आचार्य परशुराम राय
इस अंक में नाड़ियों की स्थिति तथा प्राणों के नाम सहित स्थान का विवरण दिया जा रहा हैः-
इडा वामे स्थिता भागे पिङ्गला दक्षिणे स्मृता।
सुषुम्ना मध्यदेशे तु गान्धारी वामचक्षुषि।।38।।
अन्वय – वामे भागे इडा स्थिता, दक्षिणे (भागे) पिङ्गला स्मृता, मध्यदेशे तु सुषुम्ना वाम चक्षुषि गान्धारी।
दक्षिणे हस्तिजिह्वा च पूषा कर्णे च दक्षिणे।
यशस्विनी वामकर्णे आनने चाप्यलम्बुषा।।39।।
अन्वय – दक्षिणे (चक्षुषि) हस्तिजिह्वा, दक्षिणे कर्णे पूषा,
वाम कर्णे यशस्विनी आनने च अलम्बुषा।
कुहूश्च लिङ्गदेशे तु मूलस्थाने तु शङ्खिनी।
एवं द्वारं समाश्रित्य तिष्ठन्ति दशनाडिकाः।।40।।
अन्वय –लिङ्गदेशे तु कुहूः मूलस्थाने तु च शङ्किनी।
एवं द्वारं समाश्रित्य दशनाडिकाः तिष्ठन्ति।
इडा पिङ्गला सुषुम्ना च प्राणमार्गे समाश्रिताः।
एता हि दशनाड्यस्तु देहमध्ये व्यवस्थिताः।।41।।
अन्वय –प्राणमार्गे इडा पिङ्गला सुषुम्ना च समाश्रिताः।
देहमध्ये तु एताः दश नाड्यः व्यवस्थिताः
भावार्थः - उक्त चार श्लोकों को अर्थ सुविधा की दृष्टि से एक साथ लिया जा रहा है। शरीर के बाएँ भाग में इडा नाड़ी, दाहिने भाग में पिंगला, मध्य भाग में सुषुम्ना, बाईं आँख में गांधारी, दाहिनी आँख में हस्तिजिह्वा, दाहिने कान में पूषा, बाएँ कान में यशस्विनी, मुखमण्डल में अलम्बुषा, जननांगों में कुहू और गुदा में शांखिनी नाड़ी स्थित है। इस प्रकार से दस नाड़ियाँ शरीर के उक्त अंगों के द्वार पर अर्थात् ये अंग जहाँ खुलते हैं, वहाँ स्थित हैं।
इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन नाड़ियाँ प्राण मार्ग में स्थित हैं। इस प्रकार दस नाडियाँ उक्त अंगों में शरीर के मध्य भाग में स्थित हैं। (38-41 तक)
English Translation:- For comprehensive points of view all th e four slokas are
(From 38-41) Translated together. Here locations of the Nadis are stated-
Nadis Location
Ida Left side of the body
Pingla Right side of the body
ShuShumna Middle of the body
Gandhari Left eye
Hastigikvva Right eye
Yashaswini Left ear
Pusha Right ear
Alambusha Mouth
Kuhu Genital organ
Shankihini Anal region
However, Ida, Pingala and ShuShumna exist in respiratory passage.
नामान्येतानि नाडीनां वातानान्तु वदाम्यहम्।
प्राणोऽपानः समानश्च उदानो व्यान एव च।।42।।
नागः कूर्मोऽथकृकलो देवदत्तो धनञ्जयः।
हृदि प्राणो वसेन्नित्यमपानो गुह्यमण्डले।।43।।
समानो नाभिदेशे तु उदानः कण्ठमध्यगः।
व्यानो व्यापि शरीरेषु प्रधानाः दशवायवः।।44।।
प्राणाद्याः पञ्चविख्याताः नागाद्याः पञ्चवायवः।
तेषामपि पञ्चनां स्थानानि च वदाम्यहम्।।45।।
उद्गारे नाग आख्यातः कूर्मून्मीलने स्मृतः।
कृकलो क्षुतकृज्ज्ञेय देवदत्तो विजृंम्भणे।।46।।
न जहाति मृतं वापिसर्वव्यापि धनञ्जयः।
एते नाडीषु सर्वासु भ्रमन्ते जीवरूपिणः।।47।।
भावार्थ - हे शिवे, नाड़ियों के बाद अब मैं तुम्हें इनसे संबंधित वायुओं (प्राणों) के विषय में बताऊँगा। इनकी भी संख्या दस है। दस में पाँच प्रमुख प्राण है और पाँच सहायक प्राण हैं। पाँच मुख्य वायु (प्राण) है- प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान। सहायक प्राण वायु हैं - नाग, कूर्म, कृकल (कृकर), देवदत्त और धनंजय। प्रमुख पाँच प्राणों की स्थिति निम्नवत है।
प्राण वायु स्थिति
प्राण हृदय
अपान उत्सर्जक अंग
समान नाभि
उदान कंठ
व्यान पूरे शरीर में
पाँच सहायक प्राण-वायु के कार्य निम्न लिखित हैं-
सहायक प्राण-वायु कार्य
नाग डकार आना
कूर्म पलकों का झपकना
कृकल छींक आना
देवदत्त जम्हाई आना
धनंजय यह पूरे शरीर में व्याप्त रहता है मृत्यु के बाद भी कुछ तक समय यह शरीर में बना रहता है।
इस प्रकार ये दस प्राण वायु दस नाड़ियो से होकर शरीर में जीव के रुप में भ्रमण करते रहते हैं, अर्थात् सक्रिय रहते हैं।
इन श्लोकों के अन्वय की आवश्यकता नहीं है। इसलिए यहाँ इनके अन्वय नहीं दिए जा रहे हैं। (42-47)
English Translation - O shive, after describing Nadis, now I am going to tell you about Pran-vayus connected with Nadis. They are ten in numbers. Five out of ten Vayus are main, whereas remaining five are sub-pranas. The main Pran-Vagus are – Prana, Apana, Samana, Udana and Vyana. And sub-pranas are- Naga, Kurma, Krikal (krikar), Devadatta and Dhananjaya. Locations of five main Prana. Vayus are as under:-
Prana Vayu Location
Prana Heart
Apana Excretory organs]
Samana Navel region
Udan Throat
Vyan Whole body
Functions of five sub-Pranas are mentioned here under:-
Sub-Pranas Functions
Nagh Belchinl
Kurma Dropping of eye-liols
Krikar Sneezing
Devadatta Yawning
Dhananjaya This exists in the whole body and it remains active for some time in the body even after death.
