फ़ुर्सत में – होली के रंग गीतों के संग
-- करण समस्तीपुरी
आया मधुमास। हिमगात हेमंत की मार से नीलवर्ण आकाश को मिला उजास। शीत की श्वेतिमा में मिले केसर के रंग। फूले कुसुम। गदराया सरसों। बौराये रसाल से झहरे मकरंद। सुगंध महुआ का मादक... पुनर्नवा हुई प्रकृति। लौट आया वसुंधरा का यौवन। फूटे कोयल की कूक। पपीहे की हूक। अमराई में भौंरों का गुंजार। सरसों के मुकुलित आंचल में गौरैयों की अठखेलियां.... अरुण प्रसून संभाले सेमल की फुनगी पे सुग्गों की टें-टें... सांझ-भिनसार बांस के बीट में विहग-वृंद का कलरव.... टी-बी-टी-टुट-टुट।
शरद के साहचर्य से सकुचाई धरा के बहुरे दिन। किसलय की कोमलता, काकली के गीत का माधुर्य, पुष्पों से ले पराग, ओढ़ धानी चुनर वसुधा ऋतुराज से मिलन को इतराई। मनचली बसंती हवा हरजाई.... बन अनंग के वाण। अतृप्त प्राण। आकुल आत्मा ढूंढे प्रणय के संगीत। फ़ागुन के गीत..... “पिया संग खेलो होरी...फ़ागुन आयो री...” (पूरा गीत सुनने के लिये यहां क्लिक कीजिये।)
स्वर्णिम धरा। रक्ताभ गगन। कभी मंद कभी झकझोर। पवन का हिलोर। झुमती अलसी। झांझ बजाती गेहुँ की स्वर्णाभ बालियाँ। खेत के मेड़ों पे फ़ागुनी गाये कृषक-कन्याएं – “पिया ला दे कुसुम रंग साड़ी झमाझम पानी भरूँ।“ झुक गया अरहर का तन। खिल उठे किसानों के मन। हर गली बरसाना। हर गांव वृंदावन। हर ताल सरयू। हर तलैय्या यमुना-तट। पनिहारिन गोपियां। सर पे गगरी। कैसे खेलें होरी। कृष्ण करे बलजोरी, “फ़ाग में न मानिहौं बात तोरी एक भी ! चुनरी रंगा ले गोरी, होरी साल भर पे आई है!” अह्ह्हा... सकल मनोरथ पुरे उनके, जिन देखा यह दृश्य। कालिंदी-कूल। कदंब की डार। मुरलीधर मुकुंद। टेरे राग धमार। अनुनय करे ब्रजनारी। ना माने गिरिधारी। ऐसी मारी पिचकारी... भींगी अंगिया-साड़ी। गोपियां बेचारी। कान्हा की बलिहारी। अब तो जल लेने दो मुरारी। ऐ बंदवारी.... !
भरने दे हो गागर बंदवारी.... भरने दे !
भरने दे हो गागर बंदवारी..... भरने दे !!
लाज है औरत की साड़ी लोग बोलें कुछ हम नहीं !
ऐ मेरे ब्रजराज मोहन, है तुझे कुछ गम नहीं !!
लहंगा-साड़ी लाज हमारी....
मत मारो रंग पिचकारी....... हो-हो मत मारो रंग पिचकारी.... भरने दे.... !
भरने दे हो गागर बंदवारी.... भरने दे !!
हूँ भला मानुस सदा, होशियार और बुद्धियार हूँ !
जानता हूँ सब मगर इस फाग भर लाचार हूँ !!
नंद-छैल जग में जस तेरो.....
हो फैल रही है है उजियारी........ हो-हो फैल रही है उजियारी.... भरने दे... !
भरने दे हो गागर बंदवारी.... भरने दे !!
जानकर अनजान पनघट पर हो बनते क्यों लला ?
द्रौपदी की लाज रखी थी, बताओ क्यों भला ??
बात तेरी सत्य है ब्रजनायिका सुन तो सही !
द्रौपदी की लाज रखी थी, मगर फ़ागुन नहीं !!
