बापू को शत बार नमनआचार्य परशुराम राय |
राष्ट्र ब्रह्म के हे आराधक कर्मयोग के हे अवतार, सत्य, अहिंसा प्राण तुम्हारे श्रद्धा, प्रेम हैं नेत्र तुम्हारे निष्ठा, संयम चरण तुम्हारे सत्याग्रह की लाठी से किए नीति विस्तार। भयमुक्त, परिणामयुक्त, अस्पृश्यता के हे संहारक, पौरुष के हाथों में लेखनी ले आचरण की लिखते रहे जीवन पर अपने ग्रंथ निहित आदर्श। देख तुम्हारा निश्चय बापू, होता हिमगिरि था गर्वोन्नत। आज तुम्हें शतबार नमन हे निराकार। |
शनिवार, 2 अक्टूबर 2010
बापू को शत बार नमन
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बापू जी को हमारा भी शत शत नमन। बहुत उमदा रचना है। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंक्या बात है आज तो सभी गजब ढा रहे हैं? बहुत ही सशक्त रचना है। मन कर रहा है कि डायरी में लिख कर रखा जाए। आपको बधाई और बापू को नमन।
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachana hai .shruddhey bapoo ko naman...
जवाब देंहटाएंबापू को नमन!!
जवाब देंहटाएंसमसामयिक प्रश्नों को उठाती यह कविता सार्थक है।
जवाब देंहटाएंबापू को शत-शत नमन!
Aapki kavita achchi aur sahi hai.Bapu ko naman hi na karen unka ANUSARAN karney ka SANKALP bhi karen-sabhi log meri yahi kamna hai.
जवाब देंहटाएंबापू को नमन ...
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता ...!
सशक्त रचना. नमन.
जवाब देंहटाएंरामराम
बहुत ही सशक्त शब्द कोष से सजाई इस रचना के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंबापू को नमन.
शत शत नमन्
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत, राष्ट्रपिता को नमन।
जवाब देंहटाएंआचार्य जी,सार्थक श्रद्धांजलि! नमन,बापू को भी और लाल बहादुर को भी!
जवाब देंहटाएंबापू को नमन! सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबापू भारतीय जीवन-दर्शन और राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक हैं। उनकी स्मृति मात्र साहस और गौरव का भाव जगाती है।
जवाब देंहटाएंशत शत नमन ...बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबापू पर लिखी गई सशक्त रचनाओं में से एक रचना है। बापू को नमन। और राय जी को आभार।
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