बड़ा ही जानलेवा है
सलिल भाई ने इसमें जान फूंक कर इसे ग़ज़ल बना दिया है वरना यह रचना तो … जान लेवा ही थी!
तुम्हारा रूठकर जाना, बड़ा ही जानलेवा है,
हुई ग़लती चलो माना, बड़ा ही जानलेवा है,
हमारी बात पर हमको भले ही बे अदब समझा
यूँ महफिल छोड़कर जाना, बड़ा ही जानलेवा है.
जो पल हमने बिताये साथ में, वो याद करना तुम
तुम्हें पाकर, तुम्हें खोना, बड़ा ही जानलेवा है.
कभी हँसकर, कभी यूँ ही, ठिठोली साथ की हमने
ठिठोली का सिला ऐसा, बड़ा ही जानलेवा है.
वो खट्टी, मीठी, कड़वी और सच्ची सारी बातें थीं
उन्हें अब याद भी करना बड़ा ही जानलेवा है.
ज़रा धीमी ज़ुबाँ से ही जो तुम इज़हार कर देते
तुम्हारा ऐंठकर जाना, बड़ा ही जानलेवा है.
कही जो बात, तीखी थी, चलो हम मान लेते हैं
बिना माफी दिए जाना बड़ा ही जानलेवा है.
ग़ज़ल जो आपने कह दी पढ़ा हमने भी रस लेकर।
जवाब देंहटाएंबिना टीपे हुए जाना बड़ा ही जान लेवा है॥
ये गलती तो हमारी थी इधर आने में देरी की।
बहुत कुछ मिस किया हमने अजी ये जानलेवा है।
1.आपने तो गजल में इक फूल ही रखा था,
जवाब देंहटाएंलोगों ने मगर इसको अफसाना बना दिया।
2.आप तो खुद ही गजल हैं,इक लाजबाब नग्मा हैं,
अंदाजे-बयाँ पे कुछ भी कहना आज जानलेवा है।
अब तो सर एक गुजारिश है कि-
"खोल दो क्षितिज मैं भी देख लूँ उस पार क्या है,
जा रहे हैं जिस दिशा में,उस दिशा का क्षोर क्या है।"
पुन:नव वर्ष 2011 की मंगलमय कामनाओं के साथ.सादर।
हमारा यह न पढ़ पाना बड़ा ही जानलेवा था।
जवाब देंहटाएंmanane ki ada achhi hai
जवाब देंहटाएंमनोज भाई बहुत ही उमदा गज़ल कही है। हर एक शेर लाजवाब। बधाई आपको और सलिल जी को।।
जवाब देंहटाएंमनोज जी सलिल जी के हाथ जिस पर भी लग जाए वह तो कुन्दन बनकर ही निकलता है। बहुत अच्छी गजल, सहेजकर रखने वाली।
जवाब देंहटाएंमनोज जी सलिल जी के हाथ जिस पर भी लग जाए वह तो कुन्दन बनकर ही निकलता है। बहुत अच्छी गजल, सहेजकर रखने वाली।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
उन्हें अब याद भी करना ,
जवाब देंहटाएंबड़ा ही जानलेवा है.
अगर भूखे को मिल जाए तो खट्टी नीम मेवा है
जवाब देंहटाएंमगर हो पेट फुल तो आम सा फल जानलेवा है
उफ़... सच में....बड़ा ही जानलेवा है ! यकीन नहीं आ रहा है.... माशा-अल्लाह.... ! ग़ज़ल के सभी अवयवों को समेट रखा है. आचार्यजी की आज्ञा हो तो इसे आंच पर चढ़ाया जाय !
जवाब देंहटाएं... kyaa baat hai ... behatreen ... laajawaab !!
जवाब देंहटाएंमनोज जी,
जवाब देंहटाएंआपके प्रयास को नमन करता हूँ !
अच्छी ग़ज़ल के लिए शुक्रिया !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
सर कोई ऐसी विधा नहीं है जिसमे आप सशक्त रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे... ग़ज़ल अच्छी है...
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार गज़ल है…………बेहद खूबसूरत भाव संजोये हैं।
जवाब देंहटाएंकही जो बात, तीखी थी, चलो हम मान लेते हैं
जवाब देंहटाएंबिना माफी दिए जाना बड़ा ही जानलेवा है.
kya kahne hain..:)
kis se maafi kee mang hai...
"ज़रा धीमी ज़ुबाँ से ही जो तुम इज़हार कर देते
जवाब देंहटाएंतुम्हारा ऐंठकर जाना,बड़ा ही जानलेवा है."
बेहद रोमांटिक बन गई है ये "जानलेवा" गजल. दिल तोड़ के चल देना तो हुस्न की आदत है.
संभाल कर रखें, प्यारी जान को.
जवाब देंहटाएंबढ़िया है!
जवाब देंहटाएंबहुत की मार्मिक रचना है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई और नव वर्ष मंगलमय हो
क्या बात है दो उम्दा रचनाकार मिलेंगे तो नतीजा लाजबाब ही होगा .
