रविवार, 12 दिसंबर 2010

भारतीय काव्यशास्त्र :: भाव के शेष भेद

भारतीय काव्यशास्त्र

आचार्य परशुराम राय

पिछले अंक में भाव के चार भेदों - स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव या व्यभिचारी भाव, में से स्थायी भाव की चर्चा की गयी थी। इस अंक में भाव के शेष भेदों की चर्चा की जाएगी।

सर्वप्रथम लेते हैं विभाव को। विभाव रसोद्रेक का बाह्य कारण हैं। ये दो प्रकार के होते हैं:-

1- आलम्बन विभाव

2- उद्दीपन विभाव

शृंगार रस में नायक और नायिका आलम्बन विभाव कहलाते हैं। बाग-बगीचा, वसन्त, वर्षा या चाँदनी, एकान्त स्थान आदि उद्दीपन विभाव के नाम से जाने जाते हैं। इसी प्रकार रसों की चर्चा के समय उनके आलम्बन और उद्दीपन विभावों की ओर संकेत किया जाएगा।

रति आदि स्थायी भावों की आंतरिक अभिव्यक्ति का वाणी और आंगिक भंगिमा द्वारा बाह्य प्रकाशन अनुभाव कहलाते हैं। जैसे शृंगार रस में आँख मटकाना, आँख मारना, मुस्कराना, बजाना, मधुर बोलना आदि अनुभाव हैं। प्रत्येक रस के अलग-अलग अनुभाव बताए गए हैं। इन्हें नीचे सारिणी-बद्ध किया जा रहा है:-

स्थायिभाव अनुभाव

रति -- स्मितवदन (मुस्कराहट), मधुर-कथन, भूक्षेप (आँख मारना, भौंह टेढ़ी करना, भ्रूभंग), कटाक्ष (तिरछी निगाह) आदि

हास -- हँसना आदि

शोक -- अस्रुपात, परिदेव (जोर-जोर से रोना-धोना), विलाप, विवर्णता, स्वरभेद (गला भर आना), शरीर का ढीला पड़ जाना। जमीन पर गिर जाना, हिचकी मारना, आक्रन्दन, दीर्घ श्वास-प्रश्वास, उन्माद, मोह, मरने आदि का अभिनय करना (नाटक में)।

क्रोध -- नथुनों को फुलाना, ऑंखों को बड़ा-बड़ा करना, होठों और गालों का फड़कना आदि।

उत्साह -- पैरों का प्रकम्पन, हृदय की धड़कन बढ़ना, स्तम्भन, मुँह का सूखना, बार-बार जीभ को चलाकर गीला करने का प्रयास, पसीना आना, त्रास, रक्षा हेतु इधर-उधर भागना आदि।

जुगुप्सा -- अंगों को सिकोड़ना, थूकना, मुँह टेढ़ा करना, चिंता आदि।

विस्मय -- आँखों का फैलाना, अपलक देखना, भ्रक्षेप, रोमहर्षण, सिर कम्पन,साधुवाद (बहुत अच्छा) आदि बार-बार कहना।

इस प्रकार अनुभाव स्थायिभावों की अनुभूति की वाणी एवं अंग-संचालन द्वारा अभिव्यक्त होते हैं।

व्यभिचारी-भावों या संचारी-भावों का लक्षण करते हुए आचार्य भरत कहते हैं - जो अनेक रूपों से रसों में संचारण करते हुए रसों को पुष्ट कर आस्वाद्य बनाते हैं, उन्हें व्यभिचारी भाव कहते हैं। इनकी कुल संख्या 33 मानी गयी है।

निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, भ्रम, आलस्य, दैन्य, चिन्ता, मोह, स्मृति, धृति, व्रीड़ा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता, गर्व, विषाद, उत्सुकता, निद्रा, अपस्मार, सुप्त, विबोध, अमर्ष, अवहित्थ (लज्जा आदि भावों को छिपाने का प्रयास या भाव-गोपन), उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, त्रास और वितर्क।

यहाँ द्रष्टव्य है कि कुछ अनुभावों के नाम भी व्यभिचारी भाव के अन्तर्गत लिए गए हैं। इन दोनों भेदों को यों समझना चाहिए कि व्यभिचारी भाव आन्तरिक अनुभूतिगत भाव हैं, जबकि अनुभाव वाणी और अंग-संचालन द्वारा बाह्याभिव्यक्ति हैं।

अगले अंक में रस-सिद्धांत सम्बन्धित विभिन्न आचार्यों के मतों की चर्चा की जाएगी।

17 टिप्‍पणियां:

  1. काव्य शास्त्र पर आधारित ज्ञानवर्धक एवं सुन्दर आलेख.

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  2. काव्यशास्त्र के संबंध में सूचनापरक जानकारी के लिए धन्यवाद।

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  3. आपका यह कार्य हिन्दी साहित्य में अमूल्य योगदान है। आभार,

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  4. हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!

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  5. kavya ankaran ke bhav ke bhedon kee vistrit jaankari se awgat karane ke liye aabhar...

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  6. मनोज जी बहुत अच्छा लिखा आप ने कावयशास्त्र के बारे, इस ज्ञान वर्धक लेख के लिये आप का धन्यवाद

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  7. आपका प्रयास अत्यंत सराहनीय है।

    आभार,

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  8. काव्यशास्त्र के बारे में जानकारी अच्छी लगी.

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  9. मनोज जी आज के दौर में ऐसी प्रस्तुतियों की जितनी तारीफ की जाए कम ही होगी| आपका काव्य प्रेम बातों से बढ़ कर व्यवहार में भी दिख रहा है| मुझे खुशी है कि मैं आप से जुड़ा हुआ हूँ|

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  10. भारतीय काव्यशास्त्र को समझाने का चुनौतीपूर्ण कार्य कर आप एक महान कार्य कर रहे हैं। इससे रचनाकार और पाठक को बेहतर समझ में सहायता मिल सकेगी। सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।

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  11. काव्यशास्त्र समझने के लिये बहुत उपयोगी,ग्यानवर्द्धक पोस्ट बुकमार्क कर ली बार बार पडःाने के लिये। धन्यवाद।

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  12. साहित्य को समझने के लिए आपके इस श्रंखला को पढना जरुरी हो गया है..

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  13. हिन्दी साहित्य के काव्यशास्त्र के बारे में आपका यह लेख बहुत ही ज्ञानवर्धक है. इस कार्य को आगे बढाते चले.
    आभार

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  14. भारतीय काव्य शास्त्र में वर्णित भावों के विभिन्न रूपों पर इतनी गहन विवेचना ब्लॉग जगत की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है !
    आचार्य जी, कृपया मेरा विनम्र आभार स्वीकार करें !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  15. हिंदी साहित्य में स्टीक जानकारी प्रस्तुत
    धन्यवाद
    गुड्डोदादी चिकागो अमरीका से

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