सोमवार, 3 जनवरी 2011

बड़ा ही जानलेवा है

बड़ा ही जानलेवा है

IMG_0130_thumb[1]मनोज कुमार

सलिल भाई ने इसमें जान फूंक कर इसे ग़ज़ल बना दिया है वरना यह रचना तो … जान लेवा ही थी!

Imageतुम्हारा    रूठकर  जाना,     बड़ा  ही  जानलेवा है,

हुई ग़लती  चलो माना,       बड़ा ही जानलेवा है,

हमारी बात पर हमको भले ही     बे अदब समझा

यूँ महफिल छोड़कर जाना,    बड़ा ही जानलेवा है.

जो पल हमने बिताये साथ में, वो याद करना तुम

तुम्हें पाकर,   तुम्हें खोनाबड़ा ही   जानलेवा है.

कभी हँसकरकभी यूँ ही, ठिठोली साथ की हमने

ठिठोली   का  सिला  ऐसाबड़ा  ही जानलेवा है.

वो खट्टी, मीठी, कड़वी और  सच्ची सारी बातें थीं

उन्हें अब याद भी करना     बड़ा ही जानलेवा है.

ज़रा धीमी  ज़ुबाँ से ही जो  तुम इज़हार कर देते

तुम्हारा   ऐंठकर   जाना,    बड़ा ही जानलेवा है.

कही जो बात, तीखी थी, चलो हम मान लेते हैं

बिना माफी   दिए  जाना बड़ा    ही जानलेवा है.

47 टिप्‍पणियां:

  1. ग़ज़ल जो आपने कह दी पढ़ा हमने भी रस लेकर।
    बिना टीपे हुए जाना बड़ा ही जान लेवा है॥

    ये गलती तो हमारी थी इधर आने में देरी की।
    बहुत कुछ मिस किया हमने अजी ये जानलेवा है।

    जवाब देंहटाएं
  2. 1.आपने तो गजल में इक फूल ही रखा था,
    लोगों ने मगर इसको अफसाना बना दिया।
    2.आप तो खुद ही गजल हैं,इक लाजबाब नग्मा हैं,
    अंदाजे-बयाँ पे कुछ भी कहना आज जानलेवा है।
    अब तो सर एक गुजारिश है कि-
    "खोल दो क्षितिज मैं भी देख लूँ उस पार क्या है,
    जा रहे हैं जिस दिशा में,उस दिशा का क्षोर क्या है।"
    पुन:नव वर्ष 2011 की मंगलमय कामनाओं के साथ.सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. हमारा यह न पढ़ पाना बड़ा ही जानलेवा था।

    जवाब देंहटाएं
  4. मनोज भाई बहुत ही उमदा गज़ल कही है। हर एक शेर लाजवाब। बधाई आपको और सलिल जी को।।

    जवाब देंहटाएं
  5. मनोज जी सलिल जी के हाथ जिस पर भी लग जाए वह तो कुन्‍दन बनकर ही निकलता है। बहुत अच्‍छी गजल, सहेजकर रखने वाली।

    जवाब देंहटाएं
  6. मनोज जी सलिल जी के हाथ जिस पर भी लग जाए वह तो कुन्‍दन बनकर ही निकलता है। बहुत अच्‍छी गजल, सहेजकर रखने वाली।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं
  8. उन्हें अब याद भी करना ,
    बड़ा ही जानलेवा है.

    जवाब देंहटाएं
  9. अगर भूखे को मिल जाए तो खट्टी नीम मेवा है
    मगर हो पेट फुल तो आम सा फल जानलेवा है

    जवाब देंहटाएं
  10. उफ़... सच में....बड़ा ही जानलेवा है ! यकीन नहीं आ रहा है.... माशा-अल्लाह.... ! ग़ज़ल के सभी अवयवों को समेट रखा है. आचार्यजी की आज्ञा हो तो इसे आंच पर चढ़ाया जाय !

    जवाब देंहटाएं
  11. मनोज जी,
    आपके प्रयास को नमन करता हूँ !
    अच्छी ग़ज़ल के लिए शुक्रिया !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    जवाब देंहटाएं
  12. सर कोई ऐसी विधा नहीं है जिसमे आप सशक्त रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे... ग़ज़ल अच्छी है...

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही शानदार गज़ल है…………बेहद खूबसूरत भाव संजोये हैं।

    जवाब देंहटाएं
  14. कही जो बात, तीखी थी, चलो हम मान लेते हैं

    बिना माफी दिए जाना बड़ा ही जानलेवा है.

    kya kahne hain..:)
    kis se maafi kee mang hai...

    जवाब देंहटाएं
  15. "ज़रा धीमी ज़ुबाँ से ही जो तुम इज़हार कर देते
    तुम्हारा ऐंठकर जाना,बड़ा ही जानलेवा है."

    बेहद रोमांटिक बन गई है ये "जानलेवा" गजल. दिल तोड़ के चल देना तो हुस्न की आदत है.

    जवाब देंहटाएं
  16. संभाल कर रखें, प्‍यारी जान को.

