शनिवार, 5 दिसंबर 2009

कल छह दिसंबर है ... ...

-- मनोज कुमार

कल छह दिसंबर है ... ... मुझे आज इस ब्लॉग के लिए फुरसत में कुछ लिखना है। पर आज मेरा मन कुछ लिखने को नहीं कर रहा। बस कुछ कविताएं, .. कुछ ग़ज़लें, .. कुछ कवियों, .. कुछ शायरों, ... की कुछ पंक्तियां बार-बार पढ़ने को मन कर रहा है। उन्हीं में से छह प्रस्तुत कर रहा हूँ। क्यूंकि कल छह दिसंबर है। बस और कुछ नहीं।

-(1)-

ख़ुदा तो मिलता है, इंसान ही नहीं मिलता,
ये चीज़ वो है, जो देखी कहीं कहीं मैंने। -- डा. इकबाल

-(2)-

इधर बरसों से सरयू का मन उदास
कि बरसों से इधर मुँह अधेरे नहाने नहीं आये
सरयू मे राम

अपने ही तटों से पूछती है
व्यथित व्याकुल सरयूः
आखिर कहाँ चले गए अयोध्या से
रधुपति राधव राजा राम ? -- सुधार सक्सेना

-(3)-

नदी के घाट पर भी यदि सियासी लोग बस जाएँ।
तो प्यासे लोग इक-इक बूँद पानी को तरस जाएँ।।
ग़नीमत है कि मौसम पर हुक़ूमत चल नहीं सकती,
नहीं तो सारे बादल इनके खेतों में बरस जाएँ।। -- जमुना प्रसाद उपाध्याय

-(4)-

फजा़ में घोल दी है नफ़रतें अहले सियासत ने,
मगर पानी कुंए से आज तक मीठा निकलता है। -- मुनव्वर राना

-(5)-

अयोध्या में रामजी ने कभी चाप नहीं चढ़ाया
नौबत नहीं आई कभी शरसंधान की अयोध्या में
और रामानुज ? -- सुधीर सक्सेना

-(6)-

नमाज़ी भी नहीं हैं जो, पुजारी भी नहीं हैं जो,
वो मन्दिर और मस्जिद के लिए ग़मगीन रहते हैं।
अयोध्या है हमारी और हम सब हैं अयोध्या के,
मगर सुर्ख़ी में सिंघल और शहाबुद्दीन रहते हैं।। -- जमुना प्रसाद उपाध्याय

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25 टिप्‍पणियां:

  1. Manoj Ji aaj 6 dec hai....aishe hi koi tarikh kabhi 15th century me bhi thi.....yeh to chalta hi rahta hai....sawal hai ki jab choose karne ki baari aati hai log Ram ko nahi Ravan ko hi vote dete hai.......

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  2. नमाज़ी भी नहीं हैं जो, पुजारी भी नहीं हैं जो,
    वो मन्दिर और मस्जिद के लिए ग़मगीन रहते हैं।
    अयोध्या है हमारी और हम सब हैं अयोध्या के,
    मगर सुर्ख़ी में सिंघल और शहाबुद्दीन रहते हैं।।
    कहां कहा से हीरे ले कर आये ओर हम सब मै बांट दिये, धन्यवाद

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  3. छःवों एक दूसरे से भारी...धुंआधार!!

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  4. इन शेरों में जनता का दर्द उकेरा गया है

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  5. Apne kavita aur shero ki sundar prastuti karte hue apni baat kah di hai . Dhanyawad.

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  6. ऊपर की छह रचनाएं एक से बढकर एक ।

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  7. .
    .
    .
    दिल को छू गई यह पोस्ट, आभार!

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  8. बांकई अलग-अलग सागर से चुने गए अनमोल मोती ! आभार, किन्तु इन पंक्तियों पर भी हर्ष कैसे व्यक्त करूँ ??

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  9. नमाज़ी भी नहीं हैं जो, पुजारी भी नहीं हैं जो,
    वो मन्दिर और मस्जिद के लिए ग़मगीन रहते हैं।
    अयोध्या है हमारी और हम सब हैं अयोध्या के,
    मगर सुर्ख़ी में सिंघल और शहाबुद्दीन रहते हैं ......

    आपके ६ शेर बहुत ही लाजवाब हैं ........ एक से बढ़ कर एक .........

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  10. राम ये कहते हुए अपने द्वारे से उठे ,
    राजधानी की फिजा आयी नहीं रास मुझे ,
    6 दिसम्बर को मिला दूसरा बनवास मुझे

    और क्या कहूं.. कैफ़ी साहब कि ये पंक्तियाँ ही बहुत कुछ कह रही हैं !

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  11. अच्छी लगी आपकी आज की प्रस्तुति ।

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  12. नमाज़ी भी नहीं हैं जो, पुजारी भी नहीं हैं जो,
    वो मन्दिर और मस्जिद के लिए ग़मगीन रहते हैं।
    अयोध्या है हमारी और हम सब हैं अयोध्या के,
    मगर सुर्ख़ी में सिंघल और शहाबुद्दीन रहते हैं।।

    Aha, Manojji, Pratek sher dumdaar laga

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  13. na likhkar bahut kuch baant liya....
    इधर बरसों से सरयू का मन उदास
    कि बरसों से इधर मुँह अधेरे नहाने नहीं आये
    सरयू मे राम

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  14. लोग टूट जाते हैं इक घर बनाने मैं
    तुम तरस नही खाते बस्तिया जलाने मैं

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  15. आपने छक्का लगा दिया
    सभी एक से बढ़कर एक किस अकेले की तारीफ की जाय!

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  16. इतना कहूंगा कि बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियां
    और आम हिंदोस्तानियों की नायाब तिप्पणियां

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  17. बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियां.... अच्छी लगी आपकी आज की प्रस्तुति ।

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  18. Bahut achii aur bahut hi khubsurat gajlon ko parh k achha laga.sach mein bahut khub kaha hai Dr.Iqbal ji ne "ख़ुदा तो मिलता है, इंसान ही नहीं मिलता"...

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  19. बहुत ख़ूबसूरत रचनाएं है। पढ के अच्छा लगा।

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