फुरसत में…
राजगीर के दर्शनीय स्थल की सैर-3
राजगीर की सैर के इस समापन अंक में हम सबसे पहले आपको यह बताते चलें कि राजगीर जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पटना है। यहां से टैक्सी या बसों से आप राजगीर जा सकते हैं। इसके अलावा पटना और बख़्तियार पुर से स्थानीय रेल गाड़ियों से भी आ सकते हैं। अक्तूबर से मार्च तक मौसम काफ़ी अच्छा रहता है, ऐसे में घूमने का आनन्द काफ़ी बढ़ जाएगा। यहां पर अच्छे-अच्छे होटल भी हैं, जहां आप आराम से ठहर सकते हैं। पटना से इस जगह की दूरी 60 कि.मी. के आसपास है।
राजगीर सिर्फ़ बुद्ध एवं उनके जीवन से संबंधित अनेक घटनाओं के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, यह स्थल जैन धर्मावलम्बियों के लिए भी समान रूप से प्रसिद्ध है। अन्तिम जीन महावीर ने अपने 32 वर्ष के सन्यासी जीवन का 14 वर्ष राजगीर और उसके आसपास ही बिताया था। जैनों ने भी बिम्बिसार और अजातशत्रु को अपने धर्म के समर्थक के रूप में दावा किया है। राजगीर में ही 20 वें तीर्थंकर मुनि सुव्रत नाथ का जन्म हुआ था। महावीर के 11 प्रमुख शिष्य/गण्धर की मृत्यु राजगीर के किसी न किसी पहाड़ के शिखर पर हुई।
राजगीर के चारो तरफ़ पहाड़ों पर 26 जैन मन्दिर हैं। हालाकि इन मन्दिरों तक पहुंचना बहुत मुश्किल है लेकिन यदि आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं तो आपको इनका रास्ता आकर्षित कर सकता है।
समोशरण मंदिर
यहां के विपुलाचल नामक पहाड़ी पर ही महावीर ने अपना पहला उपदेश दिया था। इसी की याद में समोशरण मंदिर बनाया गया था। यह मंदिर 72 फ़ीट ऊंचा है।
विरायतन
यह एक जैन आश्रम है। यहां निवास स्थान और म्यूज़ियम है। इसे बौद्ध धर्म और जैन धर्म का संगम स्थल माना जाता है।
वेणुवन
यह बांस का जंगल था। यह एक राजकीय उद्यान था जिसका निर्माण भक्तगणों को आसानी से भगवान बुद्ध के दर्शन हो सके, इस उद्देश्य से किया गया था। बौद्ध धर्म की यह पहली सम्पत्ति थी। यह काफ़ी शान्त जगह थी। ध्यान लगाने के लिए बहुत ही उत्तम जगह थी। भगवान बुद्ध के प्रियस्थलों में से एक थी यह जगह।
करंडा तालाब
यह एक विशाल तालाब है। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध इसमें नहाते थे।
उष्ण झरनें
राजगीर उष्ण झरणों के लिए भी काफ़ी प्रसिद्ध है। महाभारत में इन्हें तापदा कहा गया है। यहां अनेक झरने हैं जिनमें सबसे अधिक गरम पानी ब्रह्मकुण्डी है जहां का पानी 450C का होता है। गुरु नानक देव जी ने अपने इस जगह की यात्रा के दौरान किसी एक झरने में स्नान किया था। कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं।
पिपली गुफा
वैभर पहाड़ की ढाल पर यह गुफा स्थित है। कभी-कभी मध्यान्ह भोजन के बाद भगवान बुद्ध इस गुफा में ध्यानमग्न होते थे।
यह राजगीर के देवता मणि नाग का मन्दिर है। यहां सर्प पूजन किया जाता था। मगध के लोग नाग को उदार देवता मानते थे जिन्हें पूजा आदि द्वारा सन्तुष्ट करने पर वर्षा प्राप्त करते थे।
वैभर पहाड़ की खुदाई से निकली इन गुफाओं का निर्माण जैन संन्यासी वैरदेव ने किया था। ऐसा माना जाता है कि यहां अभी तक सोने से भरा खजाना छिपा है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर खुदे शिलालेखों के संकेतों को जो समझ पाएगा वह सोने के खजाने के दरवाजे को खोल सकेगा।
आसपास के अन्य दर्शनीय स्थल
राजगीर के आसपास अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं। जिनमें प्रमुख हैं –
बड़ागांव - सूरज भगवान के मंदिर के लिए प्रसिद्ध स्थल।
कुण्डलपुर – माना जाता है कि भगवान महावीर का जन्म यहीं हुआ था।
बोध गया – यहां गौतम को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। महाबोधि के लिए प्रसिद्ध।
बिहारशरीफ़ – सन्त मखदुम शाह शरीफ़ उद दीन का मज़ार।
नालंदा – प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष।
पावापुरी – प्रसिद्ध जैन तीर्थस्थल। भगवान महावीर का महापरिनिर्वाण यहीं हुआ था।
राजगीर के मेले व उत्सव
मलमास - हर तीसरे साल लगता है। मकर संक्रान्ति – काफी बड़ा मेला लगता है। राजगीर नृत्योत्सव – अक्तूबर -24 से 26 तक क्लासिकल नृत्य का आयोजन।
समाप्त
कभी मौक़ा मिला तो राजगीर ज़रूर जाऊँगा,आपने इतनी उत्कंठा जो पैदा कर दी है ! संग्रहणीय पोस्ट !
