इक्कीसवीं शती के दसवें गणतंत्र दिवस पर
देश की संसद की
गंगोत्री से निकली
लोकहित
की भागीरथी
किसकी जटा में खो गयी ?
या कि कोई जह्नु आकर
राह में ही पी गया
और लोकहित
स्वार्थ की वैतरणी बहा
कोई भगीरथ छल गया ?
माना कि नवनिर्माण में
धीरज भी कोई चीज है
पर पचासा पार कर
यह बुजदिली का
राग बनकर रह गया ।
इक्कीसवीं शती के
दसवें गणतंत्र दिवस पर
हे भारत के भाग्य विधाता
देश के हित
एक गंगा और दे दो
स्वतंत्रता की भैरवी को
एक राग और दे दो ।
**********
गणतंत्र दिवस की बधाई
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.......
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ... चलो हम भारत देश को वस्तुत: गण के तंत्र में विकसित करें ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ.
साठवें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय एकता का पैगाम दूर तलक पहुंचे और विकास की एक किरण सबसे आखिरी पायदान पर खड़े शख्स के चेहरे पर भी मुस्कान लाएं...
जवाब देंहटाएंइसी कामना के साथ आपको राष्ट्रीय पर्व की बधाई...
जय हिंद...
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.......
जवाब देंहटाएंइक्कीसवीं शती के
जवाब देंहटाएंदसवें गणतंत्र दिवस पर
हे भारत के भाग्य विधाता
देश के हित
एक गंगा और दे दो
स्वतंत्रता की भैरवी को
एक राग और दे दो ।
बहुत सुन्दर रचना।इक्कीसवीं शती के
दसवें गणतंत्र दिवस पर
हे भारत के भाग्य विधाता
देश के हित
एक गंगा और दे दो
स्वतंत्रता की भैरवी को
एक राग और दे दो ।बहुत सुन्दर रचना है।इक्कीसवीं शती के
दसवें गणतंत्र दिवस पर
हे भारत के भाग्य विधाता
देश के हित
एक गंगा और दे दो
स्वतंत्रता की भैरवी को
एक राग और दे दो ।बहुत सुन्दर रचना है। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत संदेश देती रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और समयोचित रचना। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंइक्कीसवीं शती केदसवें गणतंत्र दिवस परहे भारत के भाग्य विधातादेश के हितएक गंगा और दे दोस्वतंत्रता की भैरवी कोएक राग और दे दो । **********
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और समयोचित रचना। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंvastavikta se ru-b-ru karati aapki rachna bahut achhi lagi...
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ .
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंइक्कीसवीं शती के
जवाब देंहटाएंदसवें गणतंत्र दिवस पर
हे भारत के भाग्य विधाता
देश के हित
एक गंगा और दे दो
स्वतंत्रता की भैरवी को
एक राग और दे दो ....
आमीन.... सुंदर रचना की विनती में हमारा स्वर भी शामिल है .. आपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई ....
samyaik sundar kavita...
जवाब देंहटाएंGanatantra diwas par shubhkamnayen
Jai Hind...
बहुत सुन्दर रचना ! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा आपने. सुन्दर. गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट पढकर दुष्यंत कुमार का एक शेर याद आ गया ..
जवाब देंहटाएंयहाँ तक आते-आते सूख जाती हैं सभी नदियाँ
मैं जानता हूँ पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा.
..६१ वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभ कामनाएँ.
अद्भुत!
जवाब देंहटाएंसुंदर! विचार।
देश की संसद की
गंगोत्री से निकली
लोकहित
की भागीरथी
किसकी जटा में खो गयी ?
या कि कोई जह्नु आकर
राह में ही पी गया
और लोकहित
स्वार्थ की वैतरणी बहा
रचना अच्छी लगी। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें....
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें....
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंआम भारतवासी का दर्द है
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कविता.
जवाब देंहटाएंHappy Republic day
जवाब देंहटाएंHardik Shubhkanaye sahit aapka apna sandeep shubh chintan ki badhayi deta hoon.
जवाब देंहटाएंManga to kya manga.
ek aur de do Ganga.
Sandeep Kumar (Pankaj)
9814159141
9569711306
हूँ... ! सच में,
जवाब देंहटाएंहो गयी है पीड़ पर्वत-सी पिघलनी चाहिए !
इस हिमालय से कोई गंगा निकालनी चाहिए !!
बहुत ही सामयिक एवं सम्प्रेशानीय व्यंजना !!!
एक बहुत ही गंभीर रचना जो सामयिक विषय पर चिंता ज़हिर करती है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और समयोचित रचना। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं