रविवार, 3 जनवरी 2010

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की

-- मनोज कुमार

जब से ब्लॉग की दुनियां से जुड़ा हूं मुझे कई ब्लॉगों पर न जाने कितनी बार पसंद के कई गीत सुनने को मिले हैं। आज अपने पुराने गीतों के कलेक्शन से मुझे मेरे पसंद का एक गीत आपको सुनाने का मन कर रहा है। ये हमारे स्कूल-कॉलेज के दिनों आकाशवाणी पर बजा करता था, (आजकल तो न ऐसे गीत मिलते हैं और न रेडियो पर यह गीत ही बजता है) और हम रेडियो से चिपक जाया करते थे और गाना ख़त्म होते-होते किसी और दुनियां में पहुंच जाया करते थे।

लीजिए पहले पढ़िए फिर सुनिए या पढ़ते हुए सुनिए .....

शंकर हुसैन फ़िल्म से ... खैय्याम साहब द्वारा स्वरबद्ध किया हुआ और मोहम्मद रफ़ी साहब द्वारा गाया गाना ....

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की

बहुत ख़ूबसूरत

बहुत ख़ूबसूरत मगर सांवली सी

बहुत ख़ूबसूरत

मुझे अपने ख़्वाबों की बाहों में पाकर

कभी नींद में मुस्कुराती तो होगी

उसी नींद में कसमसा कसमसाकर

सिराने से तकिये गिराती तो होगी

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की

वही ख़ाब दिन के मुंडेरों पे आके

उसे मन ही मन में लुभाते तो होंगे

कई साज सीने की ख़ामोशियों में

मेरी याद से झनझनाते तो होंगे

वो बेसाख़्ता धीमे धीमे सुरों में

मेरी धुन में कुछ गुनगुनाती तो होगी

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की

चलो ख़त लिखें जी में आता तो होगा

मगर उंगलियां कपकपाती तो होंगी

क़लम हाथ से छूट जाता तो होगा

उमंगे क़लम फिर उठाती तो होंगी

मेरा नाम अपनी क़िताबों पे लिखकर

वो दांतों में उंगली दबाती तो होगी

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की

ज़बां से कभी उफ़ निकलती तो होगी

बदन धीमे धीमे सुलग़ता तो होगा

कहीं के कहीं पांव पड़ते तो होंगे

ज़मीं पर दुपट्टा लटकता तो होगा

कभी सुबह को शाम कहती तो होगी

कभी रात को दिन बताती होगी

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की

हरेक चीज़ हाथों से गिरती तो होगी

तबियत से हर काम खलता तो होगा

पलेटें कभी टूट जाती तो होगी

कभी दूध चूल्हे पे जलता तो होगा

ग़रज़ अपनी मासूम नादानियों पर

वो नाज़ुक बदन झेंप जाती तो होगी

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की

बहुत ख़ूबसूरत मगर सांवली सी

बहुत ख़ूबसूरत

मुझे अपने ख्वाबों की बाहों में पाकर

कभी नींद में मुस्कुराती तो होगी

उसी नींद में कसमसा कसमसाकर

सिराने से तकिये गिराती तो होगी

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की






!!नव वर्ष मंगलमय हो !!

13 टिप्‍पणियां:

  1. नए साल मे नया अंदाज़ पसंद आया ! धन्यवाद !!

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  2. बहुत सुंदर गीत, बीते दिन बीती शरारते याद दिला दी.
    धन्यवाद

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  3. Purane jamane kaa geet, Aur aapke pesh karne ka naya andaz pasand aaya . shubhkamnay..

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  4. सुंदर रचना..मनोज जी थोड़ा अलग सा पर बेहतरीन..बधाई!!

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  5. aaj kal ke gaanomen ye baat kahan ???
    dhanyvad...ye geet ki prastuti ke liye ....

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  6. वाह ......... मज़ा आ गया ....... बीते दिनों की याद करा दी ...... बहुत अच्छा गीत रफ़ी साहब की आवाज़ में .......

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  7. सुंदर रचना..मनोज जी थोड़ा अलग सा पर बेहतरीन..बधाई!!

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