शिवस्वरोदय – 67
आचार्य परशुराम राय
अरुन्धतीं ध्रुवं चैव विष्णोस्त्रीणि पदानि च।
आयुर्हीना न पश्यन्ति चतुर्थं मातृमण्डलम्।।366।।
भावार्थ – जिस व्यक्ति की आयु समाप्त हो गयी है उसे अरुन्धती, ध्रुव, विष्णु के तीन चरण और मातृमंडल नहीं दिखायी पड़ते।
English Translation – A person, to whom Arundhati, Pole star, three feet of Lord Vishnu and Matrimandal are not visible, has lived his life. In other words his life has to face its end shortly.
अरुन्धती भवेज्जिह्वा ध्रुवो नासाग्रमेव च।
भ्रुवौ विष्णुपदं ज्ञेयं तारकं मातृमण्डलम्।।367।।
भावार्थ – उपर्युक्त श्लोक में कथित चारों चीजों का विवरण इस श्लोक में दिया गया - जिह्वा को अरुन्धती, नाक के अग्र भाग को ध्रुव, दोनों भौहें और उनके मध्य भाग को विष्णु के तीन चरण तथा आँखों के तारों को मातृमंडल कहते हैं।
English Translation – The terms Arundhati, Pole star, three feet of Lord Vishnu and Matrimandal stated in the above verse, have been explained in respect of our body organs in this verse. Arundhati is our tongue, tip of nose is Dhruva or Pole star, both eye-brows and their middle part are three feet of Lord Vishnu and eye-balls are Matrimandal.
नव भ्रुवं सप्त घोषं पञ्च तारां त्रिनासिकाम्।
जिह्वामेकदिनं प्रोक्तं म्रियते मानवो ध्रुवम्।।368।।
भावार्थ – ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को अपनी भौहें न दिखें, उसकी मृत्य़ु नौ दिन में, सामान्य ध्वनि कानों से न सुनाई पड़े तो सात दिन में, आँखों का तारा न दिखे तो पाँच दिन में, नासिका का अग्रभाग न दिखे तो तीन दिन में और जिह्वा न दिखे तो एक दिन में मृत्यु होगी।
English Translation – It is said by Sidhas that a person to whom his eye-brows are not visible, his life is left for nine days. If normal sound is not audible, his life is left for seven days. If eye-balls are not visible, his life is left for five days. If tip of nose is not visible, his life is left for three days and if his tongue is not visible, his life left for one day only.
कोणावक्ष्णोरङ्गुलिभ्यां किञ्चित्पीड्य निरीक्षयेत्।
यदा न दृश्यते बिन्दुर्दशाहेन भवेन्मृतिः।।369।।
भावार्थ – अपनी आँखों के कोनों को दबाने पर चमकते तेज विन्दु यदि न दिखें, तो समझना चाहिए कि उस व्यक्ति की मृत्यु दस दिन में होगी।
English Translation – If ends of the eyes are pressed, normally we observe sparking like thing. If after pressing them someone does not feel such sparking, his life is left only for ten days.
तीर्थस्नानेन दानेन तपसा सुकृतेन च।
जपैर्ध्यानेन योगेन जायते कालवञ्चना।।370।।
भावार्थ – तीर्थ में स्नान करने, दान देने, तपस्या, सत्कर्म करने, जप, योग और ध्यान करने से व्यक्ति की आयु लम्बी होती है।
English Translation – Taking bath in pilgrimage, giving donation, doing tapasya and good work (welfare work), reciting of mantra, practices Yoga and meditation increases our longevity.
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maine aapka yeh lekh bahut dhyaan se padha aur likhe ko follow karke bhi dekha mujhe apni bhonhe dikhaai nahi de rahi hain.kya samjhu???
जवाब देंहटाएंany way granthon me kuch sachchai to hoti hi hogi.aalekh bahut pasand aaya.
बेहद सार्थक व सटीक लेखन ...आभार ।
जवाब देंहटाएंbahut khoob. jankari k liye aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और रोचक !!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को यहाँ पढ़े
manojbijnori12 .blogspot .com
आपके लेखों से जानकारी बढ़ रही है.आभार.
जवाब देंहटाएंराजेश कुमारी जी, यह स्थिति वहाँ लागू होती है, व्यक्ति को कोई बीमारी न हो। जैसे मोदियाबिन्द आदि बीमारियों से ग्रस्त लोगों पर ये चीजें नहीं लागू होतीं। आभार।
जवाब देंहटाएंaadarniy sir
जवाब देंहटाएंkabhi inhe padha nahi tha aaj aapke blog se jaankaari mili.bahut bahut hi achha laga.agar bhavarth na diya hota aapne to thodi dikkat jaroor hoti.
hardik abhinandan
poonam
आचार्य जी!
जवाब देंहटाएंपहली बार कुछ ऐसा मिला यहाँ जो मैंने सुन रखा है... सूत्र संख्या ३६८ के बारे में बचपन में बुजुर्गों से सुना करता था.. अंतिम सूत्र (संख्या ३७०)में वर्णित कर्म यथा दान, तपस्या, सत्कर्म, तीर्थ-स्नान, जप, योग और ध्यान आदि की अलग से व्याख्या की जानी चाहिए!!
यह दुर्लभ शास्त्र आपने साझा किया है हम सब से... हमारा सौभाग्य है!!
शिवस्वरोदय के विभिन्न श्लोकों का ज्ञान हमसे साझा करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मनोज जी हार्दिक अभिवादन बहुत सुन्दर जानकारी ..लेकिन ये सब जांच परख लोग डरने न लगें
जवाब देंहटाएंआप का भ्रमर का दर्द और दर्पण में भी स्वागत है --आप सब को भी गुरु पर्व पर ढेर सारी बधाई और शुभ कामनाएं ...
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
नव भ्रुवं सप्त घोषं पञ्च तारां त्रिनासिकाम्। जिह्वामेकदिनं प्रोक्तं म्रियते मानवो ध्रुवम्।।368।। भावार्थ – ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को अपनी भौहें न दिखें, उसकी मृत्य़ु नौ दिन में, सामान्य ध्वनि कानों से न सुनाई पड़े तो सात दिन में, आँखों का तारा न दिखे तो पाँच दिन में, नासिका का अग्रभाग न दिखे तो तीन दिन में और जिह्वा न दिखे तो एक दिन में मृत्यु होगी।
सलिल भाई, आप ऐसे विषय पर व्याख्या चाहते हैं, जिसपर लिखना आसान नहीं है। वैसे भी मैं इस प्रकार की बकवास करनेवाला एक टाइप बन गया हूँ। लोग ऐसी चीजें पढ़ना अधिक पसन्द नहीं करते। फिर भी देखूँगा कि भविष्य में इस पर चर्चा की जाए। क्योंकि यह ग्रंथ (शिवस्वरोदय) लगभग समाप्त होनेवाला है।
जवाब देंहटाएंआभार।