नवगीत
रेशमी सपने सुवासित, धवल तन मन बस गए
हरीश प्रकाश गुप्त
रेशमी सपने
सुवासित
दूध धुलकर
धवल,
तन मन बस गए।
नेह लिख
आवेग पाती
प्रीत मंत्रों से,
शब्द स्वर भींगे
सलिल मन
गीत अंतरों से,
संगीत बन
हिय में लगे बजने
प्रेयसी के छन्द
ढूँढकर मनमीत देने
खत पँडूके ले गए।
कुमुद रंगत सी चढ़ी
कोमल
कपोलों पर,
शुभ्र स्मित झर पड़ी
मधुसिक्त
किसलय पर,
सारंग-तृष
उपशमन करने
सप्तलहरी तान में
मद कुरंगम
उर कुलांचे भर गए।
सब कुछ धुल गया,जब कोई अपना मिल गया !
जवाब देंहटाएं"रेशमी सपने सुवासित, धवल तन मन बस गए" पढा, अच्छा लगा । कभी -कभी हमको भी इसी बहाने याद कर लिय़ा कीजिए । मैं आपकी भावनाओं को समझता हूँ ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
बहुत सुंदर भाव भरे है रचना में,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
तृप्त हृदय कर गये।
जवाब देंहटाएंतन मन सब भीग गये..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शब्द सामर्थ्य युक्त अनूठी रचना ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
प्रेम-पत्राचार की पुरानी रीति आज भी इस नवगीत में नयी सी लग रही है। हृदय को स्पर्श करता अच्छा नवगीत।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावनाएं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों का सम्प्रेषण सुन्दर शब्द संयोजन .. बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह .सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंwah ri sundar kavita...wah!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
सुन्दर भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है,कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html
बहुत सुंदर भावमयी रचना....
जवाब देंहटाएंशब्द मन में बस गए ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव ...कुछ शब्द भी नए थे मेरे लिए । आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत... गुप्त जी को एक आलोचक के रूप में देखा था... किन्तु उनकी कवितायेँ भी ह्रदय को छू रही हैं... बहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंसशक्त नवगीत। सुंदर प्रस्तुती।
जवाब देंहटाएंकुमुद रंगत सी चढ़ी
जवाब देंहटाएंकोमल
कपोलों पर,
शुभ्र स्मित झर पड़ी
मधुसिक्त
किसलय पर,
....बहुत सुंदर...भावों और शब्दों का उत्कृष्ट संगम..
बेहद सुन्दर शब्द रचना ..
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पर आये एवं टिप्पणी रुपी पुरस्कार प्रदान किया आपका आभार .......
बहुत अच्छा नवगीत है। शब्द तो जैसे मन में उतर गए। आभार,
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द्संयोजन ... भाव मय रचना ... लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव .....
जवाब देंहटाएंरेशमी शब्द-शृंखला और मखमली भाव-योजना....! अल्लाह करे जोर-ए-कलम और ज्यादा.......!!
जवाब देंहटाएंरेशमी सपने सुवासित,
जवाब देंहटाएंधवल तन मन बस गए....
सुन्दर गीत...
सादर...
तन मन प्रसन्न हो गया यह गीत पढ़ कर।
जवाब देंहटाएंशब्द योजना और प्रवाह का आकर्षण बरबस मन मोहता है। सुन्दर भाव से सम्पन्न नवगीत।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ,