites
this text daily, becomes free of all miseries and gets all his desires
fulfilled.
स्वरज्ञानं भवेद्यस्य लक्ष्मीपदतले भवेत्।
सर्वत्र च शरीरेSपिसुखं तस्य सदा
भवेत्।।389।।
भावार्थ – जो स्वरज्ञान का नित्य अभ्यास कर इसे अपना बना लेता है, लक्ष्मी उसके चरणों
में होती है। वह जहाँ कहीं भी रहता है, सभी शारीरिक सुख सदा उसके पास रहते हैं,
अर्थात् मिलते हैं।
English
Translation – A person, who practices techniques described in this
science daily and becomes perfect in them, gets all physical pleasures wherever
he is.
प्रणवः सर्ववेदानां ब्राह्मणानां
रविर्यथा।
मृत्युलोके तथा पूज्यः स्वरज्ञानी पुमानपि।।390।।
भावार्थ – जिस प्रकार वेदों में प्रणव और ब्राह्मणों के लिए सूर्य पूज्य हैं, उसी प्रकार
संसार में स्वर-योगी पूज्य होता है।
English
Translation – Pranava is as respectable in Vedas and the sun for Brahmanas,
Swar-yogi is respected in the world in the same way.
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बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंदिक्कत यही है कि प्राणायामकर्ताओं और प्रचारकों-दोनों को यह पता ही नहीं होता कि प्राणायाम का असली उपयोग क्या है। बात शारीरिक शुद्धि तक सिमट कर रह जाती है। यहां तक कि स्वरज्ञान को भी शारीरिक और भौतिक सुख से ही जोड़कर देखा जा रहा है। क्या इन्हीं उपलब्धियों के बूते स्वरयोगी पूज्य होता है?
जवाब देंहटाएंसंसार में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जिसे किसी ग्रंथ के पाठ से दुख से मुक्ति मिली हो। ग्रंथों का पाठ दुखों से मुक्ति का उपाय हो ही नहीं सकता। अन्यथा,हनुमान चालीसा का शतबार पाठ कर कई बंदी छूट गए होते।
अपान वायु को रोकना? क्या दूषित वायु का निकल जाना उचित नहीं है?
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमेरा शौक
मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,
आज रिश्ता सब का पैसे से
शिवस्वरोदय की यह शृंखला बहुत ज्ञानवर्धक रही।
जवाब देंहटाएंVery interesting, excellent post. Thanks for posting. I look forward to seeing more from you. Do you run any other sites
जवाब देंहटाएंFrom Great talent
ज्ञानवर्धक श्रृंखला है यह...
जवाब देंहटाएंहनुमान चालीसा का पाठकर बंदी छूटते हैं कि नहीं यह तो नहीं पता लेकिन संयुक्त अरब अमीरात में कलाम पाक के पाठ से बंदी के कारावास से छूट जाने का प्रावधान है और वहाँ के समाचार पत्रों में इस प्रकार के समाचार देखने को मिलते हैं. मेरे लिए तो हनुमान चालीसा और कलाम पाक (कुरान शरीफ) में कोई अंतर नहीं.. इसलिए बंदी के छूटने का परिणाम आँखों देखी घटना है मेरे लिए!
बहुत उपयोगी और ज्ञानवर्धक!
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