--मनोज कुमार
खिले धूप, यदि छटे कुहासा
फिर बगिया लहराए,
देखें जब हरियाली अंखियाँ
रूप तेरा मन आये,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए।
होठों पर हैं कम्पन,
लेकिन गीतों के बोल नहीं,
घना कुहासा,व्याकुल मन है
व्याकुलता अनमोल नहीं?
किरणों-की मुस्कान तिहारी
उसको धुंध छिपाए,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए।
घने धुन्ध में रूप तुम्हारा
सिमट-सिमट कर आया,
जिसे देख भारी होता मन
थोड़ा सा शरमाया।
सुरभि तुम्हारी तिरे चतुर्दिक्
पवन उसे बतलाए,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए।
द्वारे सजी रंगोली रह-रह
मुझ से करे ठिठोली,
बूंद ओस की झूल रही है,
पाती-पाती डोली।
मधुर मिलन की मनोकामना
मन ही मन इठलाए,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए।
सूरज को तो गहन लगा है
दिल में बढा अंधेरा,
दोपहरी में मध्य निशा ने
डाल रखा है डेरा ।
तेरा रूप रोशनी माँगे
झलक जो तू दिखाए,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए।
*****
प्रकृति का मानवीकरण बेहद रोचक लगा.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत सुन्दर, !
जवाब देंहटाएंद्वारे सजी रंगोली रह-रह
जवाब देंहटाएंमुझ से करे ठिठोली,
बूंद ओस की झूल रही है,
पाती-पाती डोली।
मधुर मिलन की मनोकामना
मन ही मन इठलाए,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए।
बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ बहुत सुंदर रचना....
ह्रदय को छूने वाली कविता। हर पतझड़ के बाद वसंत जरुर आता है,आमों की मंजरियां सुगंध देने लगती है,कोयल कूक उठता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता बधाई। साथ ही मुझे प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंवाह सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
ह्रदय को छूने वाली कविता।
जवाब देंहटाएंमैने पहले कमेंट किया था पक्का...वो खो गया...फिर भी...तेरी याद सताए।...इसलिए वापस आये देखने!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंमधुर मिलन की मनोकामना
जवाब देंहटाएंमन ही मन इठलाए,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए।
... बहुत खूब, प्रसंशनीय रचना, बधाई !!!!
घना कुहासा,व्याकुल मन हैव्याकुलता अनमोल नहीं?
जवाब देंहटाएं.........
'सुरभि तुम्हारी तिरे चतुर्दिक्पवन उसे बतलाए'
.........
वाह! बहुत ही सुंदर गीत है.
शब्दों का संयोजन भाया.
खूबसूरत कविता ... प्रतीकों का सहज एवं सफल प्रयोग किया गया है।
जवाब देंहटाएंघना कुहासा,व्याकुल मन है...
जवाब देंहटाएंbahot he sundar kavita.
बढ़िया बेहतरीन लिखा है आपने ..शुक्रिया इस सुन्दर रचना को पढवाने के लिए
जवाब देंहटाएंखिले धूप, यदि छटे कुहासा
जवाब देंहटाएंफिर बगिया लहराए,
देखें जब हरियाली अंखियाँ
रूप तेरा मन आये,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए।
Bahut sunder likhate hai aap.
sunder soch se hee judee hotee hai ye pratibha !
Badhai
वाह, बहुत सुन्दर, !
जवाब देंहटाएंअपने प्रिय को स्मरण करते हुए.. रचना अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंAdbhut......... aur kya kahu..... pant ki jhalak dikhati hai...
जवाब देंहटाएंBahut achchi kavita.
जवाब देंहटाएंKawita achchhi lagi. Young the tab likhe the kya.
जवाब देंहटाएंधुर मिलन की मनोकामना
जवाब देंहटाएंमन ही मन इठलाए,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए।
वाह पूरी कविता मन को छूने वाली है बधाई
घने धुन्ध में रूप तुम्हारासिमट-सिमट कर आया,जिसे देख भारी होता मनथोड़ा सा शरमाया।सुरभि तुम्हारी तिरे चतुर्दिक्पवन उसे बतलाए,सरदी के इस मौसम में अबतेरी याद सताए।
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत सुन्दर, !
प्रकृति के आवरण के साथ आत्मनिवेदन। बढ़िया है।
जवाब देंहटाएंतेरी याद सताए।
जवाब देंहटाएंसर्दी की गलन में याद ही की तो ऊष्मा है!
ek dum badhiya.
जवाब देंहटाएंद्वारे सजी रंगोली रह-रह
जवाब देंहटाएंमुझ से करे ठिठोली,
बूंद ओस की झूल रही है,
पाती-पाती डोली।
मधुर मिलन की मनोकामना
मन ही मन इठलाए,
सरदी के इस मौसम में अब
तेरी याद सताए ...
बहुत ही अच्छी कविता है .... सर्दी का जलवा और प्रियतमा की याद . उसका इंतेज़ार ......... प्रतीक्षा के लम्हे ........ बहुत खूबसूरती से सबको पिरोया है ...........