नवगीत
जब होंगे फिर मन पलाश
भटक गए हैं
कालखण्ड में
रंग वसंती, केसू, केसर
आसक्ति का
नेह में तिरना
सुन्दरि का अन्तः निवास।
अपरिमेय
आनन्दिक अनुभव
संग - सहेली
स्मृति खोई
कब बोलेंगे ‘पिउ’ ‘पिउ’
बिखरेगी चहुँदिश सुवास।
रूप केतकी
ढीठ निगोड़ी
इठलाएगी छलना जैसी
रीझ उठेंगे
अनजाने ही
विस्मृत कर अपने संत्रास।
चंचल नदी
लहरता आँचल
अविरल कल-कल
मय निश्छल जल
लौटेंगे वे बीते दिन
जब होंगे फिर मन पलाश।
****
पुनश्च :
मित्रों इस ब्लोग के माध्यम से आपका जानकीवल्लभ शास्त्री जी से परिचय तो हो ही चुका है। इन दिनों शास्त्री दम्पत्ति बीमार हैं और अस्पताल में उनका उपचार चल रहा है। इस पोस्ट के माध्यम से ईश्वर से हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।
अस्पताल में उन्हें इजी चेयर पर बैठा कर घूमाया गया। इजी चेयर पर उन्होंने झपकी भी ले ली। जब लौटकर बेड पर आए तो मुस्कुराते हुए कहा- 'मुझे तो लगा कि इजी चेयर पर बैठा कर घर ले जाया जा रहा है। मैं तो फिर यहीं आ गया।'
नर्सो के आग्रह पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध गीत 'किसने बांसुरी बजाई..' सुनाई।
पत्नी छाया देवी (जिन्हें वो बहु जी पुकारते हैं) ने बुखार के कारण भोजन नहीं किया।
शास्त्री जी की सेहत अच्छी है। रक्त की जरुरत थी, शुक्रवार को एक-एक यूनिट रक्त चढ़ा दिया गया है। अब कोई चिंता की बात नहीं। हां, छाया देवी जी का जख्म गहरा है जिसे भरने में अभी समय लगेगा।
स्वास्थ्य संबंधी समाचार का लिंक नीचे है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_7314772.html/print/
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_7319216.html
बहुत बढ़िया.
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जवाब देंहटाएंचंचल नदी
जवाब देंहटाएंलहरता आँचल
अविरल कल-कल
मय निश्छल जल
लौटेंगे वे बीते दिन
जब होंगे फिर मन पलाश।
सुबह सुबह आपका प्यारा-सा नवगीत पढ़ने को मिला. बहुत बढ़िया है
bahut sunder
जवाब देंहटाएं..
जब होंगे फिर मन पलाश।
जवाब देंहटाएंkitni sunder upma dee hai wah.man palash....
पलाश तो लाल रंग के हैं, होली के टेसू वाले, मन कमलवत निर्लिप्त नहीं, पलाशवत रंगमय हो।
जवाब देंहटाएं। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति…………शास्त्री जी और उनकी पत्नी शीघ्र स्वस्थ हो इसी की कामना करते हैं।
जवाब देंहटाएंनवगीत बढ़िया है ..
जवाब देंहटाएंपरम पूजनीय शास्त्री जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना ...के साथ आपका आभार आपने इस समाचार को हम तक पहुँचाया
सुन्दर नवगीत ..शास्त्री दंपत्ति के लिए शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की दुआएं.
जवाब देंहटाएंहम शास्त्री दम्पत्ती के पूर्ण और उज्जवल स्वास्थ्य की कामना करते हैं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर , प्रेम्पगा नवगीत ...
जवाब देंहटाएंआचार्य जी के स्वास्थ के लिए प्रार्थना ही कि शीघ्र लाभ हो ..
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी स्वास्थ्य के बारे में जानकर अच्छा नहीं लगा। ईश्वर दोनों जनों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करे।
जवाब देंहटाएंपुनःश्च,
बिम्बों की सार्थक व्यंजना से सुसज्जित सुगठित अभिव्यक्ति। नवगीत के भाव हृदय में गहरे तक उतरते हैं। बहुत सुन्दर लगा इसे पढ़कर। आभार।
चंचल नदी
जवाब देंहटाएंलहरता आँचल
अविरल कल-कल
मय निश्छल जल
लौटेंगे वे बीते दिन
जब होंगे फिर मन पलाश......
jaroor lautenge.
नवगीत अचछा लगा। शास्त्री जी एवं उनकी पत्नी को भगवान स्वस्थ रखें-यही कामना है।
जवाब देंहटाएं@गुप्त जी के लिए
जवाब देंहटाएंसरल, सहज शब्दों में सुन्दर सुन्दर गीत...
@ शास्त्री जी के लिए
उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूँ..
ऐसी सुन्दर रचना पढवा पहले to आह्लादित कर दिया आपने aur फिर यह खबर सुना दी...
जवाब देंहटाएंईश्वर इन्हें शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण स्वस्थ करें...
हम शास्त्री जी के और उनकी पत्नी के शीघ्र स्वास्थ लाभ की कामना करते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..शब्दों और भावों का अद्भुत संयोजन..
जवाब देंहटाएंपूजनीय शास्त्री जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ..... आपका आभार... सुन्दर नवगीत
जवाब देंहटाएंनवगीत में कवि की कल्पना जनित उड़ान बड़ी मोहक लगी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर नवगीत। छोटे-छोटे शब्दों में भावों की गहनता है। शृंगार के माध्यम से आधुनिक युग की पीड़ा का अद्भुत चित्रण किया है कवि ने।बिम्ब बहुत ही सहज और आकर्षक हैं। आभार,
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी और उनकी पत्नी शीघ्र स्वस्थ हो ऐसी ईश्वर से कामना है।
गीत और विवरण-दोनों मानो संगम हैं सुख-दुख के।
जवाब देंहटाएंआचार्य जी और उनकी पत्नी जल्दी स्वस्थ हो इसी की कामना करते हैं। हमारी शुभकामनाऎं
जवाब देंहटाएंसुश्री रामपति के विश्वास के साथ -
जवाब देंहटाएं"जरूर लौटेंगे वे दिन आदरणीय शास्त्री दम्पती के"
हरीश जी ने समाँ बाँध दिया! और आचार्य जी के स्वास्थ्य लाभ की कामना!!
जवाब देंहटाएंआचार्य शास्त्री दम्पती के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
जवाब देंहटाएंपुनःश्च,
अपने सभी पाठकों को नवगीत पसंद करने और अपनी उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी को हार्दिक धन्यवाद।
सुंदर नवगीत। ऐसे गीतों के आंच पर आने से पाठकों को गुनगुनी उष्मा मिलेगी। अत: इसे आंच पर देखने की लालसा रहेगी।
जवाब देंहटाएंमहाकवि आचर्य शास्त्री एवं बहूजी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ। मैं दैनिक जागरण के वेब वर्सन के माध्यम से लगातार सम्बन्धित समाचार से सम्बन्ध बनाये रहता हूँ!!
तो फिर देर किस बात की, करण जी। आँच जरा तेज लगे तो ही ठीक रहेगा। ताकि मुझे भी तो महसूस हो कि आँच की तपिश क्या होती है।
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