शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

शिवस्वरोदय – 51

शिवस्वरोदय  – 51

  • आचार्य परशुराम राय

    इन  श्लोकों में वशीकरण के तरीके बताए गए हैं। इनपर लिखते  समय यह विचार आया कि इसे  छोड़ दिया जाय, पर ऐसा करने से यह अधूरा रह जाता जो अनुचित होता। श्लोक संख्या 285 तक स्त्रियों को वश में करने के तरीके बताए गए हैं और श्लोक संख्या 286 से 300 तक गर्भाधान के तरीके बताए गए हैं। यदि  इसे पढ़कर पाठकों को अन्यथा लगता है, तो उसके लिए मैं  क्षमा माँगता हूँ।

    श्रीदेव्युवाच

    नरयुद्धं  यमयुद्धं त्वया  प्रोक्तं महेश्वर।

    इदानीं  देव देवानां  वशीकारणकं वद।।275।।

    भावार्थ – माँ पार्वती भगवान शिव से कहती हैं कि हे देवाधिदेव, आपने हमें बताया कि मनुष्यों और यम के साथ युद्ध में विजय कैसे पाया जाय। साथ ही मोक्ष आदि के सम्बन्ध में भी बताया। अब आप कृपा कर बताएँ कि दूसरों को अपने वश में किस प्रकार किया जाता है।

    English Translation – Goddess said to Lord Shiva, “O God of gods, you explained me how a war with men and Yama  (death) can be won with the help of knowledge of Swara. Now please let me know how to command (a person).”

    ईश्वरोवाच

    चन्द्रं सूर्येण चाकृष्य  स्थापयेज्जीवमंडले।

    आजन्मवशगा रामा कथितं यं तपोधनैः।। 276।।

    भावार्थ – भगवान शिव कहते हैं कि हे देवि, तपस्वी लोगों का कहना है कि यदि पुरुष अपने सूर्य स्वर से स्त्री के चन्द्र स्वर को ग्रहण कर अपने अनाहत चक्र में धारण करे, तो वह स्त्री आजीवन उसके वश में रहेगी।

    English Translation – Lord Shiva said, “O Goddess, according to the great preceptors, if a man breathes in the breath of a woman running in left nostril through his right nostril and holds it in his Anahat Chakra, the woman comes under his commands forever.  

    जीवेन गृह्यते जीवो जीवो जीवस्य दीयते।

    जीवस्थाने गतो जीवो बाला जीवान्तकारकः।। 277।।

    भावार्थ – पुरुष यदि स्त्री के प्रवाहित स्वर को अपने प्रवाहित स्वर के द्वारा ग्रहण करे और पुनः उसे स्त्री के सक्रिय स्वर में दे, तो वह स्त्री सदा उसके वश में रहती है।

    English Translation - If a man takes in the breath of a woman through his active nostril and again he allows the same breath taken in by the woman through her active nostril, the woman comes under his command forever.

    रात्र्यन्तयामवेलायां  प्रसुप्ते कामिनिजने।।

    ब्रह्मजीवं  पिबेद्यस्तु  बालाप्राणहरो नरः।।278।।

    भावार्थ – रात्रि में सो रही महिला के ब्रह्म-जीव (सक्रिय स्वर से निकलने वाली साँस) को यदि पुरुष अपने सक्रिय स्वर से अन्दर खींचता है, तो वह स्त्री उसके वश में हो जाती है।

    English Translation – If the breath of a woman, during her sleeps, taken in by a man, the woman comes under his commands.

    अष्टाक्षरं  जपित्वा तु तस्मिन्  काले गते सति।

    तत्क्षणं  दीयते चन्द्रो  तु मोहमायाति  कामिनी।।279।।

    भावार्थ – यदि पुरुष अष्टाक्षर मंत्र का जपकरके अपने चन्द्र स्वर को स्त्री के भीतर उसके सक्रिय स्वर में प्रवाहित करे, तो वह स्त्री उसके वश में हो जाती है।

    English Translation – A man after reciting Ashtakshar Mantra (a Mantra containing eight syllables), breath of his left nostril allows entering the active nostril of a woman, she remains always attracted by him.

    शयने  वा प्रसङ्गे वा युवत्यालिङ्गनेSपि वा।

    यः  सूर्येण पिबेच्चन्द्रं  स भवेन्मकरध्वजः।।280।।

    भावार्थ – यदि पुरुष लेटकर आलिंगन के समय अपने सूर्य स्वर से स्त्री के चन्द्र स्वर का पान करे, तो वह स्त्री उसके वश में हो जाती है।

    English Translation – if a man, either while lying or embracing, breathes in the breath of a woman, which should be flowing through her left nostril, through his right nostril, the woman comes under his command.

    *****

9 टिप्‍पणियां:

  1. आचार्य परशुराम राय जी का विद्वतापूर्ण आलेख पढ़वाने के लिए आपका आभार!

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  2. सब कुछ सयंमित ||
    कुछ भी अनर्गल नहीं ||
    शिव-पार्वती संवाद --
    गुरु-पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गुरु-कृपा ||
    चरण-वंदना ||

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  3. आचार्य परशुराम राय जी का विद्वतापूर्ण आलेख पढ़वाने के लिए आपका आभार!

    आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

    आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.

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  4. जानकारी भरा लेख...
    एक प्रश्न उपजा है कि क्या यह सब संभव है या फिर थोथी कल्पना की गई है....

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  5. डॉ. सिंह,
    आपका प्रश्न स्वाभाविक है। ये प्रश्न मेरे मन में भी उठते रहे हैं। शिवस्वरोदय में बहुत सी ऐसी बातों का उल्लेख है, जो मन में संदेह पैदा करती हैं। लेकिन यह भी सत्य है कि बिना उन्हें आजमाए संदेह के घेरे में रखना या उनपर अविश्वास करना ईमानदारी नहीं होगी। कुछ मेरे मित्रों ने इसमें बताए तरीकों से लाभ की पुष्टि की है। मेरा भी अपना अनुभव उनसे कुछ भिन्न नहीं है। आभार।

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  6. गूढा ज्ञान सरल तरीक़े से आपने प्रस्तुत किया है।

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  7. ज्ञान बांचने के लिए ही है...ज्ञान बांटने के लिए धन्यवाद...

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  8. गूढ़ ज्ञान से परिचय कराने के लिए आभार,

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