शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

शिवस्वरोदय - 68


शिवस्वरोदय - 68

आचार्य परशुराम राय

शरीरं नाशयन्त्येते दोषा धातुमलास्तथा।

समस्तु वायुर्विज्ञेयो बलतेजोविवर्धनः।।371।।

भावार्थ – धातु और मल-मूत्र के दोष शरीर का नाश कर देते हैं। प्राण वायु के संतुलन से इन दोषों में कमी आती है, जिससे शारीरिक शक्ति और तेज बढ़ते हैं।

English Translation – Disturbances in seminal fluid and excreta cause vital harm to our body. Balance in respiratory system strengthens the body and increases its glow.

रक्षणीयस्ततो देहो यतो धर्मादिसाधनम्।

योगाभ्यासात्समायान्ति साधुयाप्यास्तु साध्यताम्।

असाध्या जीवितं घ्नन्ति न तत्रास्ति प्रतिक्रिया।।372।।

भावार्थ – अतएव धर्म आदि के साधनरूप इस शरीर की रक्षा करनी चाहिए। योगाभ्यास के लिए शरीर को नियमित रूप से तैयार करना चाहिए। क्योंकि असाध्य रोग जीवन को नष्ट कर देते हैं और योगाभ्यास के अतिरिक्त इन असाध्य रोगों का दूसरा कोई उपचार भी नहीं है।

English Translation – The body, being medium for doing the work properly, should be therefore protected by yogic practices. Otherwise incurable diseases will destroy our body and there is no means other than yogic practices to get them cured.

येषां हृदि स्फुरति शाश्वतमद्वितीयं

तेजस्तमोनिवहनाशकरं रहस्यम्।

तेषामखण्डशशिरम्यसुकान्तिभाजां

स्वप्नोSपि नो भवति कालभयं नराणाम्।।373।।

भावार्थ – जिन मनुष्यों के हृदय में इस शाश्वत् अद्वितीय रहस्य (स्वरोदय विज्ञान) का स्फुरण होता है, उसपर महादेव भागवान शिव की कृपा होती है। इससे उसका शरीर चन्द्रमा की तरह आलोकित हो जाता है और स्वप्न में भी उसे मृत्यु का भय नहीं होता।

English Translation – The individuals are fortunate to get eternal bliss when this eternal and unique knowledge of this science is realized by them. This realization makes their body glowing like moon and protects them from the fear of death.

इडा गङ्गेति विज्ञेया पिङ्गला यमुना नदी।

मध्ये सरस्वतीं विद्यात्प्रयागादिसमस्तथा।।374।।

भावार्थ – इडा नाड़ी को गंगा, पिंगला को यमुना और इनके मध्य में स्थित सुषुम्ना नाड़ी को सरस्वती के नाम से जाना जाता है। जहाँ इन तीनों नाड़ियों का मिलन होता है उसे प्रयाग (भ्रूमध्य) कहते हैं।

English Translation – Ida channel is known as river Ganges, Pingala as Yamuna and Sushumna as river Saraswati. Their confluence is the greatest pilgrimage Prayag and that is centre place between eye-brows.

आदौ साधनमाख्यातं सद्यः प्रत्ययकारकम्।

बद्धपद्मासनो योगी बन्धयेदुड्डियानकम्।।375।।

भावार्थ – शीघ्र सिद्धि देनेवाली साधना की प्रक्रिया बताते हैं - सबसे पहले योगी को पद्मासन में बैठकर उड्डियान बन्ध लगाना चाहिए।

English Translation – Now the technique of practice, which enables the practitioners to attain yogic accomplishments quickly - first, the practitioner should master Uddiyan Bandh by sittin Lotus Posture.

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ||

    दो सप्ताह के प्रवास के बाद
    संयत हो पाया हूँ ||

    बधाई ||

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  2. जी हाँ आपने सही लिखा है
    योग तो हर व्यक्ति को अपनाना ही
    चाहिए
    आप मेरे ब्लॉग पर आये .बहुत बहुत आभार

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  3. आचार्य जी!
    अद्भुत है यह शास्त्र और अद्भुत है आपकी श्रृंखला!!

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  4. स्वरोदय विज्ञान के प्रति जिज्ञासा जग गयी है। हिन्दी में कोई सरल पुस्तक है?

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  5. पाण्डेय जी, इस सम्बन्ध में इस शृंखला के नौवें या दसवें अंक में चर्चा हुई है, जहाँ स्वरोदय विज्ञान पर उपलब्ध पुस्तकों एवं इस क्षेत्र में साधना के मार्गदर्शकों के विषय में चर्चा की गयी है। साधुवाद।

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  6. अद्भुत शास्त्र है यह। परिचय कराने के लिए धन्यवाद।

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  7. @Acharya Parashuram Rai - Thanks, I could search for some book. Found Swara Yoga by Swamimuktibodhananda on Flipkart, but it was out of print!
    I could however download the pdf file of the book from -
    http://www.4shared.com/document/LX73pbht/SWARA_YOGA.html

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