--- मनोज कुमार
ऊ साल जाते-जाते अउर ई साल आते-आते छदामी लाल को तीन ऐइसन पोस्ट मिल गया पढ़ने के लिए कि उनका त मने तृप्त हो गया। एकठो पुरुष चिट्ठाकार का अउर दोसर एकठो महिला चिट्ठाकार का और बीच में तेसर एक ठो मंच की चर्चा। तीन्नो पढ़के छदामी एतना तृप्त हो गये कि घर से निकल लिये – मटरगस्ती करने। कलकत्ता में तो दुइगो ऐसन जगह है जहां तृप्त भाव से मटरगस्ती किया जा सकता है, एकठो पारक इसटरीट और दोसर चौरंगी। चौरंगी पहुंच के छदामी इम्हर-ओम्हर घुमिये रहे थे कि देखे चिठियाना और टिपियाना आमने सामने खड़े हैं। छदामी त उनको कन्नी काट के निकलिए जाते कि उनको उन दुन्नो का बात कान में पड़ा। उनको लगा ई दुन्नू कोनो गंभीर समस्या पर बतिया रहें हैं। त छदामी आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए हुनकर बात छुप्पे-छुप्पे सुनने लगे।
ऊ साल जाते-जाते अउर ई साल आते-आते छदामी लाल को तीन ऐइसन पोस्ट मिल गया पढ़ने के लिए कि उनका त मने तृप्त हो गया। एकठो पुरुष चिट्ठाकार का अउर दोसर एकठो महिला चिट्ठाकार का और बीच में तेसर एक ठो मंच की चर्चा। तीन्नो पढ़के छदामी एतना तृप्त हो गये कि घर से निकल लिये – मटरगस्ती करने। कलकत्ता में तो दुइगो ऐसन जगह है जहां तृप्त भाव से मटरगस्ती किया जा सकता है, एकठो पारक इसटरीट और दोसर चौरंगी। चौरंगी पहुंच के छदामी इम्हर-ओम्हर घुमिये रहे थे कि देखे चिठियाना और टिपियाना आमने सामने खड़े हैं। छदामी त उनको कन्नी काट के निकलिए जाते कि उनको उन दुन्नो का बात कान में पड़ा। उनको लगा ई दुन्नू कोनो गंभीर समस्या पर बतिया रहें हैं। त छदामी आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए हुनकर बात छुप्पे-छुप्पे सुनने लगे।
चिठियाना – देखो मैं बिलकुल गंभीर हूं, और तुमको भी पूरी गंभीरता से मेरी बात समझनी होगी।
टिपियाना - लो मैंने कब कहा कि मैं गंभीर नहीं हूं।
चिठियाना - मुझे तो ऐसा ही लगता है कि तुम मेरी बातों के सीरियसली लेते ही नहीं हो।
टिपियाना – नहीं-नहीं, ऐसा नहीं है। कभी-कभी लेता हूं।
चिठियाना - देखो तुम फिर मसखरी पर उतर आये। मैं एक बहुत ही इमपोरटेंट बात तुमको समझाना चाह रहा हूं।टिपियाना - देखे मुझे इम्पोटेन्ट लोगों में, मेरा मतलब है बातों में कोई इंटरेस्ट नहीं है।
चिठियाना - यही तो मुश्किल है तुममें। बात को न पूरी तरह सुनते हो, न पढ़ते हो, न समझते हो, और लगते हो टिपियाने। अरे मैं बोल रहा था इमपोरटेंट, महत्वपूर्ण। खास .. हम दोनों से ताल्लुक़ात रखती बात। समझे कि नहीं समझे।
टिपियाना - हां, समझ गया। पर अब बकोगे भी कि तुम मुझे क्या समझाना चाह रहे थे ?
चिठियाना - यही समझाना चाह रहा था कि चिट्ठाजगत में जो हालात बन रहें हैं वह चिट्ठाजगत के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
चिठियाना - यही समझाना चाह रहा था कि चिट्ठाजगत में जो हालात बन रहें हैं वह चिट्ठाजगत के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
टिपियाना - ठीक है, तुम्हारी बात मान भी लूं तो बता सकते हो किस तरह से...?
चिठियाना - हां। तुमको समझाता हूं। मान लो कि मैं एक पुरुष चिट्ठाकार हूं और तुमएक महिला चिट्ठाकार।टिपियाना - क्यों मान लूं .. वह जो मैं हूं ही नहीं ? मैं एक पुरुष चिट्ठाकार हूं।
चिठियाना - नहीं, बस ऐसे ही मान लो ...
टिपियाना - नहीं-नहीं मैं एक पुरुष चिट्ठाकार हूं ... पुरुष।
चिठियाना - अऱे भाई उदाहरण के तौर पर कह रहा हूं। उदाहरण के तौर पर मान लो।
टिपियाना - वाह, ये कोई बात हुई, उदाहण के तौर पर भी क्यूं मानूं ? मैं नहीं मानता।
चिठियाना - अच्छा तो मैं ही एक महिला चिट्ठाकार हूं और तुम पुरुष चिट्ठाकार ... अब तो ठीक है, ख़ुश।टिपियाना - नहीं अब भी ठीक नहीं है। कैसे मान लूं ? तुम भी तो पुरुष चिट्ठाकार ही हो।
चिठियाना - अरे भाई उदाहरण के तौर पर ...
टिपियाना – फिर वही उदाहरण के तौर पर ... ये कैसा उदाहरण है जो लिंग ही बदल दे।
चिठियाना - अरे मेरे भाई यह उदाहरण मैं इसलिए कह रहा हूं ताकि अपनी बात समझा सकूं।
टिपियाना – मेरे दोस्त यह बात तो मुझे सिरे से ही ग़लत आधार पर टिकी लग रही है। और जो बात ग़लत आधार पर टिकी हो उसे तुम मुझे मानने के लिये कह रहे हो। ऐसा कदापि नहीं हो सकता।
चिठियाना - अच्छा तो मैं ही हालात से समझौता कर लेता हूं। मैं भी पुरुष चिट्ठाकार और तुम भी पुरुष चिट्ठाकार ... अब तो ठीक।
टिपियाना - हां जो बात ठीक है उसे मैं ग़लत क्यूं कहूं ?
चिठियाना – ठीक है, अब सोचो हम दोनों के बीच कोई महिला चिट्ठाकार आ जाये ...
चिठियाना – ठीक है, अब सोचो हम दोनों के बीच कोई महिला चिट्ठाकार आ जाये ...
टिपियाना - .. तो .. तो पुरुष चिट्ठाकार- पुरुष चिट्ठाकार भाई-भाई। और दो भाइयों के बीच एक महिला चिट्ठाकार कैसे आ सकती है।
चिठियाना - उफ ओह ! .. ठीक है बीच में नहीं ... सामने आ जाती है .. तो ...
टिपियाना - हां अब ठीक है। आगे बोलो।
चिठियाना - तो हम उसे भी ये बात समझाएंगे .. एक बार ... कि चिट्ठाजगत में जो हालात बन रहें हैं वह चिट्ठाजगत के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
टिपियाना - एक बार में वह नहीं समझे तो ...
चिठियाना - तो दो बार समझाएंगे ...
टिपियाना - न .. बिलकुल नहीं मेरा पर्सनल एक्सपीरिएंस है, दो बार में भी नहीं समझेगी।
चिठियाना - तो तीसरी बार समझाएंगे। चौथी बार समझाएंगे। बार-बार समझाएंगे।
टिपियाना - इतना इंतज़ार किससे हो सकता है भला। पहली ही बार में ही निबटा (टिपिया) देंगे उसे।
चिठियाना - लेकिन इस तरह से तो माहौल जो बिगड़ रहा है वह शांत नहीं होगा।
टिपियाना - नहीं जी, इसी तरह से एक-एक को शांत करके यहां शांति बहाल होगी।
चिठियाना - तुम मेरी बात ठीक तरह से अब भी नहीं समझ पा रहे हो। अच्छा मान लो ...
टिपियाना - फिर मान लो ...
चिठियाना - थोड़ा तो सब्र करो मुझे बात को पूरी तरह रखने तो दो। मान लो एक नहीं वो दस या बीस महिला चिट्ठाकार सामने आ जाएं ...
टिपियाना - अरे वाह भाई वाह .. बहुत ही अच्छी स्थिति है .. .. इतने सारे एक साथ ... तब तो ही उन्हें ज़रूर ही समझाना चाहिए।
चिठियाना - क्या ?
टिपियाना - यही कि चिट्ठाजगत में जो हालात बन रहें हैं वह चिट्ठाजगत के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
टिपियाना - यही कि चिट्ठाजगत में जो हालात बन रहें हैं वह चिट्ठाजगत के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
चिठियाना - बहुत ख़ूब। अब मान लो कि वो फिर भी नहीं समझ पाईं तो ...
टिपियाना - तो .. तो ... हम ही समझ जाएंगे।
चिठियाना - क्या समझ जाएंगे ?
टिपियाना – यही कि ... अरे वही … जो तुम इतनी देर से समझाने का प्रयास कर रहे हो ... कि चिट्ठाजगत में जो हालात बन रहें हैं वह चिट्ठाजगत के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
टिपियाना – यही कि ... अरे वही … जो तुम इतनी देर से समझाने का प्रयास कर रहे हो ... कि चिट्ठाजगत में जो हालात बन रहें हैं वह चिट्ठाजगत के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
चिठियाना - हूं .. अच्छा। बहुत अच्छा। अब मान लो कि ऐसी हालात में जब एक तरफ दस-बीस महिला चिट्ठाकार हैं दूसरी तरफ से दस-बीस पुरुष चिट्ठाकार भी सामने आ जाएं तो ...
टिपियाना – तो फिर क्या ? .. तब ही तो असली मज़ा आएगा। भड़काऊ बातें होंगी, मूंछे उमेठी जाएंगी, शब्दों के तीर चलेंगे, श्लील-अश्लीलता पर बहस होगी, एक दल दूसरे दल को नीचा दिखाने की कोशिश में एक से बढ़कर एक वीर रस की पंक्तियां दुहराएगा, मेरा टिपियाना भला उसके टिपियाने से कम वजन वाला कैसे हो सकता है, वाह क्या अप्रतिम दृश्य होगा, मुझे वह दृश्य ठीक से देखने दो, मेरे और उस दृश्य के बीच से तुम हट जाओ वर्ना ...
चिठियाना - वर्ना .. ये वर्ना क्या है ..?
टिपियाना - बच नहीं पाओगे तुम मिस्टर चिठियाना मुझसे। बिना टिपियाना के एक दिन भी नहीं रह सकते मिस्टर चिठियाना । एक ही बार में सारी हेंकड़ी गुम हो जाएगी तुम्हारी। ये जो तुमहारा खटराग है चिट्ठाजगत के लिए हानिकारक-वानिकारक वाला ये सब चिल्लाना बंद हो जाएगा।
टिपियाना - बच नहीं पाओगे तुम मिस्टर चिठियाना मुझसे। बिना टिपियाना के एक दिन भी नहीं रह सकते मिस्टर चिठियाना । एक ही बार में सारी हेंकड़ी गुम हो जाएगी तुम्हारी। ये जो तुमहारा खटराग है चिट्ठाजगत के लिए हानिकारक-वानिकारक वाला ये सब चिल्लाना बंद हो जाएगा।
चिठियाना - लेकिन ...
टिपियाना - लेकिन-वेकिन कुछ मत बोलो, बल्कि तुम तो अब मुंह ही मत खोलो। तुम जैसै लोग ही इस चिठ्ठाजगत की शांति और तरक़की की राह में अड़ंगे डालने चले आते हो।
चिठियाना - अड़ंगा और मैं ... क्या कह रहे हो तुम ?
टिपियाना - हां जी हां, मैं बिलकुल वही कह रहा हूं.. जो तुम सुन रहे हो। तुम न हो तो हम दो दिन में इस माहौल को ठीक कर दें। ऐसे-ऐसे खेल खेलेंगे कि उनका चिट्ठा एक-एक करके बंद हो जाएगा, और तब सिर्फ और सिर्फ हमारे जैसों का, मतलब सिर्फ चिठियाना और टिपियाना .. रहेंगे, तो काहे का बवाल।
टिपियाना - हां जी हां, मैं बिलकुल वही कह रहा हूं.. जो तुम सुन रहे हो। तुम न हो तो हम दो दिन में इस माहौल को ठीक कर दें। ऐसे-ऐसे खेल खेलेंगे कि उनका चिट्ठा एक-एक करके बंद हो जाएगा, और तब सिर्फ और सिर्फ हमारे जैसों का, मतलब सिर्फ चिठियाना और टिपियाना .. रहेंगे, तो काहे का बवाल।
चिठियाना - उसके बाद ?
टिपियाना - फिर हम दूसरी चाल चलेंगे।
टिपियाना - फिर हम दूसरी चाल चलेंगे।
चिठियाना - क्या ?
टिपियाना - मान लो हम पूरब के चिट्ठाकार हैं और तुम पश्चिम के ...
टिपियाना - मान लो हम पूरब के चिट्ठाकार हैं और तुम पश्चिम के ...
चिठियाना - क्यों मान लूं ? मैं भी पूरब का ही हूं।
टिपियाना - नहीं, बस ऐसे ही मान लो, .. बात को समझने के लिए।
चिठियाना - नहीं मानता। क्यों मानूं ? मैं पूरब का हूं, तो हूं।
टिपियाना - अरे बस उदाहरण के तौर पर मान लो।
चिठियाना - ऐसा कैसा उदाहरण जो मेरी क्षेत्रीयता ही बदल दे ..! हूं.हः !!
(इतिश्री ब्लॉगर-खंडे चिठियाना-टिपियाना संवाद नामो प्रथमोध्यायः)
अब इससे ज़्यादा देखना सुनना छदामी लाल के बस का नहीं था। अउर आगे का होना था इ त ऊ बुझिये रहे थे, सो चुप्पे से वहां से सरक लिये घर को। कंम्प्यूटर पर एगो नया चिट्ठा लिखने का मसाला त मिलिये गया था।
shukria
जवाब देंहटाएंye samvaad bahut intresting lage.
वाह क्या खूब निश्चिंत होकर लिखे हैं भाया ,अगला संवाद कब होने का है ?
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंचिठियाना-टिपियाना संबाद बहुत सुन्दर जी !
जवाब देंहटाएंसंवाद के लिए धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंरोचक, व्यवहारिक और सामयिक व्यंग्य !!!
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा व्यंग्य पढ़कर।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक संवाद।
जवाब देंहटाएंfir ek achchhi post padhi...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया! कमाल का संवाद है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगा पढ़कर. ये टिपियाना और चिठियाना चाहें तो चिट्ठाजगत बहुत बढ़िया चलेगा. बस केवल सार्थक प्रयास की ज़रुरत है.
वाह्! ये भी खूब रही!!
जवाब देंहटाएंबढिया व्यंग्य्!
kahin par yeh dono mile to unse puchhoonga ki bhai yahan par itana sannata kyon hai?
जवाब देंहटाएंएक सार्थक व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंआपने अच्छा लिखा है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ब्लॉगर-खंडे चिठियाना-टिपियाना संवाद नामो प्रथमोध्याय।
जवाब देंहटाएंbahute majedaar raha... aisne likhte rahin.. padhe mein maja aava ta... adbhutaas...
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar laga yeh vayangya padkar.
जवाब देंहटाएंहां ब्लोगियाना साहित्य में आज ये चिठियाना टिपियाना संवाद इतिहास बना गया ॥
जवाब देंहटाएंAcha laga.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर और सहज सम्वाद.
जवाब देंहटाएंजै हो। शानदार!
जवाब देंहटाएंभाषा तो मजेदार है हजूर
जवाब देंहटाएंव्यंग्य भी धारदार है बधाइयाँ
बहुत ही सुंदर पंच है, आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िय लगा यह संवाद पढ़ कर/// आगे के अध्याय भी बांचे जायें. :)
जवाब देंहटाएं’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
nice conversation....
जवाब देंहटाएंacchi shuruaat hai...
baaton baaton mein hi gambhir baatein ho rahi hain!!!
regards,