तक्षक की बेटी तक्षशिला पर बैठी
श्यामनारायण मिश्र
बैठ नहीं पाएगी, चिड़िया री!
रोप मत बवाल
ज़ंग लगी खूंटी है
टंगे हुए सैंकड़ों सवाल।
क़िस्मत ही खोटी है,
बिल्ली से बचे हुए
सुग्गे को निगल गई छिपकली।
अम्मा की धोती में रगड़ रही नाक
दूध और रोटी को मचली है लाडली।
गोकुल को लौट रहे
यमुना में डूब गए ग्वाल।
अभी जो हड़प्पा से आई है पाती,
आंखों में जलती रेत भर गई।
तक्षक की बेटी तक्षशिला पर बैठी
भेजे अनंतनाग बीन फिर नई।
गंधार के राजा, न्यौते पर आए हैं
पांसों की करने पड़ताल।
अभी संघमित्रा! श्रीलंका से लौटी है,
सिंघलियों की पुख्ता खोज खबर लेकर
सुना है विभीषण ने पुष्पक फिर मांगा है
टूट गए हैं वे डोंगी खे-खेकर।
दिशा और विदिशा फैले हैं।
सभी जगह जाल।
प्रत्येक गीत बीते युग के सन्दर्भ में अपने समय का नवगीत होता है और प्रत्येक नवगीत आने वाले कल की पृष्ठभूमि मे अपने जमाने का गीत होता है । उपर्युक्त के आलोक में श्याम नारायण मिश्र का नवगीत " तक्षक की बेटी तक्षशिला पर बैठी " की प्रस्तुति अच्छी लगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें ||
जवाब देंहटाएंchitrayepanne.blogspot.com
काल जाल में उलझे हैं।
जवाब देंहटाएंबैठ नहीं पाएगी, चिड़िया री!
जवाब देंहटाएंरोप मत बवाल
ज़ंग लगी खूंटी है
टंगे हुए सैंकड़ों सवाल।
गीत में बिम्बों का अच्छा प्रयोग है !
आभार !
नए बिम्ब से सजी अच्छी रचना पढवाने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा एवं स्तरीय कविता...
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर ऐसी रचनाए कम ही देखने को मिलती है...
साधु-साधु
वाह ...बहुत ही बढि़या।
जवाब देंहटाएंतक्षक का मॉइथॉलॉजिकल सम्बन्ध है क्या तक्षशिला से?
जवाब देंहटाएंज़ंग लगी खूंटी है
जवाब देंहटाएंटंगे हुए सैंकड़ों सवाल।
......नमन !
ज़ंग लगी खूंटी है
जवाब देंहटाएंटंगे हुए सैंकड़ों सवाल।..बहुत खूब..
माइथोलोजी और आधुनिक बिम्बों के मेल बनी अद्भुत नव गीतिका!!
जवाब देंहटाएंkin shabdo me tarif karoo ...lajwab...behtarin
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंविभिन्न युगों की समीचीन बातें बतियाता सुंदर नवगीत
जवाब देंहटाएंatiuttam rachna.badhaai.
जवाब देंहटाएंअभी जो हड़प्पा से आई है पाती,
जवाब देंहटाएंआंखों में जलती रेत भर गई।
तक्षक की बेटी तक्षशिला पर बैठी
भेजे अनंतनाग बीन फिर नई।
गंधार के राजा, न्यौते पर आए हैं
पांसों की करने पड़ताल।
bahut achhi rachna abhar
बिल्ली से बचे हुए
जवाब देंहटाएंसुग्गे को निगल गई छिपकली।
गंधार के राजा, न्यौते पर आए हैं
पांसों की करने पड़ताल।
बहुत खूब !
पाण्डेय जी ! राजा तक्षक की बसाई नगरी है तक्षशिला.