हाँ-हाँ करत रंग डारे मुरारी.....
भीजि गयी पटुकी-साड़ी...... हो-हो भीजि गये पटुकी-साड़ी.... भरने दे !
भरने दे हो गागर बंदवारी.... भरने दे !!
ऐ कन्हैया बेवफ़ा अब छोड़ दे बकवादियाँ !
देख लेंगे लोग सब, होगी नगर बदनामियाँ !!
सासु-ननद घर खोजत होइहैं....
देर भए तो दिये गारी...... हो-हो देर भए तो दिये गारी...... भरने दे !
भरने दे हो गागर बंदवारी.... भरने दे.... !!
इस प्रकार होली खेलय नंदलाल बृज में (यहां क्लिक कीजिये) और अवध में होली खेले रघुवीरा (यहां क्लिक कीजिये)। चौपाल पे फ़ागुन आयो... मस्ती लायो.... जोगीजी धीरे-धीरे.... ! (गीत का आनन्द लेने के लिये यहां क्लिक कीजिये।) ऐसे में प्रियतमा अपने प्रियतम से क्या गुहार करती है, सुनिए एक मधुर मैथिली होली गीत में। (यहाँ क्लिक कीजिये।)
रंग बरसे...! हिय हरसे.... सदा आनन्द रहे आपके द्वारे.... रंगोत्सव की सरस शुभ-कामनाएं !
भाई!
जवाब देंहटाएंवाह!!
वाह-वाह!!
क्या कलेक्शन लगा दिया है!! सुबह से सुनते ही जा रहा हूं।
होली मुबारक़ हो आपको!!
हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
जवाब देंहटाएंमगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.
होली की हार्दिक शुभकामनायें.
भिन्न परंतु सरस शैली में लिखा आलेख होली के रंग से सराबोर कर गया। चुनिंदा गीतों का संग्रह पूरे वातावरण को होलीमय कर रहा है। बधाई।
जवाब देंहटाएंयह होली आप सबको खुशियों के हर रंग से रंग दे।
सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
अहा, इस निर्झर में तो नहाकर उन्मुक्त हो गये।
जवाब देंहटाएंत्रिप्त हो गया
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएं
वाह-वाह!!आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भावपूर्ण रचना ....
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएं !
रंगोत्सव की शुभ-कामनाएं !
जवाब देंहटाएंसब को होली की हार्दिक मंगल कामनाएं.
जवाब देंहटाएंभूल जा झूठी दुनियादारी के रंग....
जवाब देंहटाएंहोली की रंगीन मस्ती, दारू, भंग के संग...
ऐसी बरसे की वो 'बाबा' भी रह जाए दंग..
होली की शुभकामनाएं.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..होली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंभरने दे हो गागर बंदवारी.... भरने दे !!
जवाब देंहटाएंहूँ भला मानुस सदा, होशियार और बुद्धियार हूँ !
जानता हूँ सब मगर इस फाग भर लाचार हूँ !!
नंद-छैल जग में जस तेरो.....manuhaar aur prem se bhari rachna ,holi ki bahut bahut badhai .
करन जी, गीतों को सुनने के चक्कर में मैं आपका आलेख पढ़ नहीं पाया। सोचा, गीत अच्छे हैं तो आलेख भी अच्छा ही होगा। होली का रंग आप सभी पाठकों के हृदय और करन जी के हृदय में सदा ऐसा ही बना रहे, यही शुभकामना है।
जवाब देंहटाएं"सदा अनन्द रहे एहि द्वारे, मोहन खेलें होली"
बेहतरीन भावपूर्ण रचना|
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएं|
बहुत सुन्दर|
जवाब देंहटाएंहोली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
आपको परिवार सहित होली की बहुत-बहुत मुबारकबाद... हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंएक अज्ञात कवि ने ठीक ही कहा हैः
जवाब देंहटाएंआमों पे मंजर लगे
खिले पलाश पे फूल
जब-जब होली आएगी
तब-तब होगी भूल!
आनन्द आ गया...
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को होली की बहुत मुबारकबाद एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल