-- हरीश प्रकाश गुप्त
नव वर्ष की शुभ्र ज्योत्सना,
द्युतिमय कर दे जीवन को
अजस्र उत्स सी बहे अहर्निश
वैभव, सुख, खुशियाँ भरने को,
अदिति-विवस्वत की छाया में
आगत ने अवसान कर दिया
विगत वर्ष का, अन्तराय का
गहन विवर में, शून्य विजन में,
नव वसंत की नूपुर ध्वनि-सी
स्मृतियाँ अवशेष रह गईं
मधुरिम-मधुरिम, सुखद सलोनी
मन आंगन के कोमल थल में,
अखिल शून्य के तारों के संग
दिन-ऋतु-प्रकृति मुक्त हँस खेली
जन-मन को अभिसिंचित करने
चहुँदिश में समृद्धि बिखेरी ।
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नव वर्ष 2010 की ढेर सारी शुभ कामनाएँ !
अच्छी रचना .. आपके और आपके परिवार के लिए भी नववर्ष मंगलमय हो !!
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआप सब को सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाअ है।बधाई।
जवाब देंहटाएंनया साल नए अर्थ दे जाये और शब्दों की पोटली
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना प्रस्तुत करने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंआपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
सुंदर रचना . नव वर्ष की शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंAaj ki yeh rachna achi lagi aur saath me naya saal mubarak.
जवाब देंहटाएंनया साल...नया जोश...नई सोच...नई उमंग...नए सपने...आइये इसी सदभावना से नए साल का स्वागत करें !!! नव वर्ष-2010 की ढेरों मुबारकवाद !!!
जवाब देंहटाएंवर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
जवाब देंहटाएं- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
अच्छी रचना .नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!
जवाब देंहटाएंबेहद पसंद आई।
जवाब देंहटाएंHappy New Year :-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाअ है।बधाई ..
जवाब देंहटाएंकविता में प्राकृतिक उपादानों के माध्यम से नव वर्ष के आगमन और गत वर्ष के अवसान को कवि ने बड़ी चतुराई से व्यक्त किया है।
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