मंगलवार, 23 मार्च 2010

बिहार स्थापना दिवस के बहाने ..


बिहार स्थापना दिवस के बहाने

कल हमारे स्कूल-कॉलेज के ज़माने के दोस्त अजय नारायण सिन्हा, जो मुज़फ़्फ़र पुर में एडवोकेट हैं, के एस.एम.एस. से ज्ञात हुआ कि बिहार स्थापना दिवस है। न क्षेत्रवाद कभी किया है न चाह है। इस लिये इस संदेश को ’इग्नोर’ कर दिया।


लेकिन आज जब अखबार पर नज़र डाली तो पता चला कि इस दिवस को कोलकाता में भी पूरे उत्साह के साथ मनाया गया।


बिहार संस्कृति की जननी है। स्थापना के 98 साल में पदार्पण करने के बावज़ूद बिहार की संस्कृति समृद्ध ही हुई है। मेट्रो शहर कोलकाता में घर में श्रीमती जी बच्चों से मैथिली में ही बात करती हैं और सुबह में विद्यापति के जय-जय भैरवी असुर भयावनी भक्ति गीत से उनका क्रियाकलाप शुरु होता है’ उसमें हम भी शमिल रहते हैं। ड्राइंग रूम की दीवाल पर टंगे मधुवनी पेंटिंग पर धूल का एक कण जमा नहीं होने देतीं।


अन्य क्षेत्रों में भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है बिहार। मुख्यमंत्री के शब्दों में कहें तो बिहारी कहलाना अब शान की बात हो गई है। बिहार दिवस पहली बार इतना धूमधाम से मनया गया है। वर्ष 1912 में 22 मार्च को बिहार उड़ीसा से अलग हुआ। बिहार सरकार ने इसे बिहारी अस्मिता का नाम देते हुए अपनी उपलब्धियों की प्रचार श्रृंखला शुरु की हई। और इसी श्रृंखला में मेरा दोस्त एस.एम.एस. भेजता है। आप भी वह संदेश देखें


बिहार ही एक ऐसा स्टेट है जिसके हर लेटर से इंडिया का नाम आता है!!

BI H A R

Bharat India Hindustan Aryawart Rewakhand

है न मज़ेदार एस.एम.एस.! जै बिहार!!

12 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मनोज जी,
    बिहार को लेकर आपके विचार से मैं पूर्णतः सहमत हूँ.आज देश की जो स्थिति है,मुझे पक्का यकीन है कि एक बार फिर बिहार ही देश को दिशा देगा.वेशक घृणा भविष्य में पूजा में बदल जायेगी.
    आपका
    मुकेश कुमार किन्नर
    नालंदा,बिहार

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  2. मेट्रो शहर कोलकाता में घर में श्रीमती जी बच्चों से मैथिली में ही बात करती हैं और सुबह में विद्यापति के “जय-जय भैरवी असुर भयावनी” भक्ति गीत से उनका क्रियाकलाप शुरु होता है’ उसमें हम भी शमिल रहते हैं। ड्राइंग रूम की दीवाल पर टंगे मधुवनी पेंटिंग पर धूल का एक कण जमा नहीं होने देतीं

    आपकी पोस्ट पर विद्यापति और उनके गीत को पढकर हमारा कलकता में बिताया बचपन और शुरु कि जवानी याद आगयी जब हमारे अडोस पडौस मे बिहारी जनों के यहां शादी विवाह में विद्यापति के गीत गाये जाते थे.

    बिहार दिवस की बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. बढ़िया जानकारी...बिहार दिवस कि शुभकामनायें

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  4. दुर्दिनों की कालिमा को चीर कर दे गया है दस्तक नव प्रभात............. लौटेंगे स्वर्णिम दिन........ समृद्ध होगा बिहार ! साम्रिद्ध होगा भारत !!
    अपने को किसी दिवस से क्या लेना.............. 'सर्वे भवन्तु सुखिनः ! सर्वे सन्तु निरामयाः !!' अपना तो नारा है, "धर्म की जय हो ! अधर्म का विनाश हो ! प्राणियों में सद्भावना हो ! विश्व का कल्याण हो.............!!"
    जय बिहार ! जय भारत !!

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  5. @ ब्लॉगर Udan Tashtari
    आपके विचारों की कद्र करते हुए आपके निवेदन पर अम्ल करूँगा।

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  6. साधू -साधू अति आवश्यक बात कह आपने मन हर्षित-हर्षित कर दिया. सच में बिहार दिवस के बारे में इतना प्रचार कभी नहीं हुआ जितना इस बार हुया. जय हो बिहार की.... जय जय बिहार.......

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  7. एक सही सामयिक और सुन्दर पोस्ट लगाया है आपने.

    अभी कुछ दिनों के लिए बिहार दौरे पर था. बहुत से कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी देकर लौटा हूँ.

    मेरा मिशन भी बिहार को लेकर ही है. वर्तमान सरकार(C.M. NITISH KUMAR) ने बहुत तेजी से सुधार की दिशा में काम किया है. उन्हें, सम्बंधित विभाग और समस्त जनता को साधुवाद.

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  8. एक और बात,
    जिस प्रकार अतित में बिहार (मगध, मैथिल, नालंदा आदि क्षेत्रों ) ने समस्त विश्व में गौरवशाली संस्कृति का ज्ञान दिया है. ऐसे लग रहा है की इसके हाल में मिले जख्म जल्दी भरने को हैं.

    सिर्फ राजनीति करने वालों से सावधान रहने के जरुरत है.

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  9. बिहार दिवस मनान सभी राज्यों के लिए प्रेरनादायी साबित होगा.

    जब जंगल राज का अंत हो सकता है तो बिहार भी स्वर्ग बन सकता है

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  10. मनोज जी,
    आपका पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा। बिहारी हूँ और बिहारीगिरी से कोई परहेज नहीं करता हूँ। उम्र के २३वे साल में आकर पहली बार गैर-बिहारियों में बिहार के प्रति इज्ज़त देख रहा हूँ। सच में बिहार बदल रहा है, और अब हमारा कर्त्तव्य है कि हम इसकी गरिमा को और बढ़ाएं। भारत ही नहीं पूरी दुनिया के सामने लायें। जय बिहार!

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