शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

शिवस्वरोदय – 61

शिवस्वरोदय – 61

- आचार्य परशुराम राय

दूतः रक्तकषायकृष्णवसनो दन्तक्षतो मुण्डित-

स्तैलाभ्यक्तशरीर रज्जुकरो दीनोSश्रुपूर्णोत्तर।

भस्माङ्गारकपालपाशमुशली सूर्यास्तमायाति यः

कालीशून्यपदस्थितो गदयुतःकालानलस्यादृतः।।336।।

भावार्थ – यदि दूत (प्रश्न करने वाला) लाल, कषाय (नारंगी) अथवा काले रंग के वस्त्र धारण किए हुए हो, दाँत टूटे हों, सिर का मुंडन कराये हो, शरीर में तेल पोते हुए हो अथवा उसके हाथ में रस्सी, राख, आग, नरमुंड, चिमटा हो तथा सूर्यास्त के समय खाली स्वर की दिशा से वह आए और उसी दिशा में बैठ जाय, तो समझना चाहिए कि वह साक्षात् यम है।

English Translation – A person in garment of red, ruddle or black colour, broken teeth, shaved head or with roap, ash, fire, skull or tongs in his hand, comes at sunset from the side of absent breath and sits on the same side. He should be considered as messenger of death.

अकस्मातच्चित्तविकृतिरकस्मात्पुरुषोत्तमः।

अकस्मादिन्द्रियोत्पातः सन्निपाताग्रलक्षणम्।।337।।

भावार्थ – किसी रोगी में अचानक मनोविकार उत्पन्न हो जाए तथा थोड़ी ही देर में सुधार के लक्षण दिखने लगे और फिर अचानक प्रलाप करने लगे, तो इसे सन्निपात का लक्षण समझना चाहिए।

English Translation – If condition of a patient suddenly deteriorates and after some time sign of sudden recovery is observed or he utters meaninglessly, such symptoms are indication of delirium.

शरीरं शीतलं यस्य प्रकृतिर्विकृता भवेत्।

तदरिष्टं समासेन व्यासतस्तु निबोध मे।।338।।

भावार्थ – उक्त अवस्था में उस व्यक्ति का शरीर शीतल होने लगे तथा उसकी अवस्था खराब होने लगे, तो उसका अनिष्ट समझना चाहिए। उसे मैं विस्तार पूर्वक बताता हूँ।

English Translation – If in the delirious state, patient’s body becomes cold and deterioration in the condition continues, this symptom indicates death. I (Lord Shiva) expatiate this further.

दुष्टशब्देषु रमतेSशुद्धशब्देषु चात्मनि।

पश्चात्तापो भवेद्यस्य तस्य मृत्युर्न संशयः।।339।।

भावार्थ – यदि कोई व्यक्ति अपशब्द कहे और तुरन्त थोड़ी देर में अपने अपशब्द पर पश्चात्ताप करने लगे, तो निस्संदेह उसकी अचानक मृत्यु हो जाती है।

English Translation – If the patient at one moment abuses and immediately after some time repents for the same, his sudden death is inevitable.

हुंकारो शीतलो यस्य फुत्कारो वह्निसन्निभः।

महावैद्यो भवेद्यस्य तस्य मृत्युर्भवेद्ध्रुवम्।।340।।

भावार्थ – जिस व्यक्ति की अन्दर जानेवाली श्वास शीतल हो और छोड़ी जानेवाली आग की भाँति गरम हो, उसे मृत्यु से बड़ा से बड़ा चिकित्सक भी नहीं बचा सकता।

English Translation – If the patient’s inspiration is cool and expiration is hot like fire, even a renowned physician cannot save his life.

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