Thus, these ten Pran a Vayus remain active through the said ten Nadis and act in the body like living being.
These Shlokas do not need their prose order (anvaya) and therefore same are not given here. (42-47)
यह ऋंखला ज्ञानवर्धन में सहायक हो रही है... और इसकी यह कड़ी भी इसका प्रमाण है!!
जवाब देंहटाएंInteresting!
जवाब देंहटाएंइस विषय में जादा कुछ तो समझता नहीं पर जानकारी रोचक लगी !
बहुत ज्ञानवर्धक आलेख !
जवाब देंहटाएंआपका महती कार्य ब्लाग जगत और साहित्य जगत के लिए धरोहर है। आपका यह कार्य हमेशा स्मरण किया जाएगा।
जवाब देंहटाएंप्राण वायु का सम्बन्ध हमारे शारीर के हर हिस्से से है , योग में इसकी महता बहुत बताई गयी है , इडा ,पिंगला और शुश्मना नाड़ियों के माध्यम से हम अपनी सांसों पर नियंत्रण कर परमतत्व तक पहुँच सकते है ......!
जवाब देंहटाएंसुंदर , सार्थक और ज्ञानवर्धक पोस्ट
शुभकामनायें
ऐसी ही तथ्य पूर्ण ज्ञान के कारण भारत विश्व गुरु रहा है ! इतनी महत्वपूर्ण जानकारी को हम तक पँहुचाने के लिए कोटिशः धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
www.marmagya.blogspot.com
सुंदर , सार्थक और ज्ञानवर्धक पोस्ट
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी अच्छी जानकारियां बांट रहे हे आप जी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक आलेख है। जिनका रुझान योग आदि की तरफ है, विशेष रूप से उनके लिये बहुत उपयोगी आलेख है। य़ह जानकारी हम तक पहुँचाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंउपयोगी आलेख के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक आलेख !
जवाब देंहटाएंVery useful.... ! This post marks how rich India has been in all walks of life.
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी मिली। आभार!
जवाब देंहटाएंहिंदी के साथ-साथ अंर्गेजी अनुवाद का अंदाज बहुत अच्छा है ।
जवाब देंहटाएंइतनी महत्वपूर्ण जानकारी को हम तक पँहुचाने के लिए कोटिशः धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआज के वैज्ञानिक शरीर विज्ञान को समझने में एडी चोटी लगाये हुए हैं और प्राण को कभी कहीं अवस्थित बताते हैं तो कभी कहीं..
जवाब देंहटाएंमन, प्राण और मृत्यु के रहस्य का सिरा अभी तक पूर्ण रूपेण उनके हाथ नहीं आया है...उन्हें चाहिए कि स्थापित इन उद्घाटनों को वे देखें,जिन्हें हजारों हजार वर्ष पूर्व भारतीय मनीषियों ने परिभाषित कर दिया था...
कोटिशः आभार आपका इस सुन्दर ऋंखला के लिए..
@Harish Ji: BAHUT BAHUT DHANYAWAD
जवाब देंहटाएं..
@Arun Roy: Protsahan ke liye saadhuwad
जवाब देंहटाएं@Manoj Kumar: saadhuwaad
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
@Ranjana ji: shayad medical science ko yah sab samajhne mein waqt lagraha ho...lekin agar hume isski jankari hai toh hum medical science ka intezar q karein...protsahan ke liye sadhuwaad
जवाब देंहटाएंAap sabhi ko protsahan ke liye saadhuwaad
जवाब देंहटाएंBahut hi gnaanwardhak post hai....dhanyawaad.
जवाब देंहटाएंVry informative post.
जवाब देंहटाएंजानकारी अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंनाडियों के बारे में मिली जानकारी पढकर अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंReally informative post.
जवाब देंहटाएंशिवो अहम
जवाब देंहटाएंशिव की प्राण है
शिव ही परमात्मा है
यह श्रृंखला अनुवाद की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो चली है।
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