सोमवार, 26 अप्रैल 2010

कुत्ते की मौत

प्रतिभा कहाँ छुपी हो सकती है... किसे पता ? श्री सत्येन्द्र झा साहित्य-जगत में बिलकुल अनसुना नाम है ! महोदय जल में कमल की भांति साहित्य की एकांत साधना में लीन हैं। झा जी सम्प्रति आकाशवाणी के दरभंगा केंद्र में लेखापाल पद पर कार्यरत हैं। आप ने अपनी रचनाओं को स्वर देने के लिए कवि कोकिल विद्यापति की माधुरी बोली 'मैथिली' को चुना ! आपकी एकमात्र प्रकाशित लघु कथा संग्रह "अहीं के कहै छी... !" (आप ही को कहते हैं ) मिथिलांचल में बहुत ही लोकप्रिय है। आप नित नवीन मैथिली कविता एवं कहानियों के सृजन में लगे हुए हैं। झाजी की श्लिष्ट लेखनी में इतनी कसावट है कि मैं इसे पढ़ कर मैं ऐसा चमत्कृत हुआ कि उनकी रचना को आपके सम्मुख लाने से स्वयं को रोक नहीं सका। प्रस्तुतु है उनकी कलम का एक नमूना ! -- करण समस्तीपुरी

कुत्ते की मौत
-- सत्येन्द्र झा
वह इमानदार था। इसीलिए लोग उसे मारना चाह रहे थे। लोग बोले, "तुम्हे कुत्ते की मौत मारूंगा !" वह चुप था, लेकिन प्रसन्न। क्यूंकि वह भी मनुष्य की मौत नहीं मरना चाहता था।
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(मूल कृति "अहीं के कहै छी..." में संकलित "मौअति" से हिंदी में केशव कर्ण द्वारा अनुदित )

23 टिप्‍पणियां:

  1. "वह इमानदार था। इसीलिए लोग उसे मारना चाह रहे थे। लोग बोले, "तुम्हे कुत्ते की मौत मारूंगा !" वह चुप था, लेकिन प्रसन्न। क्यूंकि वह भी मनुष्य की मौत नहीं मरना चाहता था।"

    आजके हालात तो यही सन्देश देते है सर

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  2. lekh acha laga. bahut chote shabdo me badi baat kahi hai aapne. dhanyawaad.

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  3. इस देश में कानून और व्यवस्था को सुधारने के लिए ,पूरे देश को एक जुट होकर सत्यमेव जयते की रक्षा के लिए, सर पर कफ़न बांधना होगा /ऐसे ही प्रस्तुती और सोच से ब्लॉग की सार्थकता बढ़ेगी / आशा है आप भविष्य में भी ब्लॉग की सार्थकता को बढाकर,उसे एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने में,अपना बहुमूल्य व सक्रिय योगदान देते रहेंगे / आप देश हित में हमारे ब्लॉग के इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर पधारकर १०० शब्दों में अपना बहुमूल्य विचार भी जरूर व्यक्त करें / विचार और टिप्पणियां ही ब्लॉग की ताकत है / हमने उम्दा विचारों को सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / इस हफ्ते उम्दा विचार के लिए अजित गुप्ता जी सम्मानित की गयी हैं

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  4. karan jee dhanyvadise nek kaam ke liye ........

    asardar vazanee lekhan prabhavit kar gaya......

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  5. कितनी वेदना है उसकी प्रसन्नता में...इमानदारी का ये इनाम?????? मन विचलित हो गया

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  6. इन चंद लाइनों में गहरा अर्थ छुपा है ।

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  7. मारक व्यंग्य !! सच .. गागर में सागर!! मनःस्थिति बदले, तब परिस्थिति बदले ।

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  8. कीड़े मकोड़ों का जीवन जीते इंसान और यह जीवन भी मौत से बदतर..बेहतर है कुत्ते की मौत, स्वामिभक्ति और ईमानदारी की मौत…

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  9. कम शब्दों में कही गई पूरी बात. अर्थ व्यापक है और संदेश स्पष्ट तथा असरदार है.

    हम सब कुछ जानते हैं लेकिन जब विचार इस प्रकार संशलिष्ट रूप में सामने आते हैं तब हम चिंतन के लिए प्रेरित होते हैं।

    ऐसे ही विचारों से लेखन सार्थक होता है.

    आभार.

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  10. इंसान से बदतर जानवर कोई नहीं ... सही लेख है ...

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  11. चंद लाइनों में गहरा अर्थ छुपा है ।

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  12. वर्तमान हालातों की मार्मिक व्यथा का भावपूर्ण चित्रण के लिए आभार

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  13. मार्मिक व्यथा का भावपूर्ण चित्रण ।

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  14. आजके हालात तो यही सन्देश देते है|

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  15. चाकरी जीवन से जुड़ी लघुकथा काफी अच्छी लगी।

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  16. प्रथम पोस्ट पर पाठकों का अपार स्नेह सत्येन्द्र झा जी की आसन्न लोकप्रियता का का स्पष्ट संकेत है ! मैं झा जी का इस ब्लॉग पर अभिवादन और सहयोग के लिए आभार प्रकट करता हूँ ! कथा की व्यंजकता आप देख ही चुके हैं !!! धन्यवाद !!!

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