आग से किसने गढ़ा है चांद
अभी
निचली सीढ़ियों पर हूं,
दूर छज्जे के बहुत ऊपर
चढ़ा है चांद।
सामने छत पर
किसी देहात से आई हुई औरत
फूल-अक्षत लिए तुलसी पर झुकी है।
पूर्णिमा की रात
जैसे इसी छज्जे पर
बरस जाने के लिए कब से रुकी है।
देखता हूं
अंजलि में सजे अक्षत-फूल
लग रहा है इन्हीं हाथों से
कढ़ा है चाद।
एक गमला
गांव की यादें हरी करता
चांदनी के साथ मिलकर रो रहा है।
एक अरसे से
पड़े परती हृदय में
प्यारवाले बीज फिर से बो रहा है।
छोड़ आया था
जिसे वनखंडियों में कहीं पीछे
आज अपनी ही बगल से
फिर खड़ा है चांद।
फिर लिखूंगा
पत्र उसके नाम
आज का उपवास
मेरे नाम जिसने रखा होगा।
शाम तक मन से रुचे
व्यंजन हवन कर
नाम पारण के जुठारा चखा होगा।
किस तरह
आभार मानूं उस निठुर का
आग से जिसने
गढ़ा है चांद।
हर दृश्य में चाँद की उपस्थिति अभिभूत कर रही है।
जवाब देंहटाएंvhaa kya chand hai aapka hr jgh mojud hai jnab mubark ho . hmara to suraj bhi fika pdh gyaa hai ..akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंचाँद को लक्षित कर बढ़िया कबिताई !
जवाब देंहटाएंइन्हीं हाथों से कढ़ा है चाँद - बहुत खूब
जवाब देंहटाएंएक गमला
जवाब देंहटाएंगांव की यादें हरी करता
चांदनी के साथ मिलकर रो रहा है।
शहर की बागवानी :) अच्छा व्यंग ..
बहुत सुन्दर रचना
bahut hi achhi rachna
जवाब देंहटाएंमनोज जी,
जवाब देंहटाएंफिर खड़ा है चाँद,
फिर लिखुगां पत्र
सुंदर पोस्ट ...बधाई
नए पर स्वागत है ....
बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या लिखा है ... ।
जवाब देंहटाएंकिस तरह
जवाब देंहटाएंआभार मानूं उस निठुर का
आग से जिसने
गढ़ा है चांद।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आभार
सुन्दर शब्दयोजना से सुसज्जित नवगीत। अपने-से लगने वाले बिम्ब जैसे आसपास आकर बिखर गए हों।
जवाब देंहटाएंवाह...!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
परिपक्व शब्दों से अलंकृत सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंबेजोड़...चित्र और रचना दोनों...
जवाब देंहटाएंनीरज
हम अपने खेत, वन और यादें अपने साथ गमलों में ही तो शहर ले आए हैं. वही है हमारा एक मुट्ठी खेत और धरती, पेड़ और यादें. चाँद भी जब तक जिसे देखने को मिले उसका सौभाग्य है अन्यथा अपने हाथ से ही काढना होगा.
जवाब देंहटाएंकविता अपने गमलों की याद दिला रही है,जिनमें मैं अब तक के जीवन की यादें लिए घूम रही हूँ. आभार.
घुघूतीबासूती
bahot pasand aayee......
जवाब देंहटाएंइन्हीं हाथों से कढ़ा है चाँद -बहुत बढि़या .. बहुत सुन्दर चित्र..
जवाब देंहटाएंkarvachauth ke chaand ki yad dilati rachna.
जवाब देंहटाएंएक गमला
जवाब देंहटाएंगांव की यादें हरी करता
चांदनी के साथ मिलकर रो रहा है।bhut achchi abhivaykti.thanks.
आज तो बस एक ही शब्द सूझ रहा है मुझे.. अद्भुत!!!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण, बहुत ही सुन्दर ......वाह !!!!
जवाब देंहटाएंkhubsurat rachna...sundar chitrn ke sath....
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