जवाब देंहटाएंआप दोनों को बधाई बेहतरीन गज़ल के लिए.
शानदार!!
जवाब देंहटाएंकवि,लेखक,समीक्षक, नग़्मागर या हो कथावाचक
जवाब देंहटाएंमगर ग़ज़लों का चलता दौर तो बस जानलेवा है!
कहाँ बेकार मेरा नाम लेकर बात करते हो,
चने के झाड़ पर मुझको चढ़ाना जान लेवा है.
@ संवेदना का स्वर
जवाब देंहटाएंक्या ये संवेदना का स्वर है?
अगर हां, तो जान लेवा है।
अब बुझाता है हमको डिस्क्लेमर लगाना पड़ेगा!!
जवाब देंहटाएंडिस्क्लेमर माने ईसमें सबकुछ मनोज जी का है इसलिये इसका अच्छा बुरा सबका जिम्मेवारी उन्हीं का है.. अच्छा के लिये उन्हीं का पीठ ठोंकिये और बुरा लगे तो हमको मत खोजने लगियेगा..
जवाब देंहटाएं:)
कही जो बात, तीखी थी, चलो हम मान लेते हैं
जवाब देंहटाएंबिना माफी दिए जाना बड़ा ही जानलेवा है.
.
ek achchee gazal aur naek sonch
bahut sundar gazal.
जवाब देंहटाएंशानदार गज़ल
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर गजल हम देर से पढ पाये ये भी बड़ा ही जानलेवा है़ । बहुत ही सुन्दर अंदाज । काबिलेतारीफ ।
जवाब देंहटाएंआप का सुंदर गजल लिखना बड़ा ही जानलेवा है.
जवाब देंहटाएंहमारा टिपण्णी ना देना भी तो बड़ा ही जानलेवा है.
यहाँ आये थे पढ़ने के लिए कुछ और ही लेकिन.
जवाब देंहटाएंग़ज़ल,वल्लाह,पढ़वाना, बड़ा ही जान लेवा है.
"बड़ा ही जानलेवा है"
जवाब देंहटाएंekdam theek kah rahe hain.
gazal ko padh ke vah vah nikli
जवाब देंहटाएंmagar ham na tipiyange tab kaho
'ye to jaanleva hai'
:):):):)
ज़रा धीमी ज़ुबाँ से ही जो तुम इज़हार कर देते
जवाब देंहटाएंतुम्हारा ऐंठकर जाना, बड़ा ही जानलेवा है.
कही जो बात, तीखी थी, चलो हम मान लेते हैं
बिना माफी दिए जाना बड़ा ही जानलेवा है.
Wah! Kya gazab likha hai!
जब दो-दो मस्तिष्क से ग़ज़ल संवरी हो, तो ग़ज़ल रसपूर्ण और .....तो होगी ही न !!!
जवाब देंहटाएंमनोज जी व सलिल जी को इसके लिए बधाई
aap itne achhe ghazalgo hain yah nahi pata tha..itna sundar radeef uthaya hai aapne ki kya kahoon..nibhana hi apne aap men bada kaam hai...beinteha khubsuraat ghazal... :)
जवाब देंहटाएंnav varsh kee dher sari shubhkaamnayen... :)
जो पल हमने बिताये साथ में, वो याद करना तुम
जवाब देंहटाएंतुम्हें पाकर, तुम्हें खोना, बड़ा ही जानलेवा है ..
वाह बहुत ही लाजवाब खिलती हुई ग़ज़ल है ... ग़ज़ब की अदाय्गी है हर शेर में .... बहुत अच्छा लिखा है ..... आपको और परिवार में सभी को नव वर्ष मंगलमय हो ...
वाह....
जवाब देंहटाएंलाजवाब, जानलेवा अंदाज़...
भावपूर्ण, बहुत बहुत सुन्दर रचना.....
वाकई जानलेवा
जवाब देंहटाएंगजल विधा में भी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है आपने। आभार।
जवाब देंहटाएं@ करण जी,
यह भी कोई पूछने की बात है। सशक्त रचनाओं को आँच की तपिश दी ही जानी चाहिए। इस आँच की प्रतीक्षा रहेगी।
लाजवाब गज़ल है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति..
लाज़बाव...क्या जान लेवा गज़ल है...
जवाब देंहटाएंवो खट्टी, मीठी, कड़वी और सच्ची सारी बातें थीं
जवाब देंहटाएंउन्हें अब याद भी करना बड़ा ही जानलेवा है.
Achcha laga
भावपूर्ण, बहुत बहुत सुन्दर रचना.....
जवाब देंहटाएंज़रा धीमी ज़ुबाँ से ही जो तुम इज़हार कर देते
जवाब देंहटाएंतुम्हारा ऐंठकर जाना, बड़ा ही जानलेवा है
क्या बात है..बड़ी जानलेवा ग़ज़ल लिख डाली...
बिलकुल अलग अंदाज़ की नायाब रचना
आज यह गज़ल आंच पर आई ...पढ़ने का मौका मिल गया ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल ....पाठक इस गज़ल से खुद को जोड़ लेता है ...