शिवस्वरोदय-28
आचार्य परशुराम राय
देव देव महादेव सर्वसंसारतारक।
स्थितं त्वदीयहृदये रहस्यं वद मे प्रभो।।139।।
अन्वय – यह श्लोक अन्वित क्रम में है।
भावार्थ – माँ पार्वती भगवान शिव से पूछती हैं – हे देवाधिदेव, हे महादेव, हे जगत के उद्धारक, अपने हृदय में स्थित इस गुह्य ज्ञान के बारे में और अधिक बताने की कृपा करें।
English Translation – Goddess Parvati again asks Lord Shiva, O God of gods and Leading Authority for the universe beyond life and death, please tell me something more about the most secret knowledge lying in your heart.
स्वरज्ञानरहस्यात्तु न काचिच्चेष्टदेवता।
स्वरज्ञानरतो योगी स योगी परमो मतः।।140।।
अन्वय – यह श्लोक भी अन्वित क्रम में है।
भावार्थ - माँ पार्वती के ऐसा पूछने पर भगवान शिव बोले- हे सुन्दरि, स्वरज्ञान सर्वश्रेष्ठ और अत्यन्त गुप्त विद्या है एवं सबसे बड़ा इष्ट देवता है। इस स्वर-ज्ञान में जो योगी सदा रत रहता है, वह योगी सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
English Translation – In reply to the question put by the Goddess, Lord Shiva said, “O Beautiful Goddess, knowledge of Swara is the most secret knowledge in the creation and this is The Greatest Ishta Devata for every one. Therefore, the Yogi who is always practicing it without break is considered as the greatest Yogi.
पञ्चतत्त्वाद्भवेत्सृष्टिस्तत्त्वे तत्त्वं प्रलीयते।
पञ्चतत्त्वं परं तत्त्वं तत्त्वातीतं निरञ्जनः।।141।।
अन्वय – यह श्लोक भी अन्वित क्रम में है, अतएव अन्वय की आवश्यकता नहीं है।
भावार्थ – पूरी सृष्टि पाँच तत्त्वों (आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथिवी) से ही रची गयी है और वह इन्हीं तत्त्वों में विलीन होती है। परम तत्त्व इन तत्त्वों से बिलकुल परे है और वह निरंजन है, अर्थात् अजन्मा है।
English Translation - The whole creation is created out of five Tattvas (ether, air, fire, water and earth) and it is absorbed in them. But The Supreme Being is beyond these Tattvas and therefore He is beyond the birth and the death.
तत्त्वानां नामविज्ञेयं सिद्धयोगेन योगिभिः।
भूतानां दुष्टचिह्नानि जानातीह स्वरोत्तमः।।142।।
अन्वय – योगिभिः सिद्धयोगेन तत्त्वानां नामविज्ञेयम्। (सः) स्वरोत्तमः (योगी) भूतानां दुष्टचिह्नानि इह जानाति।
भावार्थ – योगी लोग सिद्ध योग से तत्त्वों को जान लेते हैं। वे स्वरज्ञानी इन पंच महाभूतों के दुष्प्रभावों को भली-भाँति समझते हैं और इसलिए वे भी इनसे परे हो जाते हैं।
English Translation – Yogis know these Tattvas by the practice of advanced yogic techniques. These Swara-yogis therefore understand bad effects of these Tattvas and thereby they become able to go beyond them (Tattvas), i.e. they become God themselves.
पृथिव्यापस्तथा तेजो वायुराकाशमेव च।
पञ्चभूतात्मकं विश्वं यो जानाति स पूजितः।।143।।
अन्वय – यह श्लोक अन्वित क्रम में है।
भावार्थ – पंच भूतों से निर्मित सृष्टि को तत्त्व के रूपों में, अर्थात पृथिवी, जल, तेज (अग्नि), वायु और आकाश को उनके सूक्ष्म रूपों में उन्हें जान लेता है, उनका साक्षात्कार कर लेता है, वह पूज्य बन जाता है।
English Translation - A person, who realizes this creation created out of five Tattvas (earth, water, fire, air and ether) at the different levels of their real existence, he is the real honourable authority in the world.
सर्वलोकस्थजीवानां न देहो भिन्नतत्त्वकः।
भूलोकसत्यपर्यन्तं नाडीभेदः पृथक् पृथक्।।144।।
अन्वय – भूलोकात्सत्यपर्यन्तं सर्वलोकस्थजीवानां देहो न भिन्नतत्त्वकः, (परन्तु) नाडीभेदः पृथक् पृथक्।
भावार्थ – भूलोक से सत्यलोक तक सभी लोकों में अस्तित्व-गत देह में तत्त्व भिन्न नहीं होते, अर्थात् पाँच तत्त्वों से ही निर्मित होता है। लेकिन अस्तित्व प्रत्येक स्तर पर नाड़ियों का भेद अलग हो जाता है।
English Translation – At all the seven levels of consciousness, i.e. from earth to Satyalok, this creation is created out five Tattvas, but nadis are different.
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इस ग्यानवर्द्धक पोस्ट के लिये आचार्य जी का धन्यवाद। सलाम है उनके ग्यान को।
जवाब देंहटाएंशिव स्वरोदय में वर्णित सूक्ष्म ज्ञान की बातें ऐसे बेशकीमती मोती है जिन्हें चुन चुन कर आचार्य जी बड़ी सहजता से हमें उपलब्ध करा रहे हैं ! इसके लिए हम आचार्य जी के सदा आभारी रहेंगे !
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग जगत में इस धरोहर को सहेज कर रखने के लिए मनोज जी भी धन्यवाद के पात्र हैं !
शिव स्वरोदय हर बार नयी जानकारी के साथ ज्ञान वर्धन करता है ...आपका आभार आचार्य जी
जवाब देंहटाएंयह लाभप्रद श्रृंखला ज़ारी रहना चाहिए।
जवाब देंहटाएंएक ग्यानवर्द्धक पोस्ट , आप का धन्यवाद
जवाब देंहटाएंGYAAN KEE GANGA HAI YAH POST.
जवाब देंहटाएंBADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .
दस्तवेजी बनती जा रही है साहित्य महात्मा से आपकी यह मुलाकात। नहीं पता आगे क्या कहेगा यह कवि ? उत्सुकता के साथ आगे ताक रहा हूं।
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