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत की मार्मिक रचना है
    बहुत बहुत बधाई और नव वर्ष मंगलमय हो

    जवाब देंहटाएं
  18. क्या बात है दो उम्दा रचनाकार मिलेंगे तो नतीजा लाजबाब ही होगा .
    आप दोनों को बधाई बेहतरीन गज़ल के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  19. कवि,लेखक,समीक्षक, नग़्मागर या हो कथावाचक
    मगर ग़ज़लों का चलता दौर तो बस जानलेवा है!
    कहाँ बेकार मेरा नाम लेकर बात करते हो,
    चने के झाड़ पर मुझको चढ़ाना जान लेवा है.

    जवाब देंहटाएं
  20. @ संवेदना का स्वर
    क्या ये संवेदना का स्वर है?
    अगर हां, तो जान लेवा है।

    जवाब देंहटाएं
  21. अब बुझाता है हमको डिस्क्लेमर लगाना पड़ेगा!!

    जवाब देंहटाएं
  22. डिस्क्लेमर माने ईसमें सबकुछ मनोज जी का है इसलिये इसका अच्छा बुरा सबका जिम्मेवारी उन्हीं का है.. अच्छा के लिये उन्हीं का पीठ ठोंकिये और बुरा लगे तो हमको मत खोजने लगियेगा..
    :)

    जवाब देंहटाएं
  23. कही जो बात, तीखी थी, चलो हम मान लेते हैं

    बिना माफी दिए जाना बड़ा ही जानलेवा है.
    .

    ek achchee gazal aur naek sonch

    जवाब देंहटाएं
  24. इतनी सुन्दर गजल हम देर से पढ पाये ये भी बड़ा ही जानलेवा है़ । बहुत ही सुन्दर अंदाज । काबिलेतारीफ ।

    जवाब देंहटाएं
  25. आप का सुंदर गजल लिखना बड़ा ही जानलेवा है.
    हमारा टिपण्णी ना देना भी तो बड़ा ही जानलेवा है.

    जवाब देंहटाएं
  26. यहाँ आये थे पढ़ने के लिए कुछ और ही लेकिन.
    ग़ज़ल,वल्लाह,पढ़वाना, बड़ा ही जान लेवा है.

    जवाब देंहटाएं
  27. "बड़ा ही जानलेवा है"
    ekdam theek kah rahe hain.

    जवाब देंहटाएं
  28. gazal ko padh ke vah vah nikli
    magar ham na tipiyange tab kaho
    'ye to jaanleva hai'

    :):):):)

    जवाब देंहटाएं
  29. ज़रा धीमी ज़ुबाँ से ही जो तुम इज़हार कर देते

    तुम्हारा ऐंठकर जाना, बड़ा ही जानलेवा है.

    कही जो बात, तीखी थी, चलो हम मान लेते हैं

    बिना माफी दिए जाना बड़ा ही जानलेवा है.
    Wah! Kya gazab likha hai!

    जवाब देंहटाएं
  30. जब दो-दो मस्तिष्क से ग़ज़ल संवरी हो, तो ग़ज़ल रसपूर्ण और .....तो होगी ही न !!!

    मनोज जी व सलिल जी को इसके लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
  31. aap itne achhe ghazalgo hain yah nahi pata tha..itna sundar radeef uthaya hai aapne ki kya kahoon..nibhana hi apne aap men bada kaam hai...beinteha khubsuraat ghazal... :)

    nav varsh kee dher sari shubhkaamnayen... :)

    जवाब देंहटाएं
  32. जो पल हमने बिताये साथ में, वो याद करना तुम
    तुम्हें पाकर, तुम्हें खोना, बड़ा ही जानलेवा है ..

    वाह बहुत ही लाजवाब खिलती हुई ग़ज़ल है ... ग़ज़ब की अदाय्गी है हर शेर में .... बहुत अच्छा लिखा है ..... आपको और परिवार में सभी को नव वर्ष मंगलमय हो ...

    जवाब देंहटाएं
  33. वाह....

    लाजवाब, जानलेवा अंदाज़...

    भावपूर्ण, बहुत बहुत सुन्दर रचना.....

    जवाब देंहटाएं
  34. गजल विधा में भी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है आपने। आभार।

    @ करण जी,
    यह भी कोई पूछने की बात है। सशक्त रचनाओं को आँच की तपिश दी ही जानी चाहिए। इस आँच की प्रतीक्षा रहेगी।

    जवाब देंहटाएं
  35. लाजवाब गज़ल है.
    सुन्दर प्रस्तुति..

    जवाब देंहटाएं
  36. लाज़बाव...क्या जान लेवा गज़ल है...

    जवाब देंहटाएं
  37. वो खट्टी, मीठी, कड़वी और सच्ची सारी बातें थीं

    उन्हें अब याद भी करना बड़ा ही जानलेवा है.

    Achcha laga

    जवाब देंहटाएं
  38. भावपूर्ण, बहुत बहुत सुन्दर रचना.....

    जवाब देंहटाएं
  39. ज़रा धीमी ज़ुबाँ से ही जो तुम इज़हार कर देते
    तुम्हारा ऐंठकर जाना, बड़ा ही जानलेवा है

    क्या बात है..बड़ी जानलेवा ग़ज़ल लिख डाली...
    बिलकुल अलग अंदाज़ की नायाब रचना

    जवाब देंहटाएं
  40. आज यह गज़ल आंच पर आई ...पढ़ने का मौका मिल गया ...

    बहुत खूबसूरत गज़ल ....पाठक इस गज़ल से खुद को जोड़ लेता है ...

    जवाब देंहटाएं

आपका मूल्यांकन – हमारा पथ-प्रदर्शक होंगा।