जवाब देंहटाएं२००४ में यह पूरा क्षेत्र घूमा है, आपने यादें ताजा कर दीं।
जवाब देंहटाएंमुझे जाना है इस लिहाज से ये जानकारियाँ महत्वपूर्ण है -शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंराजगीर पर चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत की गई रोचक जानकारियां अच्छी लगी । खुशी की बात यह है कि जिन चित्रों को देखारहा हू, उसे मैं आपके साथ ही नालंदा दौरे के दौरान देखा था । ज्ञानवर्धक पोस्ट । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंहमारे लिये तो बिल्कुल ही नई जानकारी है ।
जवाब देंहटाएंबहुत नाम सुना था इस तीर्थ का लेकिन आज आपने सैर करा ही दी। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी के साथ राजगीर की सैर हो गयी .. आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर जानकारी
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। अपना विस्तृत परिचय और अपने यात्रा-वृत्तान्तों के URL हमारे ईमेल pandey.shalini9@gmail.com पर भेजने की कृपा करें सर! हम प्रतीक्षारत हैं। अपने शोध में लेने के लिए!
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी पूर्ण सुन्दर शैली में प्रस्तुत वृत्तांत .आभार मनोज जी .
जवाब देंहटाएंआपके साथ इस यात्रा में भरपूर आनंद आया. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनीरज
संक्षिप्त में पूरा राजगीर का भ्रमण करा दिया आपने...बिल्कुल कंडकटेड टूर की तरह... पढ़ कर बचपन की यादें ताज़ा हो गई... बाबूजी के साथ गए थे.. अब बाबूजी बनके जाना बाकी है...
जवाब देंहटाएंराजगीर का भ्रमण करा दिया आपने.......शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जानकारी।
जवाब देंहटाएंबढिया जानकारी।
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
दर्शनीय स्थल दिखे,पहुंचे हुए बगैर.
जवाब देंहटाएंघर बैठे ही कर चुका,राजगीर की सैर.
बहुत विस्तार से सुन्दर चित्रमयी जानकारी ।
जवाब देंहटाएंपढ़े-लिखे लोगों के परफॉर्मेंस को देखते हुए,क्यों न अब सोनभंडार में मज़दूरों को लगाया जाए!
जवाब देंहटाएंमेरे लिए यह पुनार्भ्रमण जैसा अनुभव रहा.. वैसे मैं भी बस एक बार ही गया हूँ!! अच्छी चित्र-कथा लगी यह भी!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्र और राजगीर की जानकारी इस स्थान के प्रति उत्सुकता बढ़ा रही है , बिहार के टूर में इसे भी शामिल करेंगे !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चित्रावली के साथ महत्वपूर्ण जानकारियाँ...
जवाब देंहटाएंसादर आभार...
GHAR MEIN BAITHE - BAITHE HEE
जवाब देंहटाएंRAJGEER KEE SUKHAD YAATRA HO
GAYEE HAI . MANOJ JI AAPKA HARDIK
SADHUWAAD.
मेरे जैसे घुमक्कडों के लिए प्राण दान होती हैं आपकी ऐसी पोस्ट्स.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन जानकारी सहज सुलभ ढंग से.लगता है हम भी सैर कर आये.
राजगीर के बारे में कुछ ज्यादा मालूम न था. ज्ञानवर्धन हुआ. आभार.
जवाब देंहटाएंरोचक पोस्ट और सुन्दर जानकारी। लगभग सारा भारत ही घूमा है मगर राजगीर कभी देखा नहीं। यहीं परिचय हुआ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रमयी पोस्ट!
जवाब देंहटाएंराजगीर की यात्रा करने के लिए धन्यवाद...बहुत सारी जानकारियां मिल गयीं...
जवाब देंहटाएंराजगीर यात्रा की कई स्मृतियाँ उभर आईं इस पोस्ट से, आभार.
जवाब देंहटाएंयात्रा-वॄतांत की यह शृंखला बड़ी ही उपयोगी रही। ये स्थल हमारे ऐतिहासिक धरोहर हैं। भौगोलिक वैभव के प्रतीक भी। वर्तमान पीढ़ी विदेशी पर्यटन-स्थलों के प्रति अत्यधिक आकृष्ट है किन्तु इन्हें राजगीर, नालंदा और बोधगया के बारे में कुछ जानकारी भी शायद ही हो। प्रशासनिक उदासिनता भी इसका एक कारण है। यदि इन धरोहरों को आधुनिक पर्यटन की सुविधानुकूल विकसित किया जाए तो यहाँ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और राजस्व के नये आयाम भी, जो कि प्रदेश की अर्थ-व्यसस्था में निहायत ही सहयोगी हो सकते हैं। मैं चाहता हूँ कि यह आलेखों की यह शृंखला पर देश-प्रदेश के अधिकारियों और मिडिया की भी नजर-ए-इनायत हो